क्यों कहते हैं लोग कल से करूँगा – why people procrastinate in hindi

क्यों कहते हैं लोग कल से करूँगा – why people procrastinate in hindi


मैं 5 किलोग्राम वजन घटा लूंगा, मैं एक अपना नया ब्लॉग स्टार्ट करूंगा, इस साल में बहुत अच्छे मार्क्स लेकर आऊंगा, आज मैं घर की सफाई कर लूंगा, मैं अपने पुराने दोस्त को फोन करूंगा, जिस समय हम खुद से एक लक्ष्य बनाने का वादा कर लेते हैं लेकिन जब हम उस गोल को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो इसका मतलब है हमने वह लक्ष्य छोड़ दिया हमने उस इंसान से झूठ बोला जिसने हमारे साथ सबसे ज्यादा टाइम बिताया है और वह हम खुद हैं और ऐसे ही हम बार-बार खुद से प्रॉमिस तोड़ते रहे तो हमें खुद पर भी भरोसा नहीं रहेगा यह बात बहुत ही कोमन है। मान लीजिए आपका दोस्त आपको रोज कॉफी के लिए बुलाता है लेकिन फिर भी आप नहीं जाते हो तो क्या वह आप पर विश्वास करेगा? कभी नहीं।

अगर आपके पेरेंट्स आपसे वादा करें कि वह आपको स्कूल या कॉलेज में लेने आएंगे लेकिन वाह लेने नहीं आते तो क्या आप उन पर भरोसा करेंगे? बिल्कुल नहीं..। और यही कारण है कि हम हर बार नए साल पर खुद से वादा तो कर लेते हैं कि इस साल हम यह करेंगे लेकिन नहीं कर पाते क्योंकि हमें भी पता है कि लास्ट साल भी कुछ ऐसा ही वादा किया था।

इस पोस्ट में हम 4 तरीकों से यही सीखेंगे की हम किसी भी काम को खत्म कैसे कर सकते हैं और हम यह सभी बातें john acuff की बुक finish से सीखेंगे तो चलिए शुरू करते हैं।

Finished task is well done – कार्य को अच्छी तरह से समाप्त करना

क्या आपको पता है जब लोग अपना गोल सेट करते हैं तो वह किस दिन अपने लक्ष्य को छोड़ते हैं 23वे दिन या फिर 15वे दिन नहीं ज्यादातर लोग दूसरे दिन ही अपना लक्ष्य को छोड़ देते हैं और यह इसलिए है क्योंकि जब भी हम कोई लक्ष्य चुनते हैं तो हम उस चीज में परफेक्ट बनना चाहते हैं हम सोचते हैं कि हमें वह सब कुछ मिलना चाहिए जो हमने सोचा था या फिर कुछ भी नहीं, और यही कारण है कि हम अपने लक्ष्य को छोड़ देते हैं हम सोचते हैं कि यार मुझे बॉडी बनाने के लिए रोज 6 अंडे खाने चाहिए लेकिन आज तो मैं खा नहीं पाया छोड़ो मुझसे यह सब नहीं होगा या फिर मैंने खुद से वादा किया था कि मैं 4 घंटे काम करूंगा लेकिन अब तो मैं थक गया और 1 घंटे बाद सोना भी है छोड़ो यह मुझसे नहीं होगा या फिर मुझे वजन कम करने के लिए रोज 15000 कदम चलने थे आज तो 3000 ही चल पाया छोड़ो मुझसे आज सब नहीं होगा।

तो अब ऐसा क्या करें जिससे हम लक्ष्य शुरू ही ना करें बल्कि उसे  खत्म भी करें तो इसके लिए सबसे पहला मेथड है,

1. choose want to bomb

यह मेथड कहता है कि जब भी हम कोई गोल सेट करते हैं यह उस पर काम करना स्टार्ट करते हैं तो हमारे पास दो ऑप्शन होते हैं ऑप्शन वन – एक हुमन कैपेबिलिटी से ज्यादा काम करने की सोचो और उसमें फेल हो जाओ, ऑप्शन 2 – या फिर महत्वहीन कामों को करो ही ना।
परफेक्शनिस्ट कहते हैं कि ऑप्शन वन सेलेक्ट करो लेकिन बुक के ऑथर कहते हैं कि ऑप्शन टू सेलेक्ट करो ऑथर कहते हैं कि हमें अपने मोस्ट इंपोर्टेंट गोल में बेहतर होना है तो बाकी एवरेज चीजों को छोड़ना होगा क्योंकि अब हम कोई एवरेज टास्क नहीं कर रहे है, तो उनसे जितना भी टाइम बचेगा उसको हम अपने मोस्ट इंपोर्टेंट गोल में लगा सकते हैं परफेक्शनिज्म वाले लोग हमसे कहेंगे कि हम सब कुछ कर सकते हैं लेकिन ऑथर कहते हैं कि हम हर काम नहीं कर सकते हमें इंपॉर्टेंट काम करने के लिए अनइंर्पोटेंट कामों को छोड़ना ही पड़ेगा।

