एक छोटी सी बात आपको कितना कुछ सिखा सकती है आपको कितना शिक्षा दे सकती है इसे हम इस छोटी सी कहानी से समझ सकते हैं।
बरसात का मौसम था एक इंसान धीरे धीरे चलते हुए एक गांव से कहीं दूसरी जगह जा रहा था बीच रास्ते में उसे एक घर मिला जिसके चारों ओर खेत बने हुए थे और एक वृद्ध किसान उस घर के बाहर बैठा हुआ था। इस यात्री ने बूढ़े किसान से पूछा बाबा लालनपुर कितनी दूर है? मगर किसान चुप रहा कुछ नहीं बोला यात्री थका हुआ था तो वह वहीं बैठ गया।
किसान ने उसे पानी पिलाया लेकिन कुछ बोला नहीं, यात्री ने फिर पूछा क्यों बाबा.. अगला गांव कौन सा है? लगता है शाम को मैं गलत रास्ते पर चल पड़ा। वृद्ध किसान चुप रहा उसने देखा इस यात्री के कपड़े फटे हैं, शरीर में से बदबू आ रही है लगता है यह कोई बंजारा किसान है लेकिन वृद्ध किसान अभी भी चुप रहा।
यात्री ने फिर पूछा क्यों बाबा आगे रास्ता कहां खो जाता है? मुझे लालनपुर बहुत जरूरी काम से जाना है। यात्री ने सोचा कोई गूंगा बहरा है लेकिन कम से कम इशारे में तो बात कर सकता है। यात्री ने दोबारा पूछा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला आखरी में यात्री झिझकते देखते हुए उठा और बोला यहां सर फोड़ने से अच्छा है कि मैं आगे चलकर देख लेता हूँ।
यात्री ने समान उठाया और आगे चलना शुरू किया तो पीछे से वृद्ध किसान की आवाज आई लालनपुर बस 4 मील आगे है गांव के पहले एक नदी पड़ती है वहां से नहा कर जाना अपना स्वरूप बदल लेना वरना गांव में कोई रुकने नहीं देगा यात्री अचंभित रह गया उसने सवाल किया।
तुमको समझ आ रहा था मैं इतनी देर से क्या बोल रहा था.. तो तुमने जवाब क्यों नहीं दिया?
किसान ने कहा जब तुम आए थे तब तुम थके और परेशान लग रहे थे तुम रास्ता तो पूछ रहे थे लेकिन आगे जाने कि तुम्हारी कोई इच्छा नहीं थी लेकिन अब जब तुम पूरी तत्परता से आगे जाने के लिए खड़े हुए हो तो रास्ता जानने का तुम्हारा हक है।
स्वामी विवेकानंद यह कहानी अपने शिष्य को एक पत्र में सुनाते हैं वह कहते हैं इस कहानी को याद रखना मदद उसी को मिलती है जो आगे बढ़ने को तत्पर रहते हैं तुम आगे बढ़ो विश्वास रखो और बाकी सब होकर रहेगा।
कई पत्रों में स्वामी जी इसी बात को अलग-अलग उदाहरण से समझाते हैं स्वामी जी सबसे पहले गीता के 9वे अध्याय के श्लोक को समझाते हैं श्री कृष्ण कहते हैं कि जो इंसान किसी चीज पर भरोसा ना करते हुए केवल मुझ पर भरोसा करते हैं मेरे सहारे रहते हैं मैं उन्हें हर मदद उपलब्ध कराता हूं।
गीता जी में श्री कृष्ण पूर्ण समर्पण की बात कर रहे हैं
स्वामी जी कहते हैं कि जब आप उचित लक्ष्य के लिए खुद पर यानी आत्मशक्ति यानी आत्मा की शक्ति पर विश्वास करते हुए आगे बढ़ते हो तो लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपने आप गाइडेंस बुद्धि और रिसोर्सेज सब उपलब्ध हो जाते हैं और जो थक कर बैठ जाता है वह तो अपने शरीर और लॉजिक का भी उपयोग नहीं कर सकता इसलिए स्वामी जी कहते हैं गो टू वर्क द रेस्ट विल कम।
