जयशंकर प्रसाद के अनमोल विचार | Jaishankar Prasad Quotes In Hindi

जयशंकर प्रसाद के अनमोल विचार | Jaishankar Prasad Quotes In Hindi

जयशंकर प्रसाद के अनमोल विचार | Jaishankar Prasad Quotes In Hindi

जयशंकर प्रसाद के अनमोल विचार | Jaishankar Prasad Quotes In Hindi

1.) अत्याचार के श्मशान में ही मंगल का, शिव का, सत्य-सुंदर संगीत का शुभारंभ होता है।


– जयशंकर प्रसाद


2.) संसार में छल, प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी-कभी मान ही लेना पड़ता है कि यह जगत ही नरक है।


– जयशंकर प्रसाद


3.) निद्रा भी कैसी प्यारी वस्तु है। घोर दु:ख के समय भी मनुष्य को यही सुख देती है।


– जयशंकर प्रसाद


4.) जो अपने कर्मों को ईश्वर का कर्म समझकर करता है, वही ईश्वर का अवतार है। 


– जयशंकर प्रसाद


5.) मनुष्य दूसरों को अपने मार्ग पर चलाने के लिए रुक जाता है, और अपना चलना बंद कर देता है। 


– जयशंकर प्रसाद


6.) संसार भी बड़ा प्रपंचमय यंत्र है। वह अपनी मनोहरता पर आप ही मुग्ध रहता है। 


– जयशंकर प्रसाद


7.) दरिद्रता सब पापों की जननी है तथा लोभ उसकी सबसे बड़ी संतान है। 


– जयशंकर प्रसाद


8.) सहनशील होना अच्छी बात है, पर अन्याय का विरोध करना उससे भी उत्तम है। 


– जयशंकर प्रसाद


9.) निष्फल क्रोध का परिणाम होता है, रो देना। 


– जयशंकर प्रसाद


10.) अधिक हर्ष और उन्नति के बाद ही अधिक दुःख और पतन की बारी आती है। 


– जयशंकर प्रसाद


11.) जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है प्रसन्नता। यह जिसने हासिल कर ली, उसका जीवन सार्थक हो गया। 


– जयशंकर प्रसाद


12.) नारी की करुणा अंतर्जगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं। 


  – जयशंकर प्रसाद


13.) ऐसा जीवन तो विडंबना है, जिसके लिए रात-दिन लड़ना पड़े।


– जयशंकर प्रसाद


14.) सुख तो धर्माचरण से मिलता है, अन्यथा संसार तो दुःखमय है ही! संसार के कर्मों को धार्मिकता के साथ करने में सुख की ही संभावना है।


– जयशंकर प्रसाद


15.) संसार ही युद्ध क्षेत्र है, इसमें पराजित होकर शस्त्र अर्पण करके जीने से क्या लाभ?


– जयशंकर प्रसाद


16.) स्त्री जिससे प्रेम करती है, उसी पर सर्वस्व वार देने को प्रस्तुत हो जाती है।


– जयशंकर प्रसाद


17.) दो प्यार करने वाले हृदयों के बीच में स्वर्गीय ज्योति का निवास होता है।


– जयशंकर प्रसाद

 

 18.) परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। स्थिर होना मृत्यु है, निश्चेष्ट शांति मरण है। 

 

– जयशंकर प्रसाद


19.) आत्म-सम्मान के लिए मर मिटना ही दिव्य-जीवन है।


– जयशंकर प्रसाद


20.) पुरुष है कुतूहल व प्रश्न और स्त्री है विश्लेषण, उत्तर और सब बातों का समाधान।   


– जयशंकर प्रसाद


21.) जीवन विश्व की संपत्ति है। प्रमाद से, क्षणिक आवेश से, या दुःख की कठिनाइयों से उसे नष्ट करना ठीक तो नहीं। 


– जयशंकर प्रसाद


22.) वीरता जब भागती है, तब उसके पैरों से राजनीतिक छल-छद्म की धूल उड़ती है। 


– जयशंकर प्रसाद


23.) स्त्री का हृदय प्रेम का रंगमंच है। 


– जयशंकर प्रसाद


24.) सत्य इतना विराट है कि हम क्षुद्र जीव व्यवहारिक रूप से उसे संपूर्ण ग्रहण करने में प्रायः असमर्थ प्रमाणित होते हैं। 


– जयशंकर प्रसाद


25.) हम जितनी कठिनता से दूसरों को दबाए रखेंगे, उतनी ही हमारी कठिनता बढ़ती जाएगी। 


– जयशंकर प्रसाद


26.) प्रेम महान है, प्रेम उदार है। प्रेमियों को भी वह उदार और महान बनाता है। प्रेम का मुख्य अर्थ है—‘आत्मत्याग’। 


– जयशंकर प्रसाद


27.) क्षमा पर केवल मनुष्य का अधिकार है, वह हमें पशु के पास नहीं मिलती। 


– जयशंकर प्रसाद


28.) अन्य देश मनुष्यों की जन्मभूमि है, लेकिन भारत मानवता की जन्मभूमि है। 


– जयशंकर प्रसाद

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