पढ़ाई और काम में Distraction से कैसे बचें | How to avoid distraction in hindi
एक स्टडी में 16 लड़कों को खाली कमरे में बैठाया गया, इनसे किताब, मोबाइल फोन, पर्स, पेपर सब कुछ ले लिया गया। फिर उनसे बोला गया कि अगले 20 से 25 मिनट आप कुछ नहीं कर सकते लेकिन आप कुर्सी पर बैठकर कुछ भी सोच सकते हो। इन सभी के हाथ में एक बटन भी दिया गया कि अगर आप बोर हो तो यह बटन दबा सकते हो लेकिन इससे आपको जोर का करंट लगेगा ओर तकलीफ होगी मतलब negative stimuli होगा। मजेदार बात यह है कि अगले 15 मिनट में 16 में से 12 लड़कों ने वह बटन दबाया मतलब 67% लोग बिना कुछ किए 15 मिनट नहीं रह पाए और यह तो सतही तौर पर दिखने वाला ऑब्जरवेशन था लेकिन यह स्टडी गई सारी परत खोलती है।
आजकल सेल्फी हेल्प इंडस्ट्री में Distraction के ऊपर जितने भी लिटरेचर है उनको पढ़ने से ऐसा लगता है कि Distraction के सारे कारण बाहर हैं यानी बाहरी कारण ही जिम्मेदार है, मतलब इंटरनेट, सोशल मीडिया, गेमिंग। Distraction के मुख्य कारण है यह बात यह बात सच है कि टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के कारण हमारा ध्यान आसानी से भंग हो जाता है। हमारी आदतें आसानी से बिगड़ जाती है। लेकिन स्टडी के उस खाली कमरे में तो Distract करने के लिए तो कुछ भी नहीं था मतलब distraction का असली कारण हमारे अंदर है।
Nir Eyal जो कि एक इजरायल में जन्मे अमेरिकी लेखक, व्याख्याता और निवेशक हैं जो अपनी बेस्टसेलिंग पुस्तक, हुक्ड: हाउ टू बिल्ड हैबिट-फॉर्मिंग प्रोडक्ट्स के लिए जाने जाते हैं वह कहते हैं अधिकतर सारे Distraction हमारे अंदर से ही शुरू होते हैं हम बैठे-बैठे इसलिए distract होते हैं क्योंकि हम अपने अंदर की Uncomfortable emotional stats, uncomfortable feelings से बचना चाहते हैं जब लोग पूछते हैं कि हम Distract क्यों होते हैं तो वह उससे भी बेसिक सवाल पूछते हैं कि हम लोग कुछ भी क्यों करते हैं?
फ्रायड का pleasure प्रिंसिपल कहता है कि इंसान एक तरफ दर्द से भागता है और दूसरी तरफ pleasure यानी आनंद की तरफ जाना चाहता है लेकिन Nir कहते हैं कि न्यूरोसाइंस की नजर में हमारे दिमाग हर हालत में सबसे पहले दर्द अवॉइड करना चाहता है चाहे शारीरिक हो या मानसिक जब भी हमें बेचेनि या तकलीफ होती है तब हम अपने स्टेट बदलते हैं इसी स्टेट बदलने को Distraction कहते हैं।
जब कठिन सवाल आता है जिसे हम सॉल्व नहीं कर सकते तब ब्रेक लेने का मन करता है। जब अकेले होते हैं तो फेसबुक चेक करते हैं जब बोर होते हैं तो गेम खेलने लगते हैं। जब काम करने में मन नहीं लगता तो यूट्यूब पर वीडियो देखने लगते हैं। अगर बहुत ज्यादा तनाव में होते हैं तो कुछ खाने की इच्छा होती है असल में हम अनकॉन्शियसली अपने अंदर पैदा होने वाली बेचैनी से भागते हैं सारा हुमन बिहेवियर असल में डिस्कंफरटेबल से दूर भागने से शुरू होता है ओर दूर भागने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं इसीलिए जब खाली कमरे में बैठे लोगों को बोरियत महसूस होने लगी तब उन्होंने उस समय एक मात्र हरकत करके देखी जो वह उस समय कर सकते थे खुद को इलेक्ट्रिक शॉक देने की।
तो Distraction का जवाब क्या होना चाहिए?
