महर्षि वाल्मीकि के 45+ अनमोल विचार | Maharshi Valmiki Quotes in hindi

महर्षि वाल्मीकि जयंती कोट्स 45+ अनमोल विचार | Maharshi Valmiki jayanti Quotes in hindi


महर्षि वाल्मीकि के 45+ अनमोल विचार | Maharshi Valmiki Quotes in hindi

महर्षि वाल्मीकि के 45+ अनमोल विचार | Maharshi Valmiki Quotes in hindi


●•● जैसा राजा का आचरण होता है, ठीक वैसा ही प्रजा भी आचरण करती है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● स्त्री या पुरुष के लिए क्षमा ही अलंकार है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● सत्य ही सबका मूल है और सत्य से बढकर कुछ भी नही है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● माता पिता की सेवा और उनकी आज्ञा पालन जैसा धर्म कोई नही है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● जन्म देने वाली मां और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढकर होता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● पराये धन का अपहरण, पर स्त्री के साथ संसर्ग,

सुहृदों पर अतिशंका – ये तीनों दोष विनाशकारी है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● अतिसंघर्ष से चंदन में भी आग प्रकट हो जाती है,

उसी प्रकार बहुत अवज्ञा किए जाने पर ज्ञानी के भी हृदय में भी क्रोध उपज जाता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● जीवन में सदैव सुख ही मिले यह बहुत दुर्लभ है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● आप साहसी या कायर, गुणवान है या दोष से भरे हुए यह आपका चरित्र से दिख जाता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● जिस प्रकार चुहिया प्रत्येक दिन थोडा-थोडा खोद कर धरती में अपना बिल बनाती है, उसी प्रकार काल प्राणियों के जीवन को क्षण-प्रतिक्षण समाप्त करता जाता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● किसी वादे को तोड़ने से आपके सारे अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● नीच की नम्रता अत्यंत दुखदायी है, अंकुश, धनुष, सांप और बिल्ली झुककर वार करते हैं।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● आपकी जन्मभूमि और जननी स्वर्ग से भी बढ़कर है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● दृढसंकल्प लेकर आप कोई भी काम आसान कर सकते हो।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● संत दूसरों को दु:ख से बचाने के लिए कष्ट सहते रहते हैं, दुष्ट लोग दूसरों को दु:ख में डालने के लिए।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● किसी व्यक्ति से ज्यादा मोह रखना भी दुःख का कारण बन सकता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● विवाह योग्य स्त्रियां प्रत्येक देश में मिल सकती हैं। मित्र-परिजन भी प्रत्येक देश में प्राप्त हो सकते हैं। किन्तु मुझे कोई ऐसा देश दिखाई नहीं पड़ता, जहां सहोदर भाई मिल सकते हों।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● तुम्हें गर्व, अहंकार और कुटिलता का परित्याग करना चाहिए। तुम्हें दूसरों की आलोचना की कभी चिंता नहीं करनी चाहिए।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● संसार में ऐसे लोग थोड़े ही होते हैं,जो  कठोर किंतु हित की बात कहने वाले होते हैं।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● संतोष नन्दनवन है तथा शांति कामधेनु है। इस पर विचार करो और शांति के लिए श्रम करो।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● परमात्मा ने जो कुछ तुमको दिया है, तुमको चाहिए कि उसके लिए परमात्मा के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करो। इस विषय में तुम्हे कृतघ्न नहीं होना चाहिए।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● प्रियजनों सेमोहवश अत्यधिक प्रेम से यश भी चला जा सकता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● किसी भी मनुष्य की इच्छाशक्ति अगर उसके साथ हो तो वह कोई भी काम बड़े आसानी से कर सकता है। इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प मनुष्य को रंक से राजा बना देती है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● मनुष्य का आचरण ही बतलाता है कि वह कुलीन है या अकुलीन, वीर है या कायर अथवा पवित्र है या अपवित्र।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● महत्वाकांक्षा से युक्त मन सदैव रिक्त रहता है। इसीलिए वह ठीक उसी प्रकार कहीं भी शांति प्राप्त नहीं करता, जैसे अपने समूह से बिछुड़ कर हिरण अशांत होता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● माता पिता की सेवा करना सदैव कल्याणकारी होता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● बिना अच्छे चरित्र के आप महान नहीं बन सकते।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● जो व्यक्ति अपने पक्ष को छोड़कर दुसरो के पक्ष में मिल जाता है फिर उस पक्ष के नष्ट होने पर वह खुद ही नष्ट हो जाता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● राजा को आदर्श व सच्चरित होना चाहिए।

