सब कुछ तुम्हारे हाथ मे है हिंदी कहानी | Hindi Moral Story On Desert

सब कुछ तुम्हारे हाथ मे है हिंदी कहानी | Hindi Moral Story On Desert hindi

एक आदमी रेगिस्तान से गुजरते वक्त बुदबुदा रहा था, कितनी बेकार जगह है ये, बिलकुल भी हरियाली नहीं है और हो भी कैसे सकती है। यहां तो पानी का नामो-निशान भी नहीं है। तपती रेत में वो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था। अंत में वो आसमान की तरफ देख झल्लाते हुए बोला-क्या भगवान आप यहां पानी क्यों नहीं देते? अगर यहां पानी होता तो कोई भी यहां पेड़-पौधे उगा सकता था, और तब ये जगह भी कितनी खूबसूरत बन जाती! ऐसा बोल कर वह आसमान की तरफ ही देखता रहा-मानो वो भगवान के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा हो! तभी एक चमत्कार होता है, नजर झुकाते ही उसे सामने एक कुआ नजर आता है!


वह उस इलाके में बरसों से आ-जा रहा था पर आज तक उसे वहां कोई कुआ नहीं दिखा था। वह आश्चर्य में पड़ गया और दौड़ कर कुऐ के पास गया। कुआं लबालब पानी से भरा था। उसने एक बार फिर आसमान की तरफ देखा और पानी के लिए धन्यवाद करने की बजाये बोला, पानी तो ठीक है लेकिन इसे निकालने के लिए कोई उपाय भी तो होना चाहिए। उसका ऐसा कहना था कि उसे कुएं के बगल में पड़ी रस्सी और बाल्टी दिख गई।


एक बार फिर उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ! वह कुछ घबराहट के साथ आसमान की ओर देख कर बोला, लेकिन मैं ये पानी ढोउंगा कैसे? तभी उसे महसूस होता है कि कोई उसे पीछे से छू रहा है, पलटकर देखा तो एक ऊंट उसके पीछे खड़ा था!


अब वह आदमी अब एकदम घबरा जाता है, उसे लगता है कि कहीं वो रेगिस्तान में हरियाली लाने के काम में ना फंस जाए और इस बार वो आसमान की तरफ देखे बिना तेज कदमों से आगे बढ़ने लगता है। अभी उसने दो-चार कदम ही बढ़ाया था कि उड़ता हुआ पेपर का एक टुकड़ा उससे आकर चिपक जाता है। उस टुकड़े पर लिखा होता है- मैंने तुम्हे पानी दिया, बाल्टी और रस्सी दी। पानी ढोने का साधन भी दिया, अब तुम्हारे पास वो हर एक चीज है जो तुम्हे रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के लिए चाहिए, अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है! आदमी एक क्षण के लिए ठहरा गया पर अगले ही पल वह आगे बढ़ गया और रेगिस्तान कभी भी हरा-भरा नहीं बन पाया।


कहानी से सीख


कई बार हम चीजों के अपने मन मुताबिक न होने पर दूसरों को दोष देते हैं हम सरकार को दोषी ठहराते हैं कभी बुजुर्गों को कभी कम्पनी को तो कभी भगवान को पर इस दोषारोपण के चक्कर मे हम इस सच्चाई को अनदेखा कर देते हैं की एक इंसान होने के नाते हममे वह शक्ति है कि हम अपने सभी सपनो को खुद साकार कर सकते हैं।