शांत दिमाग की शक्ति और फायदे | Power Of Silent Mind In Hindi
शांत दिमाग की शक्ति और फायदे | Power Of Silent Mind In Hindi
एक रिसर्च कहती है कि दिनभर में अगर हम थोड़े समय भी शांत होकर बैठते हैं तो हमारा दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है इससे सोचने समझने की क्षमता में इजाफा होता है हमे 3 मिनट सिर्फ चुप होकर बैठना है और अपने परेशान करने वाले विचारों से ध्यान हटाना है। तो चलिए आज हम 7 पॉइंट्स से समझते कि शांत दिमाग में कितनी शक्ति होती है।
1.) शांत दिमाग एक सहज ज्ञान युक्त दिमाग है।
जब मन शांत होता है तो हड़बड़ी और चिंता खत्म हो जाती है तब इंटेलिजेंस अपने आप काम करने लगती है। इस इंटेलिजेंस को इनट्यूशन भी कहते हैं। आपका मन कितना शांत और आप प्रेशर में कि कैसे रिएक्ट करते हो यह जानने के लिए बड़े-बड़े इंटरव्यू उसमें उटपटांग सवाल पूछे जाते हैं अगर आप मन की इस गहराई को जाने यानी की आप साइलेंट माइंड के आयाम को समझते हो तो मजेदार जवाब अपने आप निकलते हैं साइलेंट माइंड केवल इंटेलिजेंट नहीं है बल्कि तैयार भी है।
2.) शांत दिमाग हर परिस्थिति के लिए तैयार रहता है
मान लो कि एक टेस्ट मैच की ठंडी सुबह में आपको स्लिप में खड़ा कर दिया जाए और आप गर्म कंबल के बारे में सोच रहे हैं या फिर आप सोच रहे हैं कि कैच छूट गया तो फिर क्या होगा? तो बोल आपसे स्लिप होकर ही रहेगी शायद इसीलिए इस पोजीशन को स्लिप कहते हैं। लेकिन अगर आपका मन शांत है यानी कि आप पूरी तरह गेम में हैं तुम शरीर अपने आप लपकता है क्योंकि साइलेंट माइंड इज आ रेडी माइंड।
3.) शांत दिमाग हमेशा सीखने और शुरुआत करने वाला दिमाग है।
जब पहले दिन हमने प्रैक्टिस की और हमको अच्छा भी लगा तो हमने अपने दिमाग में दो चीजें पाल ली पहला है ego कि मुझे आता है दूसरा है Expectation की प्रैक्टिस के बाद तो ऐसा ही महसूस होना चाहिए ऐसा ही रिजल्ट आना चाहिए लेकिन इस Expectation के बाद हमारा अनुभव बहुत सीमित हो जाता है इससे हम ज्यादा सीख नहीं पाते।
Shunyru suzuki अपनी पुस्तक में कहते हैं एक अनुभवी मास्टर की प्रैक्टिस का गोल है कि उसका एटीट्यूड हमेशा सीखने और शुरुआत करने वाले माइंड का रहे जिससे मास्टर हर बेसिक प्रैक्टिस को भी पूरी तत्परता से करें।
4.) शांत मन एक प्रवाह है
जर्मन फिलॉस्फर फ्रेडरिक नीत्शे कहते हैं की महान अदम्य व्यक्तित्व का सीक्रेट है “कि जो भी हो रहा है वह बढ़िया हो रहा है इतना बढ़िया हो रहा है कि वहां प्रेम है जहां प्रेम होगा वहां शिकायत नहीं होगी” जब शिकायत नहीं होगी तो मुश्किलों के बावजूद आप बेहतर एक्शन आसानी से ले पाएंगे मुश्किलों के बाद भी बेहतर एक्शन लेने से आप अपने आप बेहतर इंसान बनेंगे इसलिए इन शब्दों में महानता का राज छुपा है।
रूमी का प्रसिद्ध quote है; “आप जहां हो जिस स्थिति में हो जो भी कर रहे हो उसे प्रेम से करो”… साइलेंट माइंड में कोई शिकायत नहीं होती कोई Contradiction नहीं होता यही प्रेम है और यही ताकत है।
5.) शांत दिमाग शक्तिशाली दिमाग है।
साइलेंट माइंड पावर फुल माइंड होता है क्योंकि आपका अटेंशन अपने आप सही चीजों पर जाता है और रिएक्शन ना बनकर आप जो करते हो वह एक्शन बन जाता है इसीलिए जो लोग शांत मन की गहराई को छूते हैं वह ताकतवर भी होते हैं और दयावान भी वह सक्रिय भी होते हैं और धैर्यवान भी शांत मन भी।
6.) शांत दिमाग एक मुक्त दिमाग है।