अगर हम अपने अंदर होने वाले अनकंफर्टेबल फील से बच सके तो डिस्ट्रेक्शन को कंट्रोल कर सकते हैं जब हमारे अंदर जो अनकंफरटेबल फीलिंग बढ़ती है तो हमें दूसरी चीजों की तीव्र इच्छा होने लगती है अगर इस समय हम अपना ध्यान केवल उस तीव्र इच्छा पर लगा कर रखे तो वह आकर चली जाइए यह साइंटिफिकली प्रूवन तरीका है इसे psychologist Urge surfing कहते हैं। आपके अंदर जो तीव्र इच्छाएं होती है वह लहरों की तरह होती हैं समय के साथ वह धीरे-धीरे बढ़ती जाती है फिर एकदम गिर के खत्म हो जाती है यह तरीका हर प्रकार के Distraction को हैंडल करने के काम आता है। इंटरनेट, स्मोकिंग से लेकर कॉफी तक जीन स्मोकर को 7 दिन यह तरीका सिखाया गया उनमें से 37% लोगों ने सिगरेट छोड़ दी।
Nir Eyal ने पाया अधिकतर सारी तीव्र इच्छाएं 10 मिनट के अंदर प्रभावहीन हो जाती है इसीलिए वह 10 मिनट रूल की बात करते हैं।
सबसे पहले जब भी आप अनकंफरटेबल महसूस करें 10 मिनट का टाइमर सेट करें और तीव्र इच्छा पर ध्यान दें यह आपके विचारों और शारीरिक संवेदनाओं के रूप में कैसे प्रकट हो रही हैं? उठकर घूमने की इच्छा हो रही है? या जीभ पर चाय का स्वाद आ रहा है अगर आप अभ्यास करें और सचेत रहें तो इस इच्छा के पीछे की अनकंफरटेबल फीलिंग या भावना पर भी ध्यान दे सकते हैं कि यह शरीर में कैसे प्रकट हो रही है आपको मन में इसको लेकर कैसे विचार आ रहे हैं।
जैसे कई स्टूडेंट पढ़ते-पढ़ते अटक जाते हैं, किसी का सर भारी होने लगता है, तो किसी को को पेट में अजीब सा लगने लगता है, किसी के कंधे में तनाव या भारीपन सा लगता है। अगर आप इस समय अपना ध्यान इस फिलिंग्स पर ले जाएं और ध्यान से दें कि क्या हो रहा है तो यह फीलिंग्स आकर बहुत जल्दी चले जाएंगे अगर आप सचेत रहें तो पता चलेगा कि नेगेटिव इमोशंस की उम्र बहुत छोटी होती है।
दूसरा तरीका है फ्लोटिंग लीफ – जब भी आप को तकलीफ या बेचैनी महसूस हो तो आप यह इमेजिन कीजिए कि आप एक नदी के पास बैठे हो और बड़ी सुंदर आवाज में पानी बह रहा है उस पानी में कुछ पत्तियां बह रही है अब सोचिए की आपने अपनी बेचैनी को निकालकर उस पत्ती पर रख दिया है और वह पत्ती बेह कर आपकी आंखों से ओझल हो गई आप जितनी परेशानी रखना चाहो रख सकते हैं वह सारी परेशानी पत्तियों के साथ बह जाएंगी यह तरीका acceptance and commitment therapy मैं सिखाया जाता है उन लोगों को जो एडिक्शन से परेशान होते हैं। लेकिन अगर आपके अंदर इन एक्सरसाइज इसको करने की will power नहीं है तो आप क्या करेंगे।
nir Eyal कहते हैं कि ego depletion यानी उपयोग के साथ will power खत्म होना सच नहीं है। अभी तक माना जाता था कि डाइट कर रहे लोग रात में मिठाई इसलिए खा जाते हैं क्योंकि दिन भर कंट्रोल करने के बाद रात तक उनकी will power कमजोर पड़ जाती है लेकिन नई रिसर्च कहती है कि ego depletion उन्ही के साथ होता है जो यह विश्वास करते हैं कि उनकी विल पावर खत्म हो रही है असल में विल पावर आपकी इमोशन जैसी है दिन के अंत में आपके इमोशंस खत्म नहीं होते। अगर आपने सुबह खुशी महसूस की थी तो आप शाम को भी महसूस कर सकते हैं विल पावर भी आप खुशी की तरह ही कभी भी महसूस कर सकते हैं बस आपको अपना माइंडसेट बदलने की जरूरत है। अगर आप ऐसा मानते हो कि जितनी urges को आप कंट्रोल करते हो उतनी ही विल पावर आपकी स्ट्रांग होती है तो इन एक्सरसाइज को करने के लिए आप उतना विल पावर जुटा सकते हैं।
कुछ बातें जो इस पोस्ट से हमने सीखी
● Distraction का पहला कारण हमारे अंदर ही है चाहे शारीरिक हो या मानसिक जब भी हमें बेचैनी या तकलीफ होती है तब हम अपना स्टेट बदलते हैं।
● सारा हुमन बिहेवियर असल में डिस्कंफर्ट से दूर भागने से शुरू होता है जिसे हम डिस्ट्रेक्शन कहते हैं मतलब अगर हम अपने अंदर चल रही हड़बड़ी से निपट पाए तो हम डिस्ट्रैक्शन से बच सकते हैं।
● आपके अंदर जो तीव्र इच्छाएं होती है वह लहरों के रूप में होती है समय के साथ वह धीरे-धीरे बढ़ती जाती हैं और फिर गिरकर खत्म हो जाती है।
● इसीलिए अधिकतर तीव्र इच्छा 10 मिनट के अंदर प्रभावहीन हो जाती हैं सबसे पहले जब भी आप अनकंफरटेबल महसूस करें तो 10 मिनट का टाइमर सेट करें और तीव्र इच्छा पर ध्यान दें कि यह आपके विचारों और फिजिकल सेंसेशन के रूप में कैसे प्रकट हो रही हैं थोड़ी देर में इस इच्छा की इंटेंसिटी बहुत कम हो जाएगी।
● दूसरा तरीका है एक बहते हुए पानी की कल्पना कीजिए बहते हुए पानी पर तैरता हुए एक पत्ते पर अपनी बेचैनी और तकलीफ को रखते जाइए और फिर उन पत्तों को बहते हुए अपनी आंखों के सामने ओझल होते हुए देखिए अगर हम सचेत रहे तो हमें पता चलेगा कि इन इमोशंस की उम्र बहुत छोटी होती है फिर भी आपको तीव्र इच्छा होती है आपको इन एक्सरसाइज का ध्यान नहीं रहता तो effort pacts का प्रयोग कीजिए। यानी डिस्ट्रैक्शन वाली हरकत और अपने बीच मैं effort से दूरी बढ़ाएं।
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