घर घर बेचा सिम कार्ड किसान पिता ने जमीन गिरवी रखी अब है बेटे की 100 करोड़ की कंपनी

यदि आप कुछ प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, तो आप उसे प्राप्त करने के लिए एक रास्ता जरूर ढूंढ निकालेंगे। आज हम एक एडुटेक स्टार्टअप, विद्याकुल (Vidyakul) के संस्थापक और सीईओ तरुण सैनी के बारे में जानेंगे कि उन्होंने सफलता प्राप्त करने के लिए कितनी मुसीबतों का सामना किया। उन्हें अपनी पढ़ाई करने में भी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा और इसके लिए उन्हें अपने पिता की जमीन को गिरवी रखने की भी जरूरत पड़ी। नौकरी शुरू करने पर भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने मेहनत और लगन से सफल स्टार्टअप के मालिक बनने के लिए अटल प्रयास किया। इस पोस्ट में हम जानेंगे की कैसे इतनी मुसीबतों को पार करके वह एक सफल उद्यमी बनें।

तरुण का शुरुआती जीवन

तरुण ने अपने संघर्ष की कहानी साझा की और बताया कि उनका गांव अंबाला से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। चूँकि 90 के दशक में केवल सुबह और शाम को चलने वाली बसों के अलावा परिवहन का कोई अन्य साधन नहीं था, इसलिए उन्हें पढ़ाई के लिए हर दिन 30 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। उन्होंने बताया कि उनके गाँव की कई प्रतिभाशाली लड़कियों को अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी क्योंकि उनके पास हर दिन इतनी लंबी दूरी तय करने का साधन नहीं था।

तरुण ने बताया कि एक समय उनके सामने भी पढ़ाई छोड़ने जैसी नौबत आ गई थी, लेकिन उनके गुरुजनों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और परिवार को इस बात के लिए राजी किया कि उन्हें आगे की पढ़ाई जारी रखनी चाहिए। उनके पिता के पास सिर्फ खेती ही कमाई का जरिया था और ऊपर से बहनों की शादी का जिम्मा था।

ऑस्ट्रेलिया में की नौकरी

इन सब मुश्किलों के बीच तरुण ने शिक्षा के साथ अपना संघर्ष जारी रखा। आखिरकार 12वीं पास करने के बाद उन्हें स्कॉलरशिप मिली और ऑस्ट्रेलिया में शिक्षा से जुड़े खर्च को पूरा करने के लिए उनके पिता ने खेती की जमीन को भी गिरवी रख दिया। तरुण ने ऑस्ट्रेलिया में पहली नौकरी घर-घर जाकर सिम बेचने से शुरू की। इससे उन्हें सेल्स का काफी अनुभव हुआ और अपने मित्र के साथ मिलकर एक छोटी फर्म शुरू की।

तरुण ने बताया कि उनके पास मार्केटिंग और सेल्‍स का काफी अनुभव था। उनकी टीम भी काफी अच्‍छा काम कर रही थी, जिससे उनका बाजार में नाम हो गया था। इसी बीच ऑस्‍ट्रेलियाई सरकार ने एक एजुकेशन प्रोजेक्‍ट शुरू किया था, जिसमें दूरदराज के गांवों में रहने वालों को सरकार घर बैठे पढ़ने की सुविधा दे रही थी। तरुण की कंपनी को इसकी मार्केटिंग का जिम्‍मा मिला और उन्‍होंने पूरे ऑस्‍ट्रेलिया में इस योजना को फैलाया।

तरुण के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में सब कुछ अच्छी तरह से चल रहा था। उनके पास लगभग 80 लोगों की टीम थी और हर महीने लाखों की कमाई भी होती थी। कुल मिलाकर काम बहुत अच्छी तरह से चल रहा था। तभी मेरे मन में भारत में इसी तरह का कोई काम शुरू करने का ख्याल आया और मेरे बचपन की पूरी तस्वीर हमारे सामने नाच गई। मैंने फैसला कर लिया कि अब मैं भारत वापस जाऊंगा और अपने लोगों को यह सुविधा दिलाऊंगा।

ऑस्ट्रेलिया छोड़ वापस भारत आए

तरुण ने शिक्षा के संघर्ष को करीब से देख चुके थे। उन्‍होंने तत्‍काल ऑस्‍ट्रलिया छोड़ दिया और तीसरे दिन ही इंडिया की फ्लाइट पकड़ ली। उन्‍होंने भारत आकर 6 महीने तक अपने प्रोजेक्‍ट पर रिसर्च किया और आईटी व अन्‍य तकनीकी समस्‍याओं पर काम करने के लिए एक टीम बनाई। 6 महीने बाद साल 2018 में उन्‍होंने विद्याकुल (Vidyakul) की शुरुआत की।

विद्याकुल की शुरुआत

विद्याकुल का शुरुआत में तो उन्‍होंने यूट्यूब चैनल के जरिये लोगों तक पहुंचाया और उन्‍हें क्‍वालिटी एजुकेशन प्रोडक्‍ट मुहैया कराया। थोड़ा चलने के बाद विद्याकुल नाम से एजुकेशन ऐप लांच किया गया और छोटे शहरों व दूरदराज के गांवों में बैठे बच्‍चों को पढ़ाई-लिखाई की सामग्री के साथ उनकी समस्‍याओं के समाधान के लिए शिक्षक भी मुहैया कराने शुरू कर दिए। इसके लिए सिर्फ 300 रुपये महीने के सब्‍सक्रिप्‍शन में बच्‍चों को सभी विषय का क्‍वालिटी प्रोडक्‍ट देते हैं।

विद्याकुल में कई बड़े डॉक्टर और इंजीनियर ने निवेश किया

विद्याकुल प्रोजेक्‍ट को खासतौर से बोर्ड परीक्षा को ध्‍यान में रखकर शुरू किया गया है। यूपी, बिहार, गुजरात जैसे देश के बड़े राज्‍यों के स्‍टेट बोर्ड के पाठ्यक्रम को ध्‍यान में रखकर स्‍टूडेंट के लिए कंटेंट उपलब्‍ध कराए जाते हैं। तरुण का दावा है कि आज उनके प्रोजेक्‍ट के साथ करीब 50 लाख सब्‍सक्राइबर जुड़े हैं और उनके पढ़ाए बच्‍चे बोर्ड में हर साल टॉप कर रहे हैं. कंटेंट के लिए यूपी, बिहार, गुजरात सहित अन्‍य राज्‍यों में स्‍टूडियो बनाए हैं, जहां टॉप क्‍लास के शिक्षक एजुकेशन कंटेंट तैयार करते हैं। विद्याकुल ऐप को 10 लाख से ज्‍यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं तो 40 लाख से ज्‍यादा सब्‍सक्राइबर उनके यूट्यूब चैनल पर हैं।

विद्याकुल प्रोजेक्‍ट की शुरुआती मुश्किलों को बयां करते हुए तरुण ने बताया कि इसे शुरू करने में करीब 30 लाख रुपये का निवेश किया गया था. धीरे-धीरे उनका विस्‍तार हुआ तो कई बड़े व्‍यापारियों ने उनके प्रोजेक्‍ट में पैसा लगाया. वर्तमान में सूरत के हीरा कारोबारियों से लेकर बड़े डॉक्‍टर्स व अन्‍य निवेशकों का पैसा लगा है। कंपनी के पास 50 करोड़ से ज्‍यादा का रिजर्व है