मोंक की तरह कैसे सोचें ओर फोकस करें | Think like a monk in hindi

मोंक की तरह कैसे सोचें ओर फोकस करें | Think like a monk in hindi


मोंक की तरह कैसे सोचें ओर फोकस करें | Think like a monk in hindi


अगर हमें बास्केटबॉल सीखना है तो हमें माइकल जॉर्डन को स्टडी करना पड़ेगा, और अगर इन्वेस्टमेंट करनी है तो बहुत सारी बुक पढ़ना पड़ेगी जो वॉरेन बफे ने पड़ी थी। और अगर हमें इनोवेशन और नए आईडिया सीखना है तो हमें एलोन मस्क को स्टडी करना पड़ेगा। लेकिन अगर हमें एक स्ट्रांग सुपर फोकस रिमाइंड चाहिए तो हमें मोंक को स्टडी करना पड़ेगा, इसके लिए हमें यह सोचना होगा कि मोंक कैसे सोचते हैं। इसके लिए हमें मोंक को स्टडी करने की जरूरत नहीं है बस यह सीखना है कि वह सोचते कैसे हैं। और आज की इस पोस्ट में हम दिमाग को फोकस्ड रखने के लिए जय शेट्टी की बुक थिंक लाइक अ मोंक से मोंक के सोचने का तरीका सीखेंगे तो उसके लिए सबसे पहला पॉइंट है।


1. चीजों से ज्यादा प्यार ना रखो


श्रीमद्भागवत गीता में एक कविता है जिसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी भी चीज को खुद के पास ना रखो, कुछ मत खरीदो, बल्कि इसका मतलब यह है कि आप अपनी मनमर्जी की चीजों को लो लेकिन उसके साथ पूरी तरह से अपने आपको मत जोड़ लो इसका मतलब यह कि अगर कल को आपसे कोई वह चीज ले लेता है तो आपका दिमाग उससे डिस्टर्ब ना हो। हमें चीजों का मालिक बनना है ना कि ऐसी स्थिति बनानी है कि चीजें हमारी मालिक बन जाएं।


तो अब सवाल यह आता है कि क्या करें कि हम मेंटल डिस्टर्ब ना हो इसके लिए इस बुक के ऑथर 3 स्टेप्स बताते हैं जिसमें पहला स्टेप है


1. आप क्या करते हैं।


आजकल हम लोगों को पता ही नहीं है कि हम रियल लाइफ में है कौन, हम चाहते क्या हैं? हमारी पहचान ऐसी है जैसे हम कोई शीशे के सामने खड़े हैं और उस शीशे में धूल लगी है। इसके लिए हमें आत्मनिरीक्षण करना पड़ेगा हमें यह जानना पड़ेगा कि हम अपना टाइम कहां यूज करते हैं, कहां अपना टाइम बिताते हैं, क्या वह कोई बुक्स है या नॉलेजेबल कॉन्टेंट है, या फिर कोई बेमतलब की वस्तु है हमें देखना पड़ेगा कि हम अपने पैसे को कहां इन्वेस्ट करते हैं नेटफ्लिक्स की सब्सक्रिप्शन में, या फिर कोई उपयोगी बुक्स ओर वस्तु में।


2. रोकना


बुक के ऑथर कहते हैं कि हमारी लाइफ में 7 तरह के नेगेटिव लोग हैं जिन्हें हमें अवॉइड करना ही करना है। 


जिनमें सबसे पहले वह आते हैं जो शिकायत करते रहते हैं। जो यह कहते रहते हैं कि आज आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन है।


दूसरे टाइप के लोग हैं cancellers जिन्हें अगर हम बोले कि यार तू बहुत अच्छा लग रहा है तो वह बोलेगा क्यों कल अच्छा नहीं दिख रहा था? 