2. cut your goal in half

ऑथर कहते हैं कि जब मैं कॉलेज में गया था तो मैं फुटबॉल टीम में आना चाहता था मेरी हाइट सिर्फ 5 फीट 7 इंच थी और मैं एक फील्ड गोल किकर बनना चाहता था रात के समय में ग्राउंड में जाता और वहां पर किक्स की प्रैक्टिस करता था लेकिन जब मुझसे कोई पूछता था कि इससे पहले मैंने कभी फील्ड किक्स की प्रैक्टिस की थी तो मेरा जवाब था नहीं। क्या मैंने कभी फुटबॉल भी खेला था तो इसका भी जवाब था नहीं क्योंकि मैंने प्रैक्टिस कभी की ही नहीं थी इसलिए कोई भी मुझे अपनी टीम में नहीं लेना चाहता था और यह मेरा एक क्रेजी गोल था।

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ऑथर कहते हैं कि ऐसे कई सारे लोग हैं जो बड़े गोल सिर्फ इसलिए रखते हैं ताकि वह एक परफेक्शिनिस्म शो कर सके यह लोग सोचते हैं कि अगर मैं कुछ करूंगा तो बहुत बड़ा करूंगा वरना नहीं ऑथर कहते हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि हमें खुद से बहुत कम एक्सेप्टेशन रखनी है। वह कह रहे हैं कि शुरू में हमें अपने गोल को छोटा रखना है इससे होगा यह, क्योंकि वह छोटा गोल हम जल्दी प्राप्त कर लेंगे और काम करते रहेंगे एक बार वह छोटा गोल प्राप्त हो जाए तो फिर हमें फिर से एक गोल सेट करना है और ऐसा करते रहना है जब तक हमारा एक बड़ा गोला प्राप्त ना हो जाए यह एक मोबाइल एप्लीकेशन की तरह है कि स्टार्टिंग में हमें अपना वर्जन वन लॉन्च करना है फिर वर्जन 2 और वर्जन 3, देखिए गोल सेट करना कोई मुश्किल बात नहीं है लेकिन गोल को फिनिश करना उसे खत्म करना एक तारीफ के काबिल काम है।

3. use data to celebrate your important progress

यह पॉइंट कहता है कि विदाउट डाटा हमें हमारी प्रोग्रेस नहीं दिखेगी और हम अपने काम को छोड़ देंगे उदाहरण के लिए अगर हम बहुत टाइम से एक अंधेरे कमरे में बैठे हैं और फिर हम एक मोमबत्ती जला ले तो हमें लगेगा कि यार बहुत रोशनी हो गई और इस वक्त हमें बहुत प्रोग्रेस दिखी और फिर जब हम दूसरी कैंडल जलाते हैं तो हमें इतनी प्रोग्रेस नहीं दिखाई दी और ऐसे ही जब हम थर्टींथ कैंडल के बाद फोर्टींथ कैंडल जलाते हैं तो हम एक लगेगा यार कोई फर्क नहीं पड़ा और यह लास्ट की कैंडल जिसमें एक्चुअल प्रोग्रेस हुई लेकिन हमें इमोशनली लगा कि यार कोई फर्क नहीं पड़ा इसे कहते हैं कैंडल इफेक्ट।

इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं जॉन जिनकी उम्र 44 है वह वजन घटाना चाहते हैं उन्हें पता है कि उन्होंने 10 किलो वजन ज्यादा बढ़ा लिया है वह न्यू ईयर के समय एक संकल्प लेते हैं, कि वह इस साल अपना वजन कर कम कर के बॉडी को फिट रखेंगे वह जिम ज्वाइन करते हैं और अपना एक पर्सनल ट्रेनर भी रखते हैं, और अपना शरीर का वजन भी नाप लेते हैं, 8 हफ्तों तक जिम करते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि अब कोई फर्क ही नहीं पड़ा, वजन कम ही नहीं हुआ, और देखते हैं कि हां उनका वेट तो उतना ही है जिससे उन्होंने स्टार्ट किया था, और फिर वह डिप्रेस्ड होने लगते हैं उन्हें याद आता है कि लास्ट टाइम जब उन्होंने जिम जॉइन किया था तब उनका वजन बहुत जल्दी कम हुआ था फिर वह सोचते हैं क्या उनके डाइट में कोई कमी रह गई? और फिर वह निराश होने लगते हैं और उन्हें लगता है कि अब यह छोड़ देना चाहिए लेकिन उनके ट्रेनर ने उनकी बॉडी के कुछ पॉइंट्स नोट किए थे जैसे
• Body fat%
• muscle mass
• waist size
• Biseps size

जब जॉन उनकी बॉडी के यह सब डेटा देखते हैं तो खुश हो जाते हैं उन्होंने 1.5 किलो चर्बी घटाई है और 1 किलो मसल्स ग्रो करी है और इसी की वजह से उन्हें लग रहा था कि उन्होंने कोई वजन घटाया ही नहीं जबकि उनके बायसेप्स का साइज भी बढ़ गया था।

