5 किलोमीटर नदी पार करके जाते थे स्कूल पिता ने कर्ज लेकर Upsc की तैयारी कराई बेटा बना IAS

Ias Veer Pratap Singh Success Story In Hindi: जब आपका मनोबल दृढ़ होता है, तो कोई भी बाधा आपके लक्ष्य को प्राप्त करने से नहीं रोक सकती है। इसका जीता-जागता उदाहरण है, बुलंदशहर के वीर प्रताप सिंह का जीवन। उनके पिता ने उधार लेकर उनकी शिक्षा को संभाला, लेकिन उन्होंने कभी भी गरीबी को अपने सपनों का दुश्मन नहीं बनने दिया। वीर प्रताप सिंह राघव ने अपनी मेहनत और लगन से पैसों की कमी को अपनी पढ़ाई का बहाना नहीं बनाया। Ias Veer Pratap Singh Success Story In Hindi

वीर प्रताप सिंह का शुरुआती जीवन 

वीर प्रताप सिंह राघव का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. उनके परिवार की आर्थिक हालत बहुत खराब थी. उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए बहुत कष्ट उठाए. उनके बड़े भाई का सपना था कि वे सिविल सेवा में जाएं. लेकिन उन्हें पैसों की कमी के कारण अपना सपना त्यागना पड़ा और उन्हें सीआरपीएफ में भर्ती होना पड़ा. उन्होंने अपने छोटे भाई को अपने सपने को पूरा करने का साथ दिया. उनके पिता ने ब्याज पर पैसा लेकर उनकी शिक्षा का खर्च उठाया. वीर ने अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरा और यूपीएससी की परीक्षा में तीसरी कोशिश में 92वीं रैंक हासिल की. इस तरह वे दलतपुर गांव के गौरव बने और अनेक युवाओं को प्रेरित किये.

Ias Veer Pratap Singh Success Story In Hindi

स्कूल जाने के लिए रोज 5 किलोमीटर का सफर करते थे

वीर के गांव से स्कूल तक का रास्ता पांच किलोमीटर का था. वे रोज़ इस दूरी को चलकर पार करते थे और इसी तरह उन्होंने पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई कर ली. उन्हें कभी-कभी नदी को भी पार करना पड़ता था, क्योंकि वहां पुल नहीं था. लेकिन वे कभी भी हिम्मत नहीं हारते थे. वीर प्रताप सिंह ने प्राथमिक शिक्षा करौरा के आर्य समाज स्कूल से और उच्च माध्यमिक शिक्षा शिकारपुर के सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर से प्राप्त की. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 2015 में बीटेक की डिग्री हासिल की. उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट दर्शनशास्त्र था. यह रोचक बात है कि वे इंजीनियरिंग के बैकग्राउंड के होते हुए भी यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में दर्शनशास्त्र में सबसे ज्यादा अंक लाकर दूसरे स्थान पर आए।

सफलता का कोई भी आसान रास्ता नहीं है जी जान से मेहनत करनी होगी

वीर प्रताप सिंह राघव ने एक इंटरव्यू में अपनी सफलता की कहानी बताते हुए कहा कि हम जानते हैं कि अधिकांश सिविल सेवक शहरी वर्ग से आते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो गांव के परिवेश से उभरकर आईएएस बन जाते हैं. उन लोगों का संघर्ष बहुत अधिक होता है. उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी के बारे में यह बताया कि सफलता पाने का कोई आसान रास्ता नहीं होता, जो व्यक्ति अपने लक्ष्य के लिए दिल-जान से मेहनत करता है वह आखिरकार सफल होता है.

दो बार असफल हुए पर हिम्मत नहीं हारी

वीर प्रताप सिंह राघव ने 2016 और 2017 में भी आईएएस की परीक्षा दी, पर उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली। वे इस असफलता से उदास तो हुए, पर अपने आत्मविश्वास को नहीं खोया। उन्होंने अपनी मेहनत और तैयारी को निरंतर बनाये रखा। उनके परिवार को उधार लिया हुआ पैसा चिंता का कारण बनता जा रहा था, लेकिन उन्हें यकीन था कि वे एक दिन अपना लक्ष्य पाकर इन सब ब्याज को चुका देंगे।

वीर के जीवन में कई मोड़ आए जहां गरीबी ने उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश की लेकिन वे कभी भी अपने इरादों से नहीं डिगे न ही थमे. उनके लगातार प्रयासों का ही फल है कि दो बार फेल होने के बाद भी उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और अपना लक्ष्य पाने के लिए जारी रखा. वीर की कहानी हमें यह बताती है कि जिनकी इच्छाशक्ति मजबूत होती है, उनके सामने कोई भी रुकावट नहीं आ सकती है.

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