वर्तमान समय में कैसे जियें past को भूलकर | How To live in present moment in hindi

वर्तमान समय में कैसे जियें past को भूलकर | How To live in present moment in hindi


वर्तमान समय में कैसे जियें past को भूलकर | How To live in present moment in hindi


जब भी मैं शांत होकर बैठने की कोशिश करता हूं मन में अजीब तरह के विचार आते हैं आप कहते हो वर्तमान में जियो लेकिन मन में कुछ ना कुछ बातें आती रहती हैं। हमेशा एक शिष्य अपने गुरु से इस तरह की शिकायत करता वह गुरु उनकी बात सुनते मुस्कुराते और शांत रहते।


एक दिन वह गुरु अपने साथ एक भैंस ले आए और शिष्य से बोला कि तुम हर दिन इस भैंस को नदी में नहलाने ले जाया करो। शिष्य हर दिन भैंस नदी में नहलाने ले जाता भैंस को ठंडे पानी में बहुत मजा आता नहाने के बाद वह वापस लौटने में बहुत नाटक करती और उस शिष्य को भैंस को वापस लाने में बहुत मशक्कत करनी पड़ती।


एक दिन गुरु ने शिष्य से पूछा कि अच्छा बताओ तुम दोनों में से मालिक कौन है शिष्य ने सोच कर बोला कि मैं हूं क्योंकि मेरे हाथ में रस्सी है जवाब सुनकर गुरु ने उस रस्सी को काट दिया और भैंस आजाद होकर वापस नदी में नहाने के लिए भाग गई भैंस आगे आगे और पीछे पीछे वह शिष्य भागा जब भागते भागते बीच में शिष्य रुका तो गुरु ने कहा;


अच्छा अब तो मालिक भैंस हुई ना क्योंकि वह तुम्हें अपने पीछे दौड़ा रही है क्योंकि तुम्हें भैंस में दिलचस्पी है इसलिए तुम उसके पीछे पीछे भाग रहे हो।


भैंस की तरह ही मन के विचारों को भी हम में कोई इंटरेस्ट नहीं है हमें अपने मन के नाटक में इंटरेस्ट है इसीलिए यह हमें परेशान कर पाते हैं जिस पल तुम इन में इंटरेस्ट खो दोगे उस पल से ही विचार मैं तुम्हें हिलाने की शक्ति खत्म हो जाएगी और यह अपने आप गायब होना शुरू हो जाएंगे।


यह सुनकर भविष्य वही शांत होकर बैठ गया उसने देखा कि अभी तक वह मन से नहीं बल्कि मन के प्रति रिएक्शन से परेशान था अभी भी विचार है लेकिन अब वह यह सब दूर से देख सकता है उस पर उसने गहन शांति का अनुभव किया।

उपनिषदों में इसी को वैराग्य यानी Detachment कहा गया है जब आप अपने जीवन के past और Nonsense में इंटरेस्ट छोड़ दोगे तब मन आपके पीछे-पीछे आता है मन बेकार मालिक से अच्छा सेवक बन जाता है इसी को Detachment कहते हैं और Detachment ही Presence है।


यह present क्या है?


एक शक्ति है जो हम सबको जीवन दे रही है यह शक्ति हमेशा मौजूद है हमेशा प्रेजेंट है।


Quantum model of reality के अनुसार सब कुछ वाइब्रेशन है और सब कुछ वाइब्रेशन एक एनर्जी के कारण हैं और यह एनर्जी हर जगह बराबर प्रेजेंट है यानी सब कुछ अभी और यही है।


इसी बात को दीपक चोपड़ा अपनी किताब में कहते हैं low of infinite potential यानी इस पल में सब कुछ संभव है जब आप अपना ध्यान इस क्षण में ले आते हो तो आप वही शक्ति का अनुभव करते हो इस पल में कोई अतीत या रुकावट नहीं है इसलिए इस पल में सब कुछ संभव है।


तो सवाल है कि हम ऐसा कैसे करेंगे।


हमारा दिमाग और शरीर दोनों अनुभव और अतीत स्टोर करने की मशीन है आपके साथ जो भी सही गलत हुआ उसे सबसे पहले मेमोरी और नजरिए ने आपके दिमाग में स्टोर कर लिया और फिर शरीर ने फिलिंग्स के रूप में स्टोर कर लिया अब आप अपने जीवन को इसी नजरिए से देखते हो। 