ऑथर कहते हैं कि यह एक बहुत स्ट्रांग वजह है जिसकी वजह से बहुत से लोग काम करना छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें प्रोग्रेस नजर कि नहीं आती उनके पास कोई डाटा ही नहीं होता सिर्फ इमोशंस होते हैं और इमोशन से हम बेवकूफ बन जाते हैं क्योंकि जब भी हमारे पास हमारे काम का डाटा नहीं होगा तो हमें हमारे काम का पता नहीं चलेगा कोई काम हो भी रहा है या नहीं, और यही वजह है कि कैसीनो बार (ताश खेलने वाला बार या घर)  में कोई भी घड़ी या फिर खिड़की नहीं होती ताकि खिड़की से वहां ताश खेलने वाले लोग यह ना देख सके कि कितनी रात हो गई है इसलिए लोग जितना सोच कर उस केसीनों में आए हुए होते हैं उससे कहीं ज्यादा समय वह कैसीनो में बर्बाद कर देते हैं।

4. Make it fun if you want it done

रिसर्चर्स यह प्रूव कर चुके हैं कि अगर हम अपने लक्ष्य की प्रोसेस को एंजॉय करते हैं तो हमारी परफॉर्मेंस 46 परसेंट तक इंप्रूव हो जाती है
जब रिसर्चर्स स्विमिंग करने वालों को स्टडी कर रहे थे सुबह के 5:30 बजे प्रैक्टिस करते वक्त भी स्विमर्स बहुत खुश थे, हंस रहे थे बातें कर रहे थे, और स्विमिंग को इंजॉय कर रहे थे ,रिसर्चर्स कहते हैं कि स्विमर्स बहुत ज्यादा हार्ड वर्क करते हैं स्विमिंग करने के लिए अपने गोल तक पहुंचने के लिए। लेकिन उन्हें लगता ही नहीं कि वह इतना हार्ड वर्क कर रहे हैं क्योंकि वह हमेशा इंजॉय करते रहते हैं इस प्रोसेस को इंजॉय कर रहे होते हैं इसलिए इसी तरह हमें भी अपने गोल की प्रोसेस को एंजॉयबल बनाना है और काम में एंजॉयमेंट एक बुरी बात नहीं है।

तो दोस्तों इस पोस्ट में हमने 4 चीजें देखी जिससे हम अपने गोल को अचीव कर सकते हैं।

जिसमें पहला पॉइंट था

Choose want to bomb – हमें अगर अपनी सबसे इंपोर्टेंट चीज में अच्छा होना है तो उसमें हमें ज्यादा टाइम तभी मिलेगा जब हम एवरेज ओर अनइंपोर्टेंट कामों को ना करें अगर हम हर चीज को पाने की कोशिश करेंगे तो कुछ भी नहीं मिलेगा इसलिए अगर हमें अच्छा होना है तो हमेशा हमे सबसे इंपोर्टेंट चीज में अच्छा होना चाहिए।

दूसरा पॉइंट में हमने देखा था

cut your goal in half – मतलब गोल्स को स्टार्ट तो हर कोई कर लेता है लेकिन खत्म सिर्फ विनर्स ही करते हैं और गोल्स को खत्म करने के लिए हमें सबसे पहले हमें अपने गोल को आधा करना होगा और उस छोटे गोल को अचीव करने के बाद हमें नेक्स्ट गोल्ड सेट करना होगा इसका मतलब यह नहीं है कि हमें छोटा सोचना है बल्कि इसका मतलब यह है कि हमें अब एक्शन लेना है और सबसे पहले अपना वर्जन 1 लॉन्च करना है और जब वह गोल अचीव हो जाए तो वर्जन टू लांच करना है और यह तब तक चलता रहेगा जब तक हम अपने बनाए हुए लक्ष्य तक ना पहुंच जाएं।

और थर्ड पॉइंट में हमने देखा था

use data to celebrate your important progress
मतलब अगर हम अपने गोल का डाटा नहीं रखते हैं तो हमें इमोशनली लगेगा कि हम इंप्रूव नहीं हो रहे हैं और हो सकता है कि इसकी वजह से हम अपना काम करना ही छोड़ दें इसलिए ऑथर कहते हैं कि अपने को गोल्स को एनालाइज करते रहिए उसका डाटा जरूर रखिए।

और चौथा पॉइंट हमने देखा था

Make it fun if you want it done
हमारा यह भरोसा होता है कि जिस चीज में स्ट्रगल नहीं वह चीज हमें इंप्रूव नहीं कर सकती लेकिन यह गलत है रिसर्च यह प्रूफ कर चुकी है कि हमारी परफॉर्मेंस फोर्टी सिक्स परसेंट तक इंप्रूव हो जाती जिस चीज को हम इंजॉय करते हैं।

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