सबसे बड़ा जादूगर हिंदी कहानी – sabse bada jadugar hindi kahani

सबसे बड़ा जादूगर हिंदी कहानी – sabse bada jadugar moral story in hindi


( एक बार एक राजा के दरबार में एक जादूगर आता है। )

“महाराज को मेरा आदाब में कई मुल्कों में घूम चुका हूं कई बड़े-बड़े राज दरबारों में मुझे इज्जत मिल चुकी है मुझे खुशी है कि मैं आप के दरबार में अपनापन दिखाने जा रहा हूं महाराज अगर आपकी इजाजत हो तो मैं…”


“इजाजत है..!!”


“तो राजदरबारीयों अब आप तैयार हो जाइए बगैर पलक झपकाए मेरा जादू देखने को, मेरा जादू कोई मंत्र तंत्र का मायाजाल नहीं है। मेरे दोस्तों यह हाथ की सफाई है, नजरों का धोखा है बिजली सी तेज निगाह चाहिए मेरे जादू को समझने के लिए तेनालीराम जी इसमें अकल की जरूरत नहीं आंखों में तेज़ी चाहिए.. आंखों में तेजी..! ”


“यह देखिए.. यह कबूतर का बच्चा, यह कबूतर का प्यारा सा बच्चा यह लो मैं इस पर यह रुमाल रखता हूं। यह रख दिया सभी लोग 10 तक गिनती अपने दिल में गिनेंगे मगर हां आंखें ना हटे मेरे हाथ से नहीं तो कबूतर का बच्चा भाग जाएगा… हां देखते रहिए जनाब देखिए, अरे.. अरे… मेरे हाथ को तो कुछ और लग रहा है रूमाल हटाकर देखते हैं” “अरे यह तो अंडा है”


➡ प्रेमचन्द जुर्माना हिंदी कहानी – munshi premchand jurmana hindi kahani


महाराज आप के दरबार में जितने दरबारी हैं सबकी नजरें कमजोर हैं कोई नहीं पकड़ पा रहा, कोई भी नहीं पकड़ पा रहा।


अब देखिए मेरे दोनों हाथ खाली हैं और मैं अपने बाएं हाथ पर रुमाल रखता हूं यह देखिए यह वाला लाल रुमाल.. अंडा.. अंडा.. अंडा.. एक के दो बन जा अंडा अरे यह देखिए एक से दो बनते जा रहे हैं अंडे, यह लो.. यह लो.. हो गया दो अब मैं रुमाल उठाता हूं। अरे यह क्या.. यह तो सोने की अशर्फी बन गया अरे भई अंडे का क्या? हुआ कहां चला गया अंडा? कहां चले गए अंडे, आप सब भी तो देख रहे थे। अरे एक राजा के दरबारी इतने नालायक हैं इतने नालायक की अंडे को आते -जाते भी नहीं देख पाते


“अब देखिए मैं इस अशर्फी को हवा में उछाल देता हूं, अब बताना कहां गई। यह देखिए यह एक सोने की अशर्फि मेरे हाथ में अब मैं इसे हवा में उछाल देता हूं देखते रहिए यह अशर्फी.. अरे.. अरे.. कहां गई अरे कहां गई भाई.. अरे कहां चली गई में तो फेंकने में मशगूल था पर आप तो देख रहे थे तेनालीराम जी.. देख रहे थे ना तेनालीराम जी.. क्यों देख रहे थे ना? आप तो बड़े अकलमंद है.. फिर भी नहीं पकड़ पाए नहीं पकड़ पाये मेरे मिट्टी के माधव ”


➡ अंधी भिखारिन हिंदी कहानी – Hindi moral story on rich and poor


“अब देखिए तेनालीराम जी मैं आपकी हर कुर्सी गायब कर दूंगा.. चलिए छोड़िए बहुत बेज्जती हो गई.. बहुत बेज्जती हो गई.. अच्छा यह देखिए यह सोने की अंगूठी है मेरे हाथ में तेनालीराम जी जरा फूंक मारीये इसमें। अरे.. अरे.. आप तो गुस्सा हो रहें है आप बस फूंक मारीये इसमें। यह तो सब खेल है सच थोड़ी है बस फूंक मारीये इस पर”


“अरे फूंक मारने में सोने की मोहरें थोड़ी ना लगती हैं”


“तेनालीराम फूंक मारते हैं”


“अरे यह क्या..? यह तो सोने की अंगूठी से बन गया सोने का कंगन, अरे तेनालीराम जी यह जादू तो मैंने आपकी आंखों के सामने किया और आपको मालूम भी नहीं पड़ा पर कहने को तो आप बड़े ही अकलमंद है फिर भी मेरा जादू नही पकड़ पाए?”