यानी present पर past का रंग चढ़ा हुआ है यह होता ऐसे है कि शरीर को इन इमोशन और फिलिंग्स की आदत हो गई है यह अनजाने में जाने पहचाने इमोशन को महसूस करना चाहता है। इसी एडिक्शन को कंफर्ट जोन कहते हैं। अब जब आप सुबह जाते हो प्रॉब्लम्स के बारे में सोचते हो तो आपको पुरानी बातें याद आती हैं आप वही इमोशन और फिलिंग्स गुस्सा और फ्रस्ट्रेशन और बेचैनी शरीर में महसूस करते हो जैसे आपने पहली बार किए थे।


जैसा आप महसूस करते हो वैसे ही आप सोचते और एक्शन लेते हो इस state में आपका एक-एक दिन निकलता जा रहा है आपका past वर्तमान और भविष्य को ढकता जा रहा है और इसीलिए वर्तमान में जीना असंभव लगता है।


इस साईकल से बाहर कैसे निकले?


भविष्य जो आप बनाना चाहते हो उसके लिए दीवाने हो जाओ उसी को सोचो उसी को महसूस करो और उसी के लिए काम करो हो सकता है यह बात आपको कुछ ठीक ना लगे।

लेकिन जो लोग अपने vision को लेकर Obsessed होते हैं वही लोग अपने past और कमियों को पीछे छोड़ पाते हैं। 


जैसे आप अभी तक past को तीव्रता से महसूस करते आए हैं वैसे ही अपने दिमाग की स्क्रीन पर एक स्पष्ट विजन बनाओ उसकी जीत और पूर्णता को पूरी तीव्रता से महसूस करो। इस vision बारे में बार-बार सोचो और बार-बार अपने अंदर खुशी और उस ताकत को महसूस करो मतलब आपके भविष्य के इमोशन आपके Past से ज्यादा ताकतवर होना चाहिए इसे आप 4 steps से कर सकते हैं।


रिकॉग्नाइज – मान लीजिए कि सुबह से सब बढ़िया है एक बात आपकी पसंद की नहीं हुई और आपको बुरा लगा लेकिन अब धीरे-धीरे फ्रस्ट्रेशन बढ़ता जा रहा है तो आप देखोगे अरे यह तो पुराना प्रोग्राम चालू हो रहा है इस फीलिंग की इस शरीर को आदत हो गई है।


ब्रेथअवेयरनेस – इस प्रोग्राम को दबाने की वजह अपना ध्यान सांस पर लाएंगे यह सांस हमेशा इस पल से जुड़ी हुई है।


सेंसेशन अवेयरनेस – फिर इस फीलिंग को अपने शरीर में देखना महसूस करेंगे कि पेट गले कंधे सीने में कैसा महसूस हो रहा है कहां sensation ज्यादा है और कहां कम है जैसे यह सेंसेशन कम होना शुरू होंगे वैसे ही हम अपना ध्यान वापस सांस पर लाना शुरू करेंगे।


कनेक्ट विद विजन – फिर जो विजन हम बनाना चाहते हैं जिस तरह से हम जीवन में बनना चाहते हैं उस पर अपना ध्यान लगाएंगे मान लो कि हमें frustration और guilt की भावना बार-बार परेशान करती है तो हमने विजन बनाया हुआ है कि मैं भविष्य में ऐसा इंसान हूं जो अपने बारे में बहुत अच्छा महसूस करता है। मैं chill रहता हूं परेशानियों में मुस्कुराता हूं। मैं वह ऐसा इंसान हूं जो खुद को और बाकी सब को आसानी से माफ कर सकता है मैं इस समय अपने अंदर खुश हल्का और फुर्तीला महसूस करूंगा। हम इनसे फिलिंग्स पर अपना ध्यान लेकर आएंगे और जो हम बनना चाहते हैं वह अभी सच हो जाएगा। यही पावर है प्रेजेंस की। 

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डॉक्टर जो डिस्पेंजा कहते हैं कि जब आप उन इमोशन और बिहेवियर के प्रति सचेत होने लगते हो जो आपको अनजाने में प्रेजेंट मोमेंट से दूर ले जाते हैं तब आप सही मायनों में बदलना शुरू होते हो जितनी बार आप अपना ध्यान past से हटाकर नई फीलिंग और विजन पर ले जाएंगे उतनी बार दिमाग में नए neural circuits बनेंगे जितनी बार आपका शरीर past के एडिक्शन से फ्री होना सीखेगा उतनी बार आपका शरीर नई फिलिंग्स को महसूस करना सीखेगा ओर कितनी ही बार आप प्रेजेंट हो जाओगे ऐसा ऐसा सफलतापूर्वक करने के लिए।