यह यथार्थ सच्चाई है जैसे मां नवजात शिशु की निरंतर देखभाल करती है उसकी हर जरूरत पूरा करती है वैसे ही स्वयं पर संपूर्ण भरोसा करके उसकी आत्मा रिसोर्स इनफिनिट यूनिवर्स आपको जो नाम अच्छा लगे वह सारी बाधाएं मिटाना शुरू कर देते हैं।
लो ऑफ वाइब्रेशन की भाषा में कहें तो subconscious mind तक सही संदेश पहुंच चुका है अब लक्ष्य पूरा होकर रहेगा।
इसी बात को समझते हुए स्वामी जी दूसरे पत्र में कहते हैं युगों के संघर्ष से चरित्र बनता है जो भी तुम कर रहे हो उसे इतनी इमानदारी से करो जैसे तुम्हारा जीवन इसी पर निर्भर करता है फिर देखो सब कुछ सही होकर रहेगा स्वामी जी कहते हैं अपने बेक बॉन स्पाइन यानी मेरुदंड तक मतलब अपने अंदर सबसे गहरे विचारों तक इमानदार रहो कि मैं बिना शंसय के पूरी शक्ति से प्रयत्नशील रहूंगा शरीर की एक एक कोशिका को यह पता होना चाहिए कि लक्ष्य पूरा होकर रहेगा मन के विचारों को यह पता होना चाहिए कि लक्ष्य पूरा होकर रहेगा
स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि अगर मैं ऐसे 100 लोगों को तैयार कर सकूं जो सिंसियर टू द बैकबोन है तो इस देश का भाग्य बदल जाएगा गुलामी से ग्रस्त इस देश की चेतना में नया संचार आएगा और मैं संतुष्टि से मर सकूंगा इसलिए मेरे भाई आगे बढ़ो कभी फेलियर और सक्सेस से प्रशंसा और अपमान से विचलित मत हो तत्परता से आगे बढ़ते रहो।
जब स्वामी जी अमेरिका में थे तब वह लिखते हैं कि यहां और अमेरिका के न्यूज़पेपर में सब तरह की खबरें छप रही है लोग कई तरह की बातें करते हैं कि मैं यहां लोगों का धर्म बदलने आया हूं लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता स्वामी जी गीता के आठवें अध्याय के 40वें श्लोक को दोहराते हैं वह कहते हैं जो सत्य के मार्ग पर चलता है जो सच में अपने हृदय और कर्मों से अपने लक्ष्य के लिए प्रयत्नशील रहता है उसके लिए कोई बुराई कोई शैतान कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि यह नियम है, चरित्र सत्य है, और सत्य अविनाशी है।
जो सही दिशा में चलते हैं उनका कुछ नहीं बिगाड़ा जा सकता है इसलिए दोस्तों तत्परता से बढ़ते चलो।
1.) स्वामी जी कहते हैं कि मदद उसको मिलते हैं जो तत्परता से आगे बढ़ते हैं और आगे बढ़ना है तो खुद पर संपूर्ण भरोसा होना चाहिए
2.) जो आत्मशक्ति यानी आत्मा की शक्ति पर भरोसा करता है उसके लिए हर मदद उपलब्ध है उसके रास्ते आसान होने लगते हैं
3.) स्वामी जी कहते हैं कि चरित्र युवाओं के संघर्ष से बनता है संघर्ष कैसे करना है ऐसे काम करो जैसे तुम्हारी जान की बाजी लगी हो देखो फिर लक्ष मिलकर रहेगा ऐसा इसलिए होगा क्योंकि चरित्र सत्य है और सत्य अविनाशी है जो सही दिशा में चलते हैं और आत्म बल से जुड़े हैं जिनका लक्ष्य उचित है उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
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