और तीसरे टाइप के लोग आते हैं casualtie यानी जिन्हें लगता है कि पूरी दुनिया उनके खिलाफ है उन्हें अनसक्सेसफुल बनाने के लिए कोई साजिश रची गई है।


critics जो हमें कहेंगे मुझे तुम्हारा ओपिनियन नहीं चाहिए समझे।


commanders यह वह लोग होते हैं जो चाहते हैं कि आप पूरा दिन बस इनके साथ ही टाइम वेस्ट करते रहें।


competitors जो कहते हैं कि मेरी सक्सेस तेरी सक्सेस से बड़ी है।


controllers ऐसे लोग यह चाहते हैं कि बाकी सारे लोग उन्हीं की मर्जी से चलें।



ऑथर कहते हैं कि हमें इन साथ लोगों को तो अवॉइड करना ही है लेकिन साथ में हमको 75 – 25 रूल को फॉलो भी करना है जो कहता है कि कम से कम हमें अपना 75% टाइम पॉजिटिव लोगों के साथ गुजारना चाहिए और बाकी 5% से ज्यादा टाइम नेगेटिव लोगों के साथ स्पेंड नहीं करना है।  हम इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि अगर हमारी जिंदगी में एक नेगेटिव पर्सन है तो उसके साथ ही हमारे साथ कम से कम 3 पॉजिटिव इंसान तो होना ही चाहिए।


3. बदलना


इसमें ऑथर कहते हैं कि अब हमें नेगेटिव इन्वायरमेंट को बदलना है अपने पॉजिटिव इन्वायरमेंट से जिसके लिए हमें 3 “S formule” को फॉलो करना है इस 3, S में सबसे पहला S कहता है। 

Control your sights यानी सुबह उठते ही है हमें अपना फोन नहीं देखना चाहिए बल्कि कोई पॉजिटिव विचार या कोई आर्ट वर्क, या फिर कोई नेचर सीन या फिर फैमिली की फोटो हमें देखना चाहिए।


control your scents यानी अपने आसपास ऐसी खुशबू का एनवायरनमेंट रखो जो हमें पॉजिटिव चीजों की याद दिलवाए जैसे कि लेवेंडर या यूकेलिप्टस।


control your sounds रिसर्च बताती है कि बिना मतलब की आवाजें हमारे दिमाग को थका देती है इसलिए हमें अपने आसपास ऐसा एनवायरमेंट रखना चाहिए जिससे कि हमारे आसपास शांत आवाजें जैसे कि कोई मोटिवेशनल सॉन्ग या कोई भजन जो कि हमें पॉजिटिव रखें।



2. बढ़ना


ऑथर कहते हैं कि अगर हमें अपनी लाइफ में आगे बढ़ना है तो हमें अपने धर्म को फॉलो करना पड़ेगा इसमें धर्म का मतलब रिलीजन नहीं है बल्कि वर्ण + सेवा है वर्ण का मतलब है हमारा जुनून या हमारी कोई एक्सपर्टीज और सेवा का मतलब है दुनिया की सेवा। यानी कि हम तब सफल तब होंगे जब अपनी एक्सपर्टीज मतलब जिस काम मे हम अच्छे हैं उससे लोगों की हेल्प करेंगे और जब हम यह अपना धर्म अपनाते है तब हम वास्तव में खुशी का अनुभव करते हैं। grow होने के लिए ऑथर हमें बेस्ट डेली रूटीन भी बताते हैं जिसमें सबसे पहले यह है कि 1 दिन पहले ही यह डिसाइड कर लो कि हमें अगले दिन क्या अचीव करना है। दूसरा.. हमें 4 चीजों के लिए टाइम निकालना चाहिए जिसमें पहले आता है। thankful – यानी हर रोज आपकी लाइफ में क्या पॉजिटिव हो रहा है उसके लिए टाइम निकालो।

insights – इसमें हम बुक्स या ऑडियोबुक्स सुन सकते हैं।

meditation – मेडिटेशन के लिए टाइम निकालो चाहे वह दिन में सिर्फ 10 मिनट ही क्यों ना हो।

exercise – एक्सरसाइज के लिए टाइम निकालो फिर वह सिर्फ 15 मिनट की एक्सरसाइज क्यों ना हो।

give – इसमें ऑथर अपनी एक कहानी बताते हैं कि जब वह मोंक बनने गए थे तब उन्हें उनके टीचर ने और बाकी लोगों से कहा कि तुम सब एक पेपर में अपनी लाइफ का कोई ऐसा इंसीडेंट लिखो जो तुम्हें लगता हो कि तुम डिज़र्व नहीं करते थे। इस पर सब लोग पहले तो कंफ्यूज हो गए फिर सब अपनी लाइफ का इंसीडेंट लिखने लगे।


