जीवन में 5 बातें जो हर नोजवान को जल्दी सीखना चाहिए | 5 Deep life lessons in hindi

जीवन में 5 बातें जो हर नोजवान को जल्दी सीखना चाहिए | 5 Deep life lessons in hindi


5 Deep life lessons in hindi


 5 Deep life lessons in hindi

स्टीव जॉब्स स्टैनफोर्ड की स्पीच में बड़ी अच्छी बात कहते हैं “याद रखें कि आप मरने वाले हैं आपके पास खोने को कुछ भी नहीं है आप पहले से ही नग्न हैं तो फिर अपने passion पर चलने से क्यों डरते हैं”


उनकी यह स्पीच काफी प्रसिद्ध हुई लेकिन दूसरी बार स्टीव जॉब्स यह भी कहते हैं कि अधिकतर एंटरप्रेन्योर्स फेल हो जाते हैं क्योंकि हर किसी में टिके रहने की इतनी क्षमता नहीं होती। क्योंकि एंटरप्रेन्योरशिप आपकी जिंदगी के कई साल ले लेता है जब कंपनी शुरू करते हैं तो हफ्ते के 7 दिन 18 घंटे काम करना होता है और अधिकतर लोगों में इतना धैर्य नहीं होता इसीलिए अगर आप कुछ करना चाहते हो तो इसके लिए इसकी कीमत चुकाने को भी तैयार हो जाओ। यह खास बात हम नौजवानों को पहले दिन से ही पता होनी चाहिए कि, आप वह करना चाहते हो जो आपको पसंद है तो आपको तीन गुना मेहनत करनी होगी। ऐसा क्यों? चलिए विस्तार से जानते हैं।


1.) खुद को जानें


मान लो अभी आप एक बैंक में काम कर रहे हो आपको लिखना भी बहुत पसंद है आप देखते हो की आजकल इंटरनेट का जमाना है मैं ब्लॉगिंग के साथ-साथ अच्छा author भी बन सकता हूं। फिर मुझे काम का बोझ महसूस नहीं होगा लेकिन फिर आपको पता चलता है कि मार्केट में किसी को भी आपकी गुमनाम किताब का इंतजार नहीं है। पहले से ही बहुत सारे blogs मार्केट में है ओर लोगों के पास बहुत सारी स्क्रिप्ट्स भी है। आपको लिखना भी है खुद को हिम्मत भी देनी हैं, लोगों से मदद भी मांगनी है, मैगजीन और एडिटर्स को ईमेल पर ईमेल लिखने हैं, और तमाम तरह की चीजें करनी है। मतलब आपको अपनी जगह बनाने के लिए अपनी करंट जॉब से कम से कम 3 गुना ज्यादा मेहनत करनी है और सबसे बड़ी मेहनत है खुद को धक्के खाने के लिए मोटिवेट करना लेकिन इससे डरने की बात नहीं है।


यह मौका और संयोग बहुत कम लोगों को मिलता है। असल में किसी को आप के आईडिया और टैलेंट की फिक्र नहीं है। अगर आपको आपकी जगह बनानी है तो आपको एड़ी से लेकर चोटी तक जोर लगाना पड़ेगा यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने अंदर की आग को जिंदा रखो और अपने सपने को सच करो।


2.) गुस्से के नीचे हमेशा डर होता है


कि जब हम किसी बात से लंबे समय तक परेशान होते हैं तो उसका कारण हमारे अंदर ही छुपा होता है। जब हम किसी से नफरत करते हैं तो उसका कारण भी हमारे अंदर ही होता है। नफरत का कारण गुस्सा और गुस्से का कारण डर होता है। ओर डर का कारण अटैचमेंट होता है। नेगेटिव ईमोशन दूसरों को नहीं बल्कि हम पर ही बुरा असर डालते हैं। इसीलिए हम अगर नफरत या गुस्सा बार-बार महसूस करते हैं तो हमें अपने अंदर काम करने की जरूरत है क्योंकि गुस्से के पीछे छिपा हुआ डर जो है, यह जंग की तरह आपकी पूरी जिंदगी में फेल जाता है और आपको किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेने देता।


हम लोग अनजाने में हर चीज का दोष अपने माता पिता बचपन और देश को देने लगते हैं। असलियत में एक डर है कि मुझ में कुछ कमी है जो कई रूप लेता है जैसे fear of rejection, fear of failure असल में हमें इसी डर से निपटना है हर डर के पीछे अटैचमेंट छुपा होता है अटैचमेंट मतलब आसक्ति है। ऐसा नहीं हुआ तो क्या होगा, जो किसी भी चीज से इंसान से, शरीर से, या रिजल्ट से हो सकता है। इससे निपटने का तरीका है अवेयरनेस.. कि यह डर कुछ और नहीं बस आता और जाता हुआ एक विचार है। इसमें कुछ सच्चाई नहीं तब यह कमजोर पड़ने लगता है आप mindfulness, affirmation, visualisation और action की दम पर इस से बाहर निकल सकते हो।


कर्म करते हुए रिजल्ट से फ्री रहना ऐसा सीक्रेट है जिसके जरिए आप Source तक पहुंच सकते हो अटैचमेंट केवल goal या end result से होता है। प्रोसेस से मन शांत होता है इसलिए एक्शन या प्रोसेस पर ध्यान लगाने से अटैचमेंट नहीं होता। अपने कर्म पर मन लगाना या प्रोसेस पर कंसंट्रेशन करना ही डिटैचमेंट है और जब आपके पास यह शक्ति होती है तो डर, नफरत जैसी चीजें आपको परेशान नहीं करती।


