परिवार में लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता था रिश्तेदारों के ताने सुन खुद पर भरोसा करके क्लियर किया upsc एग्जाम

Jameel Fatima zeba ias biography in Hindi

ज़मील फातिमा ज़ेबा एक ऐसे समाज से ताल्लुक रखती हैं जहां लड़कियों को शिक्षा की कोई अहमियत नहीं दी जाती है। उनके घर में लड़कियों को बचपन में ही शादी कर देना एक रिवाज है और करियर का शब्द उनके लिए अजनबी है। लेकिन ज़ेबा ने अपने आस-पास के माहौल को तोड़कर अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने का फैसला किया और एक ऐसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का लक्ष्य बनाया जिसमें केवल बहुत कम लोग कामयाब होते हैं। ज़ेबा के इस निर्णय से उनके परिवार में बवाल मच गया। सबने सोचा कि यह लड़की पागल हो गयी है। वो उस उम्र में शादी करने की बजाय अपने भविष्य के बारे में सोच रही है। लेकिन ज़ेबा और उनके माता-पिता ने इन बातों को नजरअंदाज कर दिया और वे अपनी बेटी के सपने को पूरा करने में उसका साथ देते रहे।

ज़ेबा का बचपन से ही सिविल सर्विसेस का सपना नहीं था. उन्हें तो बस ऐसी जॉब चाहिए थी जो उनके लिए स्थिर, सम्मानित और आनंददायक हो. वे अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे उतरना चाहती थीं और समाज में अपना योगदान देना चाहती थीं।

Jameel Fatima Zeba ias biography in Hindi

जेबा की शिक्षा (Jameel Fatima Zeba ias biography in Hindi)

उन्होंने अपनी पढ़ाई को लेकर जो लोगों का अपमान सहा था, उन्हें अपनी काबिलियत दिखाना चाहती थीं. ज़ेबा ने अपने कॉलेज के बाद ही यह तय किया कि वे सिविल सर्विसेस में जाना चाहती हैं. वे हैदराबाद, मणिकोण्डा की रहने वाली थीं. उन्होंने सेंट फ्रांसिस कॉलेज से एमबीए किया और फिर यूपीएससी की कोचिंग ली. वे अपनी तैयारी में पूरी तरह से लग गईं.

असफलता के कारण लोगों के ताने सुनने को मिले

ज़ेबा के लिए सिविल सर्विसेस की परीक्षा एक बड़ी चुनौती थी और उन्होंने इसके लिए अपने आप को जमकर तैयार किया था. लेकिन कभी-कभी आपको आपकी उम्मीदों से ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ज़ेबा को भी ऐसा ही अनुभव हुआ. वे लगातार मेहनत करती रहीं लेकिन उनका नाम नहीं आया. दो साल तक वे बार-बार प्रयास करती रहीं लेकिन सफलता नहीं मिली. इस दौरान उन्हें आसपास के लोगों और परिवार के दूसरे सदस्यों की टिप्पणियां भी सुननी पड़ीं जो उनके लिए बेहद दुखद थीं.

माता पिता ने साथ दिया

वे एक 24-25 साल की लड़की थीं जो घर पर बैठकर एक ऐसा लक्ष्य हासिल करने का सपना देख रही थीं जो बहुत कम लोगों को मिलता है. ज़ेबा ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वे निराश होती थीं तो वे ये कुछ पंक्तियां याद कर लेती थीं, जो उन्हें कहीं पढ़ी थीं, मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है. ये पंक्तियां उनका हौंसला बढ़ाती थीं और वे फिर से तैयारी में लग जाती थीं. उनके माता-पिता ने भी उनका साथ नहीं छोड़ा और उन्हें हर मोड़ पर प्रोत्साहन दिया. ज़ेबा अपने पिता को इस कामयाबी का सबसे बड़ा श्रेय देती हैं. ज़ेबा ने साल 2018 में 62वीं रैंक हासिल करके 25 साल की उम्र में यह परीक्षा पास की.

अपने आप पर विश्वास रखें

ज़ेबा कहती हैं कि जब लोग बार-बार यह कहते हैं कि तुम्हारे बस की बात नहीं है, तो आपका दिल क्या कहता है, यह जानना बहुत आवश्यक है. लोग जो भी कहें, लेकिन आपको अपने लक्ष्य पर, अपने आप पर विश्वास होना चाहिए. जब आप खुद पर यह अखंड विश्वास रखते हैं, तब ही आपको सफलता प्राप्त होती है.

तैयारी के दौरान कई ऐसे पल होते हैं जब अभ्यर्थी को लगता है कि कहीं मैंने गलत फैसला तो नहीं लिया, मैं ठीक तो कर रहा हूं न? ज़ेबा कहती हैं कि ऐसे विचार आना या उदास होना बिल्कुल सामान्य है, लेकिन ऐसे हालात से बाहर न आ पाना बिल्कुल असामान्य है. ऐसे विचारों से घबराना नहीं, बल्कि इनसे उबरने का प्रयास करना चाहिए. दुनिया में कोई ऐसी चीज नहीं है जो परिश्रम और श्रद्धा से हासिल न हो सके.

वे कहती हैं कि उनका यह सफर उन्हें संवारा है. जो ज़ेबा यूपीएससी के पहले साल में थी, वो आज काफी बदल चुकी है. उन्होंने इन सालों में बहुत कुछ सीखा है, जो हर तरह से सकारात्मक है. इसका अर्थ यह है कि अगर आपको सफलता मिलने में देर हो रही है, तो डरना नहीं, ये जो साल आप तैयारी में लगा रहे हैं, ये आपकी उन्नति में ही लग रहे हैं. ये आपको एक व्यक्ति के रूप में और समझदार बनाएंगे.

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