क्योंकि वह प्रजापालक कहलाता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● किसी के साथ अत्यंत प्रेम न करो और प्रेम का सवर्था अभाव भी न होने दो, क्योंकि ये दोनों ही महान दोष है, अत: मध्यम स्थिति पर ही दृष्टि रखो।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● जो व्यक्ति वीर और बलवान होते है, वे जलहीन बादलों के समान खाली गर्जना नही करते है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● सहयोग करने वाले और सबसे मिलकर रहने वाले की सदैव जीत होती है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● मन इच्छित वस्तु को प्राप्त करने के बाद भी ठीक वैसे ही कभी संतुष्ट नहीं होता, जैसे छिद्रयुक्त पात्र को कितना भी जल डाल कर भरा नहीं जा सकता।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● अच्छे स्वाभाव वाले लोग अपने घर के सोने गहनों और मित्र में कोई फर्क नही समझते हैं।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● संघर्ष से आप महान बन सकते है। आगे बढ़ना है तो संघर्ष जरूरी है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● संत पुरूष हमेशा लोगों को दुःख से बचाने के लिए कष्ट सहते हैं। जबकि दुष्ट प्रवित्ति के लोग दूसरों को हमेशा दुःख में डालने के लिए ही जीते हैं।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● प्रियजनों से भी मोहवश अत्यधिक प्रेम करने से यश चला जाता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● मित्र बनाना सरल है, मैत्री पालन दुष्कर है। चितों की अस्थिरता के कारण अल्प मतभेद होने पर भी मित्रता टूट जाती है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● अगर आपके अंदर उत्साह होगा तो आप असम्भव काम को भी संभव बना सकते हैं।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● नारी के लिए वास्तव में उसका पति ही सम्पूर्ण आभूषण है। उससे पृथक रहकर वह कितनी भी सुंदर क्यों न हो सुशोभित नहीं होती।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● संघर्ष से ही आप महान बन सकते है। यदि जीवन में आगे बढना है तो तो संघर्ष करना भी जरूरी है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● दुःख और संकट की घड़ी हमेशा बिना बताये और बिना बुलाये ही आते हैं।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● उत्साह, सामर्थ्य और मन में हिम्मत न हारना ये कार्य की सिद्धि कराने वाले गुण कहे गये है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● असत्य के समान पातक पुंज नहीं है। समस्त सत्य कर्मों का आधार सत्य ही है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● क्रोध ही व्यक्ति के समस्त सद्गुणों का नाश करता है। इसलिए क्रोध का त्याग करो।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● जो लोग गलत रास्ते पर चलते है, उन्हें कभी भी सच्चा ज्ञान नही प्राप्त होता है।


– महर्षि वाल्मीकि


●•● सहयोग और समन्वय की सदैव जीत होती है।


– महर्षि वाल्मीकि


➡ आचार्य विनोबा भावे के 32 अनमोल विचार और कथन


➡ चाणक्य के अनमोल विचार


➡ स्वमी विवेकानंद जी के 52 प्रेरणादायक विचार


➡ श्रीमद्भगवद्गीता के प्रसिद्ध अनमोल वचन, उपदेश


➡ ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के 15 अनमोल विचार