सुंदर पिचाई की इंस्पिरेशनल स्पीच – sundar pichai inspirational speech in hindi

सुंदर पिचाई की इंस्पिरेशनल स्पीच – sundar pichai inspirational speech in hindi

सुंदर पिचाई की इंस्पिरेशनल स्पीच - sundar pichai inspirational speech in hindi

सुंदर पिचाई आईआईटी खड़गपुर की स्पीच में कहते हैं कि मुझे याद है कि हमने घंटों लाइन में खड़े होकर इंतजार किया फिर जाकर टेलीफोन कनेक्शन की मंजूरी मिली पहले फोन फिर रेफ्रिजरेटर घर में आया और मैंने महसूस किया कि टेक्नोलॉजी से कितना अंतर आता है। अब मां को खाना और सब्जियां खराब होने की चिंता नहीं होती और फोन से कोई भी जरूरी बात तत्काल की जा सकती है पिचाई कहते हैं तब से मेरे अंदर टेक्नोलॉजी के लिए लगाव पैदा हो गया।


दूसरी बात पिचाई कहते हैं कि पिताजी मुझे जॉब के बारे में छोटी-छोटी डिटेल्स बताया करते थे जिनके बारे में जानकर मुझे काफी एक्साइटमेंट होता था सुंदर पिचाई सरल और विनम्र स्वभाव के लीडर हैं ओर यह बात उनकी पर्सनालिटी में साफ झलकती है बाकी कंपनियों की तरह गूगल में भी पॉलिटिक्स होती है एक टीम दूसरी टीम से Compete करती रहती है और इन टीम के सीनियर मैनेजर मीटिंग में अपना प्रभाव जमाने के लिए अपना बुद्धि बल दिखाने की कोशिश करते हैं ऐसे में सुंदर पिचाई की पर्सनालिटी काफी काम आई। वह सब की बात सुनते हैं कभी किसी की बात नहीं काटते ना आवाज ऊंची करते हैं फिर आखरी में धीरे से अपनी बात रखते हैं। सही लगे तो सामने वाली की बात मान भी लेते हैं उनके साथ काम करने वाले कई लोग कहते हैं कि कितना भी टेंशन हो जाए सुंदर पिचाई के चेहरे पर शिकन भी नहीं आती उन्होंने हमेशा दूसरी टीमों से विवाद सुलझाने के लिए बीच का रास्ता निकाला जिससे किसी को भी नुकसान ना हो उन्होंने कभी दुश्मन नहीं बनाएं इसलिए वह गूगल में इतनी गति से ऊपर उठ सके।


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गूगल कंपनी में सुंदर पिचाई की जिम्मेदारी थी गूगल सर्च और टूल बार पर काम करना यह उस समय की बात है जब ब्राउज़र के एड्रेस बार से डायरेक्टली सर्च नहीं कर सकते थे आपको वेबसाइट पर जाकर सर्च करना होता था शॉर्टकट के रूप में गूगल ने टूलबार लांच किया था जो इंटरनेट एक्सप्लोरर में ही इंस्टॉल हो जाता सुंदर पिचाई तब चर्चा में आये जब उन्होंने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट किसी भी दिन अपना सर्च इंजन बनाकर उसे डिफॉल्ट होम पेज बना देगी जब यूजर सीधा होम पेज पर सर्च करेगा तब ना टूल बार की जरूरत पड़ेगी ना google.com पर जाने की खतरा बड़ा था क्योंकि उस समय इंटरनेट एक्सप्लोरर से सालाना 300 मिलियन सर्चस होती थी इसका एक इलाज जो सुंदर साहब ने बताया कि गूगल को अपना वेब ब्राउज़र बनाना चाहिए लेकिन उस समय गूगल के सीईओ लैरी पेज इस आईडिया से सहमत नहीं थे लेकिन सुंदर ने समय रहते 2006 में अपनी बाकी टीम को क्रोम प्रोजेक्ट के लिए सहमत कर लिया प्रोजेक्ट अप्रूव होने के 6 महीने बाद वही हुआ जिसका डर था।


माइक्रोसॉफ्ट ने एक सुबह पूरे गूगल को हिला कर रख दिया 17 अक्टूबर 2006 को माइक्रोसॉफ्ट ने अपने इंटरनेट एक्सप्लोरर का डिफॉल्ट सर्च इंजन गूगल से हटाकर बिंग कर दिया इंटरनेट एक्सप्लोरर हर रोज़ गूगल पर लाखों लोगों का ट्रैफिक लाती थी जिसकी कीमत गूगल के लिए करोड़ों डॉलर में थी गूगल के लिए बड़ी किस्मत की बात थी की सुंदर पिचाई की टीम पहले से ही इस संभावना पर काम कर रही थी सुंदर ने अपनी टीम के साथ मिलकर 24 घंटे के अंदर इंटरनेट एक्सप्लोरर में एक loop hole ढूंढ निकाला जिसकी वजह से जो यूजर्स भी बिंग पर चले गए थे उनके सामने गूगल को वापस डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने का एक पॉपअप ऑप्शन था इस योजना से सुंदर पिचाई की टीम ने पहले हफ्ते गूगल के 60% यूजर को वापस बुला लिया इसके बाद डेल और एचपी जैसे सभी बड़े डिस्ट्रीब्यूटर के साथ डील साइन कर ली कि उनके लैपटॉप में गूगल टूल बार जैसे सॉफ्टवेयर पहले से ही इंस्टॉल रहेंगे इस घटना के बाद डेढ़ साल के अंदर पिचाई और उनकी टीम ने क्रोम लॉन्च कर दिया जिसने एक्सप्लोरर और फायर फॉक्स को पछाड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला ब्राउज़र बन गया इस सफलता के बाद पिचाई का प्रमोशन हुआ। जहां पर वह एंड्राइड का कार्यभार भी संभालने लगे।