शांत मन का मतलब विचारहीनता नहीं है इस शांत मन में कभी विचार आते हैं और कभी थम जाते हैं। खास बात है कि साइलेंट माइंड में विचारों के रिपीटेटिव पैटर्न नहीं है। बार बार आने वाले साधारण विचार भी भ्रम या चिंता में बदल जाते हैं और आपकी ध्यान शक्ति चूस लेते हैं रिपीटेटिव माइंड से बाहर निकलने के लिए एक बात समझ लीजिए जो भी विचार आपको आते हैं उसके लिए आप जिम्मेदार नहीं हैं लेकिन जिस विचार से आप बार-बार उलझते है उसके लिए आप पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।
हमको जो विचार आते हैं उसमें तीन मुख्य फैक्टर हैं इस समय आप कैसे environment में हैं आपका पास्ट एक्सपीरियंस कैसा है और इस समय आप किस state में हो इन तीनों बातों पर निर्भर करता है कि आप को कैसे विचार आएंगे जब भी हम को बुरे विचार परेशान करते हैं तो हमको लगता है कि हम कमजोर इंसान हैं और इस शिकायत में अतनी शक्ति भूल जाते हैं।
लेकिन अगर आपको यह बात समझ में आ गई कि आपको जो विचार आते हैं उसके लिए आप जिम्मेदार नहीं हो तो आप जिंदगी भर के लिए एक शिकायत से फ्री हो जाएंगे कि जहां शिकायत नहीं है वहां पावर है चॉइस की, मतलब आपके पास शक्ति है चुनने की या तो आपको इन्हें दूर से देखना है या फिर उन में उलझ जाना है।
7.) शांत मन आत्म सम्मान से भरा है।
साइकोथैरेपिस्ट Nathaniel Branden अपनी किताब में कहते हैं कि मैं 18 साल के आसपास रहा हूंगा उस समय कोई मुझसे शांत रहने के लिए कहता तो में डर जाता था क्योंकि मैं जैसे ही शांत होने बैठता वैसे ही अजीब से डराने वाले और कमजोर करने वाले विचार आने लगते डर इसलिए लगता था कि मुझे पता नहीं था कि मैं अपने नेगेटिव विचारों से कैसे डील करूंगा।
Branden कहते थे कि इसलिए मैं कभी शांत नहीं रहता था या तो कुछ ना कुछ टाइम पास करता या तो फिर बिना कुछ सोचे समझे बोलने और Debate करने की कोशिश करता जिससे सेल्फ कॉन्फिडेंस, सेल्फ रिस्पेक्ट, को नुकसान पहुंचता फिर एक थैरेपिस्ट के समझाने पर मैंने धीरे धीरे हर दिन माइंडफूलनेस प्रैक्टिस करना शुरू किया और जब धीरे-धीरे परेशान करने वाले विचारों का सिलसिला थमा तब समझ में आया कि सेल्फ अवेयरनेस और सेल्फ एक्सेप्टेंस का असली मतलब क्या होता है मैं अपने मन के बारे में सीखता गया और समझता गया इसलिए आज मैं एक साइकोथैरेपिस्ट हूं।
Branden कहते हैं कि 10 सालों के शोध इस बात को साबित करते हैं कि हर दिन 20 मिनट शांत बैठने से ध्यान करने से आपकी सेल्फ अवेयरनेस सेल्फ कंट्रोल और Compassion में इजाफा होता है self-compassion बढ़ने के कारण आप पहले खुद को माफ करते हो सेल्फ अपने दिल से खत्म करते हैं और फिर धीरे-धीरे बाकियों को भी माफ कर देते हो इन तीनों फैक्टर्स के कारण आपके आत्म सम्मान में इजाफा होता है
इसी बात से पहली वाली प्रैक्टिकल टिप आते हैं जो कहती है कि शांत बैठने के लिए समय मत निकालो बल्कि इसे अपनी लाइफ स्टाइल से जोड़ लो जैसे जो भी आपका फ्री टाइम है उसमें 10 मिनट आप शांत बैठने की कोशिश करो उसी तरह हर दिन की शुरुआत साइलेंट टाइम से होनी चाहिए जहां आप 10 मिनट ध्यान करो और अगले 5 मिनट में intention बनाओ और प्लानिंग करो।
जापानीस कल्चर में तीर चलाने से लेकर चाय पिलाने तक एक विस्तृत सेरेमनी होती है इसमें एक खास तरह से चाय पिलाई जाती है और एक खास तरह से कप को उठाया जाता है यह पद्धति इसलिए विकसित हुई कि हमारा ध्यान मन में चल रहे विचारों से हटकर शरीर और प्रोसेस पर आ जाए।
इसके साथ जब हम हाथ पैर और शरीर बिना झटको के एक लाइन में चलाते हैं तब हम माइंड बॉडी कनेक्शन और उसके पीछे मन के प्रति अवेयर हो जाते हैं इसीलिए दिन के कुछ समय एक ऐसा काम करो जहां आपको अपने शरीर के मूवमेंट के प्रति सचेत रहना पड़े और उसके लिए आप योग और वाकिंग मेडिटेशन का भी अभ्यास कर सकते हो।