जय शेट्टी ने अपनी लाइफ का वह एक्सपीरियंस लिखा जहां पर उन्हें उनके दोस्त ने उन्हें धोखा दिया था 15 मिनट के बाद जब सभी लोगों ने अपने नोट्स दिखाए तो हर इंसान ने अपनी लाइफ का कोई ना कोई नेगेटिव इंसीडेंट लिखा था इस पर उनके मोंक टीचर ने उनसे कहा कि यह सारी बाते जो तुमने लिखी हैं वह सब सच है लेकिन यह सब नेगेटिव है तुम सब को ऐसा क्यों लगता है कि जो भी तुम्हारी लाइफ में पॉजिटिव चीजें हुई वह तुम डिजर्व करते हो तुम सब अपने फैमिली मेंबर्स के बारे में भी तो लिख सकते थे जिन्होंने तुम्हारी लाइफ को इंप्रूव करने के लिए इतना टाइम वेस्ट किया है जितना तुमने खुद नहीं किया।



इसलिए एक बहुत अच्छी बात है जो उन सभी ने उस मोंक टीचर से सीखी थी वह था gratitude यानी जो भी पॉजिटिव चीजें हमारी लाइफ में होती हैं स्पेशली छोटी-छोटी चीजें उनके लिए भी हमें थैंकफूल होना चाहिए। और यह बात कई सारी रिसर्च भी प्रूफ कर चुकी है कि gratitude यानी हर छोटी सी बात के लिए भी thankful होना यह डायरेक्ट रिलेटेड है हमारी खुशी से और इसके बाद ऑथर कहते हैं कि मैं हर चीज के लिए थैंक फुल होने लगा था जब वह 9 साल के थे तब वह पहली बार भारत आए और जब रेड सिग्नल पर उनकी गाड़ी रुकी तो उन्होंने वहां एक छोटी बच्ची देखी जिस की टांग नहीं थी और वह झुकी हुई थी कूड़े के डिब्बे से कुछ निकालने के लिए और जब वह सीधी खड़ी हुई तो उन्होंने देखा कि उसके तो हाथ भी नहीं थे इसके बाद वह जब फाइव स्टार होटल में पहुंचे जहां पर उन्हें रुकना था तो वहां पर एक बच्चा अपने माता-पिता पर गुस्सा हो रहा था कि उसे मैन्यू में दी गई कोई भी चीज पसंद नहीं है यह इंसिडेंट उन्हें बाद में याद आया जब उन्होंने मोंक की ट्रेनिंग ली की वह लंदन में अपनी कम्युनिटी के साथ कितनी पार्टी करते थे लेकिन दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो हर रोज इन चीजों के लिए काम कर रहे हैं कि उन्हें सिर्फ दो वक्त का खाना ही मिल जाए। और उन्होंने सीनियर मोंक की दी हुई शिक्षा के बाद छोटी छोटी चीजों के लिए भी थैंकफूल होने लगे।


श्रीमद्भागवत गीता में एक कविता है जो कि कहती है कि एक अज्ञानी इंसान खुद के लिए काम करता है जबकि एक बुद्धिमान इंसान दुनिया को बेहतर बनाने के लिए काम करता है।


कहते हैं कि संस्कृत में एक शब्द है मुदिता जिसका अर्थ है जिसका मतलब है कि “दूसरों की खुशी में खुश होना” अगर हम सिर्फ अपने ही खुशी में खुश होंगे तो हमें बहुत कम मौके मिलेंगे खुश होने के अगर हम औरों की अचीवमेंट में भी खुश हो जाते हैं तब हमारी हैप्पीनेस 50 से 60 गुना बढ़ जाती है और इतना ही नहीं इससे हमारा रिलेशनशिप बाकी और लोगों के साथ स्ट्रांग भी हो जाता है।



अगर हमें भी एक मोंक की तरह सोचना है तो हमें एक मोंक की तरह होना भी पड़ेगा जिसका मतलब है कि बिना मतलब के लोगों को देना।