देर तक पढ़ाई पर फोकस करने की 4 टेक्निक – How to study longer in hindi

देर तक पढ़ाई करने की 4 टेक्निक – self study in hindi


देर तक पढ़ाई पर फोकस करने की 4 टेक्निक - How to study longer in hindi



Study tips in hindi/लोग अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते और इसलिए वह असफल हो जाते हैं, क्योंकि वह एक ही जगह पर ज्यादा देर टिक कर नहीं बैठ पाते इसलिए तेज बुद्धि वाले लोग भी अच्छा रिजल्ट नहीं ला पाते यदि आपको लगता है कि आप अपनी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं या फिर आपको लगता है कि आपकी टीम में फोकस की कमी है तो तो चलिए जानते हैं कुछ अन्य अनूठी तकनीकों के बारे में जो परिणाम और फोकस में जबरदस्त सुधार लाने में मददगार साबित हुई है।

1.) 25+5 पोमोडोरो का सिद्धांत

लगातार ज्यादा देर तक पढ़ने से दिमाग थक जाता है, मांसपेशियों में थकान भर जाती है ऐसे में शरीर व दिमाग को आराम की जरूरत होती है लेकिन फिर भी आप पढ़ाई करते हो तो उसका कोई फायदा नहीं होता।

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25+5 पोमोडोरो का सिद्धांत कहता है कि आपको 25 मिनट तक लगातार फुल फोकस के साथ पढ़ना है और उसके बाद 5 मिनट का एक ब्रेक लेना है एक बार में अधिकतम 4 पोमोडोरो किए जा सकते हैं जिसका मतलब है कि एक बार में 100 मिनट तक ही पढ़ना और इसमें भी हर 25 मिनट में  5 – 5 मिनट का ब्रेक। यह तकनीक का मूल मकसद यही है कि आप लगातार लंबी सीटिंग ना करें बल्कि छोटे-छोटे ब्रेक के साथ पढ़ाई करें, इसे करने से कुछ ही समय में आपकी याददाश्त तेज होगी और आप हंसी खुशी पढ़ाई करने लगेंगे और पढ़ाई में मन लगेगा।

पोमोडोरो के सिद्धांत को व्यस्क व वर्किंग लोग भी अपने कार्य स्थलों में आजमा सकते हैं। स्टूडेंट के बजाय बड़े लोग इसी समय को 25 के बजाय 50 मिनट रख सकते हैं आप हर 50 मिनट के बाद अपनी जगह छोड़ कर 10 मिनट का ब्रेक जरूर लें और फिर अपना काम शुरू करें दुनिया के कोने कोने से कई लोग भी अलार्म लगा कर पोमोडोरो के सिद्धांत को अपनाते हैं इस सिद्धांत को लेकर की गई एक रिसर्च के अनुसार इससे कार्य स्थलों पर लोगों के फोकस में काफी सुधार हुआ है।

दोस्तों इस टेक्निक को आप जरूर आजमाएं इससे आप पढ़ाई पर ज्यादा देर तक फोकस कर पाएंगे और पढ़ाई से आपको ऊब भी नही होगी

2.) 10: 1 एक्टिव रीकॉल तकनीक

इस तकनीक के अनुसार यदि किसी छात्र ने 10 पेज पढें हैं तो अब उसे एक पेज का सारांश खुद क्रमवार लिखना चाहिए, जब छात्र खुद अपने पढ़े हुए का सार लिखता है तो वह उसके भीतर समा जाता है। लेकिन अभी दिक्कत क्या है कि किताबों में अध्याय के बाद सारांश लिखे हुए होते हैं या फिर शिक्षक खुद लिखवा देते हैं छात्र उसी सारांश को रट लेते हैं लेकिन उसमें उन्हें किसी विषय की गहरी समझ नहीं आ पाती, जब तक आप खुद से समझकर नही लिखेंगे। इस तकनीक को कार्यस्थल पर भी अपनाया जा सकता है अगर आप अपनी टीम के अंदर कुछ उतारना चाहते हैं तो उनसे किसी मीटिंग या चर्चा के बाद उसका पूरा सार उनसे खुद ही लिखने को कहिए इससे वे उस चर्चा को बेहतर तरीके से समझने की कोशिश करेंगे, इसी तरह एक छात्र भी जो उसने पढ़ा हुआ है उसे खुद ही लिखने की कोशिश करता है तो वह उस विषय को गहराई से समझ पाता है।

3.) The Feynman technique

इस तकनीक का नाम एक साइंटिस्ट, ओर एक बहुत अच्छे टीचर के नाम पर दिया गया है जिनका नाम था रिचर्ड फ़ाइनमैन इन्होंने 1965 में Quantum electrodynamics फील्ड में उनके कार्य के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था उनका मानना था कि अगर आप किसी कांसेप्ट को एकदम सिंपल तरीके से समझा नहीं पाते हैं तो आपकी समझ उसमें अभी कम है।

