पढ़ाई के लिए पिता ने बेची जमीन, दो बार असफल हुए तीसरी बार में पास की यूपीएससी की परीक्षा

यूपीएससी की परीक्षा में सफल होना कोई मामूली बात नहीं है। खासकर जब आपके पास अच्छे संसाधन न हों, तो यह और भी मुश्किल होता है। इसी तरह की एक कहानी है हृदय कुमार दाश की, जो ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के एक गांव अंगुलई से हैं। वे यूपीएससी की तैयारी करने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं। वे एक गरीब किसान के परिवार से थे। वे बचपन से ही क्रिकेट का शौक रखते थे। लेकिन वे अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए क्रिकेट त्याग देते हैं। वे यूपीएससी की परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं।

आईएएस-आईपीएस बनने का सपना लाखों युवा देखते है, लेकिन यूपीएससी की परीक्षा उतनी ही कठिन और चुनौतीपूर्ण है. इसमें सफल होने के लिए लंबा और कठोर संघर्ष करना पड़ता है, जिसमें कई लोग निराश होकर छोड़ देते हैं. वहीं कई लोग अपनी मेहनत, लगन और जज्बे से सारी मुसीबतों और कमियों को दूर करते हैं, वे अपना लक्ष्य प्राप्त करते हैं. उनकी कहानियां हमें प्रेरित करती हैं. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं ओडिशा के हृदय कुमार दाश, जिनका जन्म एक बहुत ही गरीब किसान परिवार में हुआ था।

क्रिकेट खेलने का था शौक

क्रिकेट में अपना नाम रोशन करने का शौक हृदय कुमार का था. वह इस खेल में अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार थे. लेकिन कुछ हालातों की वजह से उनका क्रिकेट में सफर अधूरा रह गया. फिर उन्होंने अपना लक्ष्य बदला- यूपीएससी पास करने का सपना देखा . यह भी कोई आसान मुकाम नहीं था. लेकिन उन्होंने तीन बार की कोशिश के बाद यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की और आईआरएस का पद प्राप्त किया

हृदय कुमार का प्रारंभिक जीवन व शिक्षा

एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हृदय कुमार दाश का जन्म ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के अंगुलई गांव में हुआ था. उनकी पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में हुई थी, जहां वह अपने अध्ययन में काफी प्रतिभाशाली थे. लेकिन उनकी रूचि क्रिकेट में थी. वह इस खेल को अपना जीवन बनाना चाहते थे. वह अपने जिले की टीम का हिस्सा भी बने थे और इंटर-डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट चैंपियनशिप में भाग लिया था. लेकिन जब वह 12वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम से सेकेंड डिवीजन में पास हुए, तो उनका सपना टूट गया. उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट त्यागने और उच्च शिक्षा पर फोकस करने को कहा. फिर उन्होंने उत्कल यूनिवर्सिटी से एमसीए का पांच साल का कोर्स किया

पढ़ाई के लिए पिता ने बेची जमीन

उनके पिता ने अपनी जमीन बेचकर उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया था. यह बात हृदय कुमार ने यूपीएससी को क्लियर करने के बाद बताई थी. वह एक किसान परिवार से आने पर अपने आप को नसीबवाला मानते हैं. उनका छोटा भाई रश्मि रंजन ने एमबीए का डिग्री हासिल किया है.

UPSC की तैयारी और सफलता

वह यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए ही यूपीएससी की तैयारी में लग गए थे. उन्होंने ओडिशा के जाजपुर जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास फेलो का काम भी किया था. उनका जिम्मा था कि वह नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के साथ संवाद करें और उनके लिए गरीबी उन्मूलन और कल्याण के प्रोजेक्ट्स को लागू करें. इस काम ने उन्हें आदिवासियों के दर्द को समझने का मौका दिया. इसने उनके मन में सिविल सर्विस के लिए और जोश भर दिया

हृदय कुमार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में दो बार नाकाम रहे थे। लेकिन वे अपनी मेहनत और लगन से नहीं हटे थे। तीसरी बार उन्हें अपना सफलता मिली। वह 2015 में ऑल इंडिया 1079वीं रैंक के साथ यूपीएससी पास करते हैं। और आईआरएस सर्विस में चयनित हुए।