Madhav Sadashiv Golwalkar Quotes In Hindi
● मानव स्वयं पर अनुशासन के कठोरतम बंधन तब बड़े आनन्द से स्वीकार करता है, जब उसे यह अनुभूति होती है कि उसके द्वारा कोई महान कार्य होने जा रहा है
– सदाशिव गोलवलकर
● स्वतन्त्रता तो उसी को कहेंगे जिसके अस्तित्व में आने पर हम अपनी आत्मा का, राष्ट्रीय आत्मा का दर्शन करने में तथा स्वयं को व्यक्त करने में सामर्थ्यवान हों .
– सदाशिव गोलवलकर
● मनुष्य के आत्मविश्वास में और अहंकार में अंतर करना कई बार कठिन होता है
– सदाशिव गोलवलकर
● सेवा करने का वास्तविक अर्थ है – हृदय की शुद्धि; अहंभावना का विनाश; सर्वत्र ईश्वरत्व की अनुभूति तथा शांति की प्राप्ति
– सदाशिव गोलवलकर
● इस बात से कभी वास्तविक प्रगति नहीं हो सकती कि हम वास्तविकता का ज्ञान प्राप्त किये बिना अंधों की भांति इधर-उधर भटकते फिरें.
– सदाशिव गोलवलकर
● मानव के हृदय में यदि यह भाव आ जाय कि विश्व में सब-कुछ भगवत्स्वरूप है तो घृणा का भाव स्वयमेव ही लुप्त हो जाता है.
– सदाशिव गोलवलकर
● सेवाएँ अपने चारों ओर परिवेष्टित समाज के प्रति भी अर्पित करनी चाहिए
– सदाशिव गोलवलकर
● हमारी मुख्य समस्या है – जीवन के शुद्ध दृष्टिकोण का अभाव और इसी के कारण शेष समस्याएँ प्रयास करने पर भी नहीं सुलझ पातीं
– सदाशिव गोलवलकर
● जब अन्य लोग भयभीत हो गये तो तब हमे दृढ़तापूर्वक खड़ा रहना चाहिए यदि हम भी भयभीत होंगे तो असहाय लोग किसकी ओर देखेंगे।
– सदाशिव गोलवलकर
● सच्ची शक्ति उसे कहते हैं जिसमें अच्छे गुण, शील, विनम्रता, पवित्रता, परोपकार की प्रेरणा तथा जन –जन के प्रति प्रेम भरा हो. मात्र शारीरिक शक्ति ही शक्ति नहीं कहलाती.
– सदाशिव गोलवलकर
● मनुष्य के लिए यह कदाचित अशोभनीय है कि वह मनुष्य- निर्मित संकटों से भयभीत रहे
– सदाशिव गोलवलकर
● भारत – भूमि इतनी पावन है कि अखिल विश्व में दिखाई देनेवाला सत तत्व यहीं अनुभूत किया जाता है, अन्यत्र नहीं.
– सदाशिव गोलवलकर
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