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गूगल में एक ऐसा समय आया जब हर कोई उनको अपनी टीम में लाना चाहता था उस समय माइक्रोसॉफ्ट और ट्विटर की तरफ से भी उनको सीईओ और दूसरी बड़ी पोस्ट के ऑफर भी थे तब तक सुंदर गूगल के वर्जन को अपना चुके थे और गूगल ने भी साथ ही साथ उनको प्रमोट कर दिया इनके सीईओ बनने के बाद अल्फाबेट के स्टॉक प्राइस 90% तक बढ़े।


सुंदर कहते हैं: keep pushing your Limits


वह पढ़ाई में अच्छे तो थे ही साथ ही साथ वह क्रिकेट के भी दीवाने थे वह अपने स्कूल के क्रिकेट टीम की कप्तानी भी करते थे अपनी लगन और मेहनत के बल पर उन्होंने हर जगह टॉप किया और फिर आईआईटी में उन्हें रजत पदक से भी सम्मानित किया गया।


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सीईओ बनने के बाद 2016 के इंटरव्यू में सुंदर कहते हैं कि आज भी घर में 20 – 25 फोन रहते हैं मैं आज भी सब पर एक्सपेरिमेंट करता रहता हूं सुंदर पिचाई के स्वभाव की तरह उनका रूटीन भी बहुत सिंपल है वह कहते हैं कि मैं जल्दी उठना पसंद नहीं करता मैं 6:30 से 7:00 बजे तक उठ जाता हूं उसके बाद वॉल स्ट्रीट जर्नल या किताब पढ़ना पसंद करता हूं मैं सुबह उठकर डिजिटल की जगह कागज पर पढ़ना पसंद करता हूं और रिसर्च कहती है इंस्पायरिंग लिटरेचर नोबेल या किताब पढ़ने से ना केवल आपका मूड अच्छा रहता है बल्कि self-reflection बढ़ता है मेमोरी के साथ-साथ नए विचार सोचने की क्षमता और नए दृष्टिकोण समझने की क्षमता भी बढ़ती है।

सुंदर पिचाई कहते हैं कि मैं नाश्ते के साथ चाय पीना पसंद करता हूं और आराम से बैठकर गूगल और भविष्य के बारे में सोचता हूं।


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अगली बात सुंदर कहते हैं: always Solve a problem


जब मैं ट्रैफिक देखता देखता हूं तो मुझे problem दिखती है कि यह कार इतनी महंगी मशीन है जिसका लोग केवल 10 परसेंट समय उपयोग करते हैं हम इस प्रॉब्लम को कैसे सॉल्व कर सकते हैं टैक्सी शेयरिंग के अलावा हमारे पास क्या ऑप्शन है क्या हम इसके साथ ट्रैफिक की प्रॉब्लम भी सुलझा सकते हैं? दोस्तों इसी तरह की प्रॉब्लम सॉल्विंग अप्रोच हमारी जिंदगी और करियर में भी होना चाहिए जितने भी कमाल के लीडर्स आपको मिलेंगे इनमें एक बात होती है यह लोग अपने से तेज और होशियार लोगों के साथ समय बिताना और काम करना पसंद करते हैं इसलिए पिचाई साहब कहते हैं;

It is always Good to work with people who make you insecure about yourself that way, you will constantly keep pushing your limits जब आप अपने से बेहतर लोगों के साथ काम करते हैं तो आपको नई चीजों के बारे में सीखने को मिलता है अपनी गलतियां और कमियां ज्यादा स्पष्ट होती है शुरू में आपको थोड़ा कष्ट होता है इनसिक्योरिटी भी होती है लेकिन इस प्रोसेस में आप बेहतर इंसान बनते हो।


आखिर में सुंदर पिचाई दो बातें कहते हैं:


हमारे कुछ product launches fail हुए लेकिन हमने हर गलती से सीखा अगर आप failure से सीखते हो तो आपको शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है।

wear yours failures as a badge of honor 

क्योंकि आपको इस सीख की मदद से आगे कुछ ना कुछ अच्छा काम करने का मौका मिलेगा।

आखिर में सुंदर कहते हैं कि हमारे पास बहुत सुख सुविधाएं नहीं थी मैं और मेरा भाई जमीन पर सोते थे लेकिन हमने कभी शिकायत नहीं की बचपन में मैंने अकाल देखा… पानी की बहुत कमी थी मैं आज भी पानी की बोतल अपने पास रख कर सोता हूं।


लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं सोचा कि हम कुछ कर नहीं सकते, हमने कभी अपने सपनों पर लगाम नहीं लगाई हम खुश ओर निर्भय रहते थे क्योंकि शायद हमारा एटीट्यूड सही था।


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