“महाराज मेरे पास जादू तो कई सारे हैं लेकिन मैं जानना चाहता हूं की इस दरबार में है कोई ऐसा है जिसके हाथों में खुजली हो जो मुझ जैसा ना सही लेकिन मेरे जैसा करतब दिखा सके। है कोई माई का लाल इस दरबार में, जो वह करके दिखाएं जो मैं कर सकता हूं है कोई ऐसा… अगर है तो मैं उसे मुंह मांगी शह दूंगा”


➡ स्वावलंबन पर हिंदी कहानी राजा और मंत्री – Hindi moral story on Self-reliance


तेनालीराम – “मंजूर है..!! देखो जादूगर अब मैं बंद आंखों से जो करने जा रहा हूं वह तुम्हें खुली आंखों से करना है”


“तेनालीराम जी अगर तुम कोई काम बंद आंखों से कर सकते हो और अगर उस काम को मैं खुली आंखों से नहीं कर पाया तो मैं तुम्हारा गुलाम हो जाऊंगा नहीं तो तुम मेरे गुलाम.. कहो मंजूर है”


“मंजूर है”


जादूगर – “बस थोड़ी ही देर के बाद एक आदमी की आजादी खत्म होने वाली है या तो मै तेनालीराम जी का गुलाम बनूंगा या तो वह मेरे गुलाम बनेंगे.. मेरा पट्टा तेनालीराम के गले में रहेगा, हा.. हा… हा..”


➡ पानी का धन पानी में – Hindi moral story on greed


“देखो जादूगर अब मैं बंद आंखों से जो करने जा रहा हूं वह तुम्हें खुली आंखों से करना होगा”

( तेनालीराम अपने एक दरबारी से पिसी हुई लाल मिर्च मंगवाते हैं )


जादूगर सोचता है; “यह क्या लाल मिर्च अब तेनालीराम अपनी बंद आंख पर लाल मिर्च रखेगा और मुझे अपनी खुली आंख पर यह रखनी पड़ेगी”


तेनालीराम अपनी की बंद पर लाल पर लाल मिर्च डालते हैं.!


जादूगर फिर सोचता है;  “नहीं.. नहीं.. नहीं.. मैं यह नहीं कर सकता मैं यह नहीं कर सकता अब क्या करूं मुझे माफी मांगी होगी मैं.. मैं.. तेनालीराम से माफी मांग लेता हूं नहीं तो लाल मिर्च मेरी आंखों में..”



तेनालीराम – “हां अब तुम करो”


“तेनालीराम तुम बहुत चतुर हो मैं तुम्हारी चतुराई के आगे हार गया मैं कुछ नहीं कर पाया तुम वाकई बहुत चतुर हो, तुम बहुत बुद्धिमान हो, मैं.. मैं.. यह सब नहीं कर सकता मुझे  तुम्हारी गुलामी मंजूर है तेनालीराम।”


“मुझे तुम्हें गुलाम नहीं बनाना है जादूगर.. बस तुम्हें यह कसम खानी पड़ेगी कि कभी बेअदबी नहीं करोगे और किसी का मजाक नहीं उड़ाओगे, घमंड नहीं करोगे, हमेशा मीठा बोलोगे”


“हां.. हां.. मैं कसम खाता हूं तेनालीराम जी मैं कभी किसी से बेअदबी नहीं करूंगा, किसी का मजाक नहीं उड़ाऊंगा कभी घमंड नहीं करूंगा साथ ही साथ सबके साथ मीठा बोलूंगा”


“अब जाओ तुम आजाद हो”


राजा – “तेनाली तुम तो सबसे बड़े जादूगर निकले”


“मैं समझा नहीं महाराज”


“जो आदमी एक घमंडी आदमी को बदतमीज आदमी को तमीजदार बना दे उससे बड़ा जादूगर कौन हो सकता है।


 एक अमीर मूर्तिकार की हिंदी कहानी – Hindi story on karma


कहनी से मिली सीख


अपने आप को बहुत ज्यादा ज्ञानी समझकर कभी भी किसी से बदतमीज़ी या मज़ाक उड़ा कर बात नही करना चाहिए, हो सकता है जिसे तुम बेवकूफ समझ रहे हो वो तुमसे भी ज्यादा बुद्धिमान हो, तेनालीराम भी काफी बुद्धिमान थे लेकिन उन्होंने कभी इसका घमंड नही किया।


➡ रामू ईमानदार नौकर की कहानी – Moral hindi story on honesty