फाइनमेन टेक्निक ऑफ कई जगह लागू कर सकते हो चाहे आप किसी चीज को समझना चाहते हो या फिर किसी समझी हुई चीज को और गहराई से जानना चाहते हो इस तकनीक के 4 स्टेप्स हैं।

1. सबसे पहले एक टॉपिक चुनो जिसे आप समझना चाहते हो।

सबसे पहले अपने टॉपिक को चुनकर उसकी हेडिंग अपने एक पेज पर लिख लो और उसे पढ़ना शुरू करो पर आपको इस कांसेप्ट को यह ध्यान में रखकर पढ़ना है कि इस कांसेप्ट को किसी छोटे बच्चे या किसी ऐसे इंसान को समझाना है जिसे इस कांसेप्ट के बारे में कुछ भी नहीं पता है, उसे एक्सप्लेन करना पड़ जाए तो आप उसे आसानी से समझा दो इसलिए इस कॉन्सेप्ट को आप एकदम सिंपल तरीके से समझने की कोशिश करो।

2. कॉन्सेप्ट पढ़ने के बाद किसी ओर को सीखना

उस कांसेप्ट को समझने के बाद आप यह समझो कि आपको उसे किसी बच्चे को समझाना है या फिर आपके सामने कोई ऐसा इंसान है जिसे उस कॉन्सेप्ट के बारे में कुछ भी नहीं मालूम बस फिर उस टॉपिक को आपको पेपर में लिखते हुए लाउडली उस आदमी को समझाना है।

3. जब आप कहीं अटक जाते हैं तो वापस अपनी बुक देखें

अगर आप उस कांसेप्ट को समझाते हुए कहीं फस जाते हो जो कि होगा ही तो आप तुरंत अपने टेक्सटबुक्स से उसे फिर से समझ सकते हो इस स्टेप्स को आप तब तक फोलो करो जब तक आप उस स्टेप्स को प्रॉपर्ली फॉलो नहीं कर लेते।

4. अपनी भाषा सरल बनाये

अगर आपने एक्सप्लेनेशन में कुछ डिफिकल्ट वर्ड का यूज किया हो और आपको अपना एक्सप्लेनेशन थोड़ा कन्फ्यूजिंग लगता हो तो इसका मतलब हुआ कि आपने उस उस कंसेप्ट को अभी अच्छे से नहीं समझा है, इसलिए आपको फिर से बहुत ही सिंपल वर्ड में कांसेप्ट को एकदम सिंपल बनाते हुए एक्सप्लेन करना होगा।

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अगर आप इन 4 स्टेप्स को फॉलो करते हो तो आप धीरे-धीरे अपने कांसेप्ट में मास्टर बनते जाओगे ऐसा भी हो सकता है कि शुरू में आपको इस तकनीक को लागू करने में थोड़ी परेशानी हो पर जब आप इस तकनीक को सही से अप्लाई करना सीख जाओगे तो आपको किसी कांसेप्ट को समझना और एग्जाम के लिए याद रखना बहुत सरल हो जाएगा।

5.) 80-20 सिद्धांत (principle)

Vilfredo pareto एक इटालियन इकोनॉमिस्ट्स थे जब वह 1897 में इंग्लैंड के वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन और इनकम के बारे में पढ़ रहे थे, यह पढ़ते समय उन्हें एक अजीब बात पता चली इंग्लैंड की ज्यादातर जमीन और पैसे  बस थोड़े से ही लोगों के हाथ में थे, सिर्फ 20% लोग इंग्लैंड की 80% जमीन और पैसे के मालिक थे, यह चौंकाने वाली बात पता चलने के बाद उन्होंने इस बारे में और रिसर्च की तो उन्हें पता चला कि यह बात सिर्फ दूसरे देशों बल्कि दूसरे समय में भी सच थी यही नहीं बल्कि यह बात पैसों को छोड़कर दूसरी बातों के लिए भी एक दम सच थी, जैसे कि उनके खुद के गार्डन में जहां पर 20% मटर 80% मटर की फली से ही निकल रही थी और तब यह प्रिंसिपल बना जिसे आज हम 80-20 प्रिंसिपल या परेटो प्रिंसिपल भी कहते हैं जो कि साइंटिफिकली हर चीज में अप्लाई होता है जैसे हेल्थ, बिजनेस, पढ़ाई और रिलेशन।

यह प्रिंसिपल कहता है कि आप के 80% जो रिजल्ट आपको मिलते हैं वह आपके सिर्फ 20% काम की वजह से मिलते हैं मतलब 20% Action = 80% Result
हमें लगता है हम जितना ज्यादा काम करेंगे उतना ज्यादा और अच्छा हमें रिजल्ट मिलेगा लेकिन सच तो यह है कि हमें हमारे थोड़े काम ही ज्यादातर अच्छे रिजल्ट देते हैं यह सिद्धांत आने के बाद बहुत से लोगों ने अलग-अलग चीजों को रिसर्च किया और लगभग हर चीज में इस सिद्धांत को काम करता पाया
उदाहरण – 20% ड्राइवर की वजह से ही 80% एक्सीडेंट होते हैं, 20% शादीशुदा लोग 50% तलाक का हिस्सा होते हैं, 20% रोड पर 80% ट्रैफिक होता है, 20% कपड़े हम 80% टाइम पहनते हैं, 20% बादल से 80% बारिश होती है।

