यूपीएससी की सीएसई एक ऐसी परीक्षा है, जिसका देश में बहुत मान है, लेकिन इसमें उत्तीर्ण होना बहुत मुश्किल है। हर वर्ष इसमें लाखों लोग भाग लेते हैं, लेकिन सफलता केवल कुछ ही लोगों को मिलती है। उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जो अपनी ज़िद और लगन से हर मुश्किल को पार करते हैं और अपने आप को और लोगों को प्रेरित करते हैं। आज हम एस अश्वथी के बारे में जानेंगे, जिन्होंने यूपीएससी 2020 में 481वां स्थान प्राप्त किया। वे एक घर बनाने वाले कर्मी की बेटी हैं, जो तिरुवनंतपुरम से हैं। उन्होंने दिखाया कि अगर आप मेहनत और निष्ठा से काम करें, तो आपको अपनी मंजिल मिल ही जाएगी।
अश्वथी का शुरुआती जीवन और शिक्षा
अश्वथी का बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनने का स्वप्न था। जब वह आठवीं कक्षा में पढ़ रही थी, तब उसने इस लक्ष्य को अपने मन में बसा लिया था। परन्तु उसने अपनी योग्यता के अनुसार इंजीनियरिंग का चुनाव किया और तिरुवनंतपुरम के एक प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेज में दाखिला ले लिया। वह अपने अंतिम साल में टीसीएस कोच्चि में एक अच्छी नौकरी पा गई। लेकिन उसका जुनून आईएएस के लिए कम नहीं हुआ और वह यूपीएससी की तैयारी में लग गई।
नौकरी छोड़ तैयारी शुरू की
उसने अपनी नौकरी और पढ़ाई को संतुलित रखते हुए लगातार मेहनत की। 2017 में, उसने एक शानदार आईटी कंपनी से अलविदा कहकर सिविल सेवा की तैयारी के लिए समर्पित हो गई।
चौथे प्रयास में मिली सफलता
वह केरल राज्य सिविल सेवा अकादमी और तिरुवनंतपुरम के कुछ अन्य संस्थानों में अध्ययन करती रही। अश्वथी ने एएनआई से बातचीत करते हुए बताया कि यह उनका चौथा अवसर था। वह पहले तीन बार असफल हुई थी, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी और चौथी बार और ज्यादा उत्साह के साथ पढ़ाई की।
अश्वथी ने कहा, “मुझे सिविल सेवा परीक्षा में चौथी बार कामयाबी मिली है। मुझे पिछले तीन बार प्रारंभिक परीक्षा में ही रुकना पड़ा था और मुझे बहुत परेशानी हुई थी। मुझे अब बहुत खुशी हो रही है। मैंने इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए अपने लेखन कौशल को बेहतर बनाने और अपनी सामग्री को अधिक संक्षिप्त और स्पष्ट बनाने पर जोर दिया।” इससे मुझे अपनी सामग्री को अखबारों में प्रभावी ढंग से प्रकाशित करने में मदद मिलेगी।
अश्वथी के पिता प्रेम कुमार को अपनी बेटी की कामयाबी पर अत्यंत अभिमान और प्रसन्नता महसूस हो रही हैं। उन्होंने बताया, “मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। उसने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए सिविल सर्विस परीक्षा में उत्तीर्ण हुई है। वह मेरी शान है। वह पढ़ने में बचपन से ही बहुत अच्छी थी।” उनकी माँ श्रीलता पी एक घरेलू महिला हैं और उनका छोटा भाई एक आईटी कंपनी में नौकरी करता है।
Read Also
- पिता थे शराब के आदि, घर के हालात ठीक नहीं थे मां ने संघर्ष किया बेटे ने CAT, IIM और MBA एग्जाम क्लियर किए आखिरी में बने IAS
- पिता की मौत के बाद, अनाथालय में बचपन गुजरा वहां पढ़ाई की 21 सरकारी एग्जाम में हुआ चयन, आज हैं IAS
- शादी के 15 दिन बाद ही पति ने छोड़ दिया, 5000 महीने की शिक्षक की जॉब की चौथे प्रयास में पास की upsc परीक्षा | Komal Ganatra IAS Biography In Hindi
- पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए 20 लाख का लोन लिया, बेटा 28 लाख सालाना सैलरी वाली जॉब छोड़ upsc की तैयारी कर बना IAS
- 12 की उम्र में पिता की मौत हुई, मां को संभाला जॉब के साथ किराए के घर में रहकर पढ़ाई जारी रखी अब हैं अधिकारी
- बचपन में हुई पिता की मौत, मां ने मजदूरी और देसी शराब बेचकर पढ़ाया बेटा पहले ही प्रयास में बना कलेक्टर
- दिव्यांगता के कारण मजाक उड़ाते थे लोग तीन बार यूपीएससी की परीक्षा पास कर बनी IAS