पिता की मौत के बाद, अनाथालय में बचपन गुजरा वहां पढ़ाई की 21 सरकारी एग्जाम में हुआ चयन, आज हैं IAS

Ias Mohammad shihab Success story in hindi

कुछ लोग अपनी असफलता को अपनी कमजोर किस्मत का नाम देकर हार मान लेते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हालातों को अपनी ताकत बनाते हैं और दुनिया को अपनी काबिलियत दिखाते हैं। उनमें से एक हैं मोहम्मद अली शिहाब। मोहम्मद शिहाब केरल के एक गांव के रहने वाले हैं, जिनकी कहानी हालातों के अंधेरे में एक आशा का दीपक है। आज शिहाब एक आईएएस अफसर हैं, लेकिन उनका बचपन एक अनाथालय में बीता है। चलिए इस लेख के जरिए शिहाब के संघर्ष और जीत की कहानी को समझते हैं।

मोहम्मद शिहाब का प्रारंभिक जीवन (Ias Mohammad shihab Success story in hindi)

मोहम्मद शिहाब का जन्म 15 मार्च 1980 को केरल के मलप्पुरम जिले में हुआ था। शिहाब का जीवन बहुत ही कठिन था। उनके पिता का नाम कोरोट अली और उनकी मां का नाम फातिमा था। घर की आर्थिक हालत बहुत ही नाजुक थी, इसलिए शिहाब ने अपने पिता के साथ बांस के डलिए और पान की पत्तियां बेचना शुरू कर दिया। लेकिन शिहाब की दुनिया तब बिखर गई जब उनके पिता को एक लम्बी बीमारी का सामना करना पड़ा और वह इस दुनिया को अलविदा कह गए। पिता के चले जाने के बाद शिहाब और उनके परिवार का सारा बोझ उनकी मां के ऊपर आ गया।

अनाथालय में रहे और पढ़ाई की

उनकी मां को अपने बच्चों को पालने के लिए कोई काम नहीं मिला और उन्हें भी पढ़ना-लिखना नहीं आता था। इसलिए वे गरीबी की मार से अपने बेटे शिहाब और उनके भाई-बहनों को अनाथालय में दे आईं। पर अनाथालय ने शिहाब को एक नई जिंदगी दी।

वहां रहते हुए उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान दिया और वहां के दूसरे बच्चों से आगे निकले। उन्होंने अनाथालय में ही अपनी 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई कर ली और फिर 2011 में अपने परिश्रम से 226 रैंक हासिल करके यूपीएससी में सफल हुए।

कई परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की

शिहाब ने अपने आप को इतना काबिल बनाया और पढ़ाई में इतना दिल लगाया कि उन्होंने लगातार सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं दी. उन्हें कभी वन विभाग में जगह मिल गई, तो कभी जेल वार्डेन का काम किया, पर उनका लक्ष्य उससे ऊपर था और वे उसके लिए मेहनत करते रहे.

उन्होंने ट्रेन टिकट परीक्षक का भी इम्तिहान उत्तीर्ण किया और कुछ समय तक वहां काम किया. ऐसे ही शिहाब ने 21 परीक्षाओं को पास किया. अंत में 25 साल की उम्र में उन्होंने यूपीएससी का इम्तिहान दिया और आईएएस ऑफिसर बन गए. इस प्रकार एक अनाथ बच्चे ने दिखाया कि अगर मन में इच्छा हो, तो कुछ भी संभव है. इन कहानियों से सिविल की तैयारी करने वाले युवाओं को बहुत प्रेरणा मिलती है।

सिविल सेवा की परीक्षा में तीसरी बार सफल होकर आईएएस ऑफिसर बने मोहम्मद शिहाब अब नागालैंड के कैडर में काम कर रहे हैं। यूपीएससी की परीक्षा में हर साल लाखों लोग भाग लेते हैं पर अनेक मुसीबतों के कारण उनमें से कुछ ही सफल हो पाते हैं। मोहम्मद शिहाब का सफर उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो मुश्किलों के सामने हार मान लेते हैं।

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