यह प्रिंसिपल सिर्फ एक ही बात बोलता है कि कम चीजें हमे ज्यादा आउटपुट देती हैं यह सिद्धांत हमें यह नहीं बोलता है कि हमें काम नहीं करना चाहिए बल्कि यह सिद्धांत हमें बताता है कि हमें वह काम नहीं करना चाहिए जो हमें बहुत कम रिजल्ट दे रहा है ओर जो हमारे लिए ज्यादा जरूरी नहीं है। और वह काम हमे ज्यादा करना चाहिए जो हमें ज्यादा रिजल्ट दे रहा है।

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एक स्टूडेंट जो कि सारे दिन और पूरी रात जागकर पढ़ाई करता था और दूसरी तरफ एक और लड़का था जो दिन और रात मिलाकर सिर्फ 4 से 6 घंटे ही पढ़ाई करता था पर जब रिजल्ट आता था तो दूसरे लड़के के नंबर हमेशा पहले वाले लड़के के नंबर से ज्यादा या फिर उसके बराबर आते थे वह उस पहले वाले लड़के को समझाता था कि वह ज्यादा पढ़ाई नहीं करता लेकिन वह पहले वाला लड़का उसकी बात पर यकीन नहीं करता था, लेकिन वह सच बोलता था।

दूसरा वाला लड़का पहले वाले लड़के से ज्यादा स्मार्ट नहीं था लेकिन वह अनजाने में ही 80-20 रूल्स का इस्तेमाल करता था। दो चीजों को लेकर जिसकी वजह से कम पढ़कर भी उसके रिजल्ट अच्छे आते थे वह पहली चीज जिसमें वह 80-20 रूल्स इस्तेमाल करता था वह यह था कि पढ़ना क्या-क्या है पहला वाला लड़का लास्ट लास्ट में सारे क्वेश्चन पढ़ने की कोशिश करता था जिसकी वजह से सब पढ़ने के बाद भी उसे एक भी आंसर अच्छे से याद नहीं रहता था और पेपर में वह आंसर अच्छी तरीके से लिख भी नहीं पाता था जबकि दूसरा लड़का पिछले क्वेश्चन पेपर और टीचर से जो सबसे इंपोर्टेंट क्वेश्चन रहते थे उन्हें पता कर लेता था फिर उन्हें अच्छे से याद करके फिर दूसरे क्वेश्चन पर फोकस करता था।

दूसरी चीज जिसमें वह 80-20 का इस्तेमाल करता था वह था पढ़ाई के टाइम को लेकर।

पहला लड़का दिन भर रात भर पढ़ने की कोशिश करता था पर क्योंकि इंसान एक ही चीज पर ज्यादा देर तक फोकस नहीं रख पाता इसीलिए पढ़ते टाइम उसका भी फोकस बार-बार दूसरी चीजों पर जाता रहता था जिससे कई घंटे पढ़ने के बाद भी उसकी क्वालिटी स्टडी नहीं हो पाती थी।

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जबकि दूसरे दोस्त को पता था कि वह सुबह से रात होने के बीच ही एक ही समय पर अच्छे से पूरे फोकस के साथ पढ़ाई कर पाता है और उसके बाद नहीं, तो वह उसी टाइम पर पढ़ता था फोकस के साथ बाकी सारी चीजें साइड में करके ओर वह पढ़ाई के बीच में कुछ ब्रेक भी लेता था जब उसे लगता था कि अब उसका फोकस खत्म हो रहा है, या फिर कुछ और चीजें करके हैं जैसे घर के बाहर थोड़ा टहल कर वह खुद को फ्रेश रखता था यह कुछ चीजें करके उसका रिजल्ट कम पढ़कर भी दूसरे लड़कों से अच्छा आता था।

तो आपका काम बस यही है आप अपना 20% काम जो कि बहुत ज्यादा जरूरी है उसे पूरी फोकस के साथ करो यह करने से आपको आधे टाइम में ही डबल रिजल्ट मिलने लग जाएंगे और आधा टाइम फ्री भी मिलेगा जिसे आप दूसरी इंपोर्टेंट चीजों के लिए इस्तेमाल कर सकते हो और खुश रह सकते हो।

तो दोस्तों यह थी पढ़ाई में देर तक फोकस बनाये रखने की ओर पढ़ाई में मन लगाने की चार टेक्निक, यह पोस्ट आपको केसी लगी कमेंट करके बताएं, ओर अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें।