माता पिता के साथ पत्थर तोड़ते थे, फिर हवलदार बने छुट्टी ना मिलने के कारण सोच लिया अफसर ही बनना है आठवें प्रयास में मिली सफ़लता।

दौसा जिले के एक गांव का रहने वाला राम भजन ने सिविल सेवा परीक्षा में अपनी जगह बना ली। उनकी इस कामयाबी का राज है उनका अटूट विश्वास और लगातार परिश्रम। राम भजन ने कभी भी अपने सपने को नहीं छोड़ा और अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना किया।

उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा में 7 बार असफलता का स्वाद चखा। फिर भी उनका हौसला नहीं टूटा। भजन ने आखिरी बार में सिविल सेवा परीक्षा में 667 वीं रैंक हासिल करके अपनी सफलता का ताज पहना।

राम भजन ने अपने गांव के सरकारी स्कूल से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई करते हुए भी अपनी पढ़ाई को कभी नजरअंदाज नहीं किया। उनका सपना था कि वह अपनी योग्यता से बड़ा पद प्राप्त करें।

12वीं कक्षा के बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के लिए फॉर्म भरा। उनकी मेहनत रंग लाई और वह दिल्ली पुलिस में चयनित हो गए। राम भजन ने अपनी नौकरी के साथ ही अपनी पढ़ाई जारी रखी और ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन भी पूरा किया।

राम भजन का प्रारंभिक जीवन शिक्षा और संघर्ष

राम भजन का बचपन बहुत कठिनाइयों से गुजरा। उनके गांव बापी में ईट और चूना पत्थर के भट्टे का काम होता था। उनके पिता कन्हैयालाल वहां मजदूरी करते थे। राम भजन भी अक्सर अपने माता-पिता के साथ भट्टे पर जाता था। वहां वह उनका साथ देता था। राम भजन ने कहा कि वह पत्थर भी तोड़ता था। कभी-कभी पत्थर के टुकड़े उसको चोट पहुंचाते थे। उसके घाव देखकर उसके माता-पिता बहुत दुखी होते थे।

शादी हुई पत्नी को भी बी. एड. करवाया

राम भजन की शादी 2012 में ग्रेजुएशन के बाद हुई। उनकी पत्नी अंजलि सिर्फ आठवीं कक्षा तक पढ़ी थी। राम भजन ने अंजलि को भी पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनके इस फैसले का सामना कई मुश्किलों से करना पड़ा। लेकिन राम भजन ने अंजलि का साथ नहीं छोड़ा। अंजलि को ससुराल में यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल जाना पड़ता था। इससे वह बहुत शर्मिंदा होती थी।

वह सोचती थी कि लोग उसका मजाक उड़ाएंगे। राम भजन ने अंजलि को हिम्मत देते हुए कहा कि तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। लोगों की बातें मत सुनो। अंजलि ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दो बेटियों की माँ बनने के बाद भी ग्रेजुएशन, B.Ed और पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया।

छुट्टी ना मिलने के कारण सोच लिया अफसर ही बनूंगा

दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल राम भजन को अक्सर गांव जाने की छुट्टी नहीं मिलती थी। इससे वह बहुत उदास होता था। उसका सपना था कि वह ऐसा अफसर बने जो दूसरों को छुट्टी दे सके। उसने अपने लक्ष्य के लिए दिल्ली पुलिस के लोगों की मदद ली। उसे दिल्ली पुलिस से जरूरी सामग्री भी मिली। उसने दिल्ली पुलिस, अपने दोस्तों और बड़े अफसरों को धन्यवाद कहा।

UPSC की परीक्षा में मिली सफलता

दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल राम भजन यूपीएससी की परीक्षा में उत्तीर्ण होने का सपना देखता था। वह 2014 से ही इसकी तैयारी कर रहा था। उसकी दिनभर की ड्यूटी के बावजूद वह पढ़ाई के लिए 8 घंटे लगाता था। उसने अपना समय बरबाद नहीं किया। वह 2015 में कोचिंग लेकर फिर सेल्फ स्टडी करता रहा। आखिरकार उसकी मेहनत का फल मिला और वह यूपीएससी परीक्षा में पास हो गया।

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