3.) जीवन मे अच्छी सीख ओर आदतों को अपनाएं


तीसरी चीज जो हमको सीखना चाहिए कि सबसे अच्छा रिटर्न कहां मिलता है। बिटकॉइन में या रियल स्टेट में या साल का 18 या 20 परसेंट, या फिर चक्रवृद्धि ब्याज से 4 साल में पैसे दोगुने। नहीं….!! सबसे अच्छा रिटर्न मिलता है सेल्फ डेवलपमेंट में मान लो आप ने ₹400 खर्च करके एक ऑनलाइन कोर्स किया और किसी तरह एक अच्छी सीख अपने जीवन में उतार ली। अब यह एक सीख आपको 5 साल में कितना फायदा देगी, आपके लिए कितना रास्ता खोलगी, आपके लिए कितना समय और दवाइयां बचा लेगी, यह आप सोच भी नहीं सकते। 


जब लोग कहते हैं कि मेरी जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा, मैं फसा हुआ हूं। यह साधारण सी दिखने वाली लेकिन काम करने वाली राय होती है। समय का सही उपयोग करो और खाना, सोना और एक्सरसाइज इन तीनों चीजों में एक एक अच्छी आदत सीख लो। यह नई आदतें ना केवल आपको अभी momentum प्रदान करेगी, आप को बाहर निकलने में मदद भी करेगी बल्कि भविष्य में पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों जीवन में आपको फायदा होगा।


4.) बुरे समय में भी मुस्कुराते रहना


आपकी facial muscles दिमाग के चुनिंदा हिस्सों में hardwired हैं अगर आपको बुरा लगता है तो दिमाग का एक छोटा सा neural network activate होता है इस एक्सपीरियंस को कैलकुलेट करने के लिए इसके साथ ही आपके चेहरे पर शिकन भी आ जाती है। facial feedback hypothesis के अनुसार अगर आप जानबूझकर मुस्कुराते हैं तो दिमाग का दूसरा हिस्सा एक्टिवेट होता है और दिमाग को लगता है कि सब बढ़िया है और दिमाग कुछ समय के लिए स्ट्रेस रिलीफ हार्मोन या Endorphins भी छोड़ता है और कुछ देर के लिए आपका दिमाग और शरीर खुशी महसूस करता है।


बुक हैप्पीनेस एडवांटेज के लेखक Shawn Achor विभिन्न रिसर्च से यह साबित करते हैं की सफलता के पहले खुशी आती है क्योंकि जब आपका दिमाग खुशी महसूस करता है तो will power, patience और creativity जैसी क्वालिटी आपके अंदर बढ़ जाती है। कहानी में ट्विस्ट यह है कि जब आप जानबूझकर मुस्कुराते हो तो मुस्कुराने का इफेक्ट केवल 5 मिनट तक रहता है यानी आपको मुस्कुराते रहना होगा तो अब सवाल यह है कि क्या मुस्कुराने की हैबिट सीखी जा सकती है?


इस पर कोई खास रिसर्च या टिप्पणी नहीं है लेकिन हम एक बात कह सकते हैं कि आप दूसरी हैबिट सीख सकते हो जो आपके चेहरे पर मुस्कुराहट ला दे। यानी आपकी खुशी बढ़ा दे इसमें से एक खास है gratitude जब आप इस इमोशन को महसूस करते हो, जब भी आप धन्यवाद व्यक्त करते हो तो आप का स्ट्रेस रिलीज होता है और अपने आप चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। अगर आप काम के बीच में रिमाइंडर लगा कर कुछ अच्छी बातें सोच कर मुस्कुरा सकते हैं तो आपकी इच्छा शक्ति और फोकस में इजाफा होता है।


जल्दी-जल्दी करने के बजाय आप जहां भी हो चाहे बाजार के शोर में खड़े हो या रेलवे स्टेशन की धक्का-मुक्की में खड़े हो लेकिन आप जो भी करो बड़े प्यार से करो तो आपके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाएगी और यह बात हम जितनी जल्दी सीखे उतना अच्छा।


5.) आपकी भावनाओं का अभ्यास करें


आप रोते हुए पैदा हुए थे लेकिन आप बोर या गुस्सा होते हुए भी पैदा नहीं हुए थे। यह रिएक्शन हमने यहीं सीखे हैं। 1840 में विलियम जेम्स ने कहा की इमोशन और आपके शरीर में एनर्जी का कुछ लेना देना है। इमोशन असल में रिएक्शन है आपके अंदर एनर्जी पैटर्न के बदलने से दिमाग को एक सिग्नल जाता है, इस मैसेज की प्रति दिमाग और शरीर रिएक्ट करता है हम चाहे तो इस रिएक्शन को बदल सकते हैं। यानी नया एक्शन सीख सकते हैं। अपने नेगेटिव इमोशन पर नए एक्शन लेने की कला आपको जल्दी सीख लेनी चाहिए क्योंकि जब हम इमोशनली रिएक्ट करते हैं तो अपना मूड एनर्जी और समय खराब करते हैं। आप सोचो अगर आप अपने इमोशन का 80 परसेंट टाइम सही से हैंडल कर लो तो आप अपने लिए कितना समय और एनर्जी बचा सकते हो इसीलिए नेगेटिव इमोशन पर एक्शन लेने की कला हमें जल्दी सीख लेनी चाहिए।


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