25+ महाकवि कालिदास के अनमोल वचन | Mahakavi Kalidas Quotes In Hindi

25+ महाकवि कालिदास के अनमोल वचन, विचार | Mahakavi Kalidas Quotes In Hindi


महाकवि कालिदास के अनमोल वचन, विचार | Mahakavi Kalidas Quotes In Hindi

25+ महाकवि कालिदास के अनमोल वचन, विचार | Mahakavi Kalidas Quotes In Hindi


महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा के उच्च कोटि के महाकवि और नाटककार थे। इनका जन्म पहली से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच हुआ था। कालिदास के यह अनमोल वचन लोगों की सोच को बदलने में बहुत प्रभावकारी साबित हुए हैं महाकवि कालिदास को आधुनिक कवियों ने “राष्ट्रकवि” की उपाधि दी है।


1.) इस पृथ्वी पर तीन रत्न हैं ; जल, अन्न और सुभाषित, लेकिन अज्ञानी पत्थरों के टुकड़ों को ही रत्न कहते हैं। 


– महाकवि कालिदास


2.) जिस व्यक्ति की आखें दर्द कर रही हैं उसे बहुत सुन्दर दीपशिखा भी अच्छी नहीं लगती है उसी प्रकार जो व्यक्ति हृदय से दुखी है वो सुख की अनुभूति नहीं कर सकता अर्थात उसे कही भी ख़ुशी नहीं मिलेगा । 


महाकवि कालिदास के अनमोल वचन, विचार | Mahakavi Kalidas Quotes In Hindi



– महाकवि कालिदास


3.) वृक्ष के समान बनों जो कड़ी गर्मी झेलने के बाद भी सभी को छाया देता है। 


– महाकवि कालिदास


4.) विश्व महापुरुष को खोजता है न की महापुरुष विश्व को। 


– महाकवि कालिदास


5.) हंस पानी मिले दूध मे से दूध पी लेता है और पानी छोड़ देता है।


– महाकवि कालिदास


6.) फल आने पर पेड़ झुक जाते हैं,  वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं। सम्पति आने पर सज्जन लोग विनम्र हो जाते हैं – परोपकारियों का स्वाभाव ऐसा ही है। 


– महाकवि कालिदास


7.) अपनी बात के धनी लोगों के निश्चय मन को और नीचे गिरते हुए पानी के वेग को भला कौन फेर सकता है।


– महाकवि कालिदास


8.) विपत्ति में पड़े हुए पुरुषों की पीड़ा हर लेना ही सत्पुरुषों की संपत्ति का सच्चा फल है। संपत्ति पाकर भी मनुष्य अगर विपत्ति-ग्रस्त लोगों के काम न आया तो वह संपत्ति किस काम की।


– महाकवि कालिदास


9.) गुण से ही व्यक्ति की पहचान होती है, गुनी व्यक्ति सब जगह अपना आदर करा लेता है।


– महाकवि कालिदास


10.) प्रत्येक व्यक्ति की रुचि एक दूसरे से भिन्न होती है।


– महाकवि कालिदास


11.) कोई वस्तु पुरानी होने से अच्छी नहीं हो जाती और न ही कोई काव्य नया होने से निंदनीय हो जाता है।


– महाकवि कालिदास


12.) सज्जन पुरुष बिना कहे ही दूसरों का भला कर देते हैं जिस प्रकार सूर्य घर घर जाकर प्रकाश देता है।


– महाकवि कालिदास


13.) दान पुण्य केवल परलोक में सुख देता है पर योग्य संतान अपनी सेवा द्वारा इस लोक और परलोक दोनों में ही सुख देती है। 


– महाकवि कालिदास



14.) तुमने निंदायुक्त वचनों को उत्तम मानकर जो यहां कहा है उनसे कोई कार्य तो सिद्ध हुआ नहीं, केवल तुम्हारे स्वरूप का स्पष्टीकरण हो गया है।


– महाकवि कालिदास


15.) जिस प्रकार बड़ा छेद हो या छोटा वो नाव को डुबो देता है उसी तरह  दुष्ट व्यक्ति की दुस्टता उसे बर्बाद कर देती है। 


– महाकवि कालिदास


16.) नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य की शोभा बढ़ती है।


– महाकवि कालिदास


17.) किसे हमेशा सुख मिला है और किसे हमेशा दु:ख मिला है। सुख-दुख सबके साथ लगे हुए हैं।


– महाकवि कालिदास


18.) रथचक्र की अरों के समान मनुष्य के जीवन की दशा ऊपर-नीचे हुआ करती है। कभी के दिन बड़े कभी की रात।


– महाकवि कालिदास


19.) विद्वानों की संगति से मूर्ख भी विद्वान् बन जाता है जैसे निर्मली के बीज से मटमैला पानी स्वच्छ हो जाता है।


– महाकवि कालिदास


20.) काम की समाप्ति यदि संतोषजनक हो तो परिश्रम की थकान याद नहीं रहती। 


महाकवि कालिदास के अनमोल वचन, विचार | Mahakavi Kalidas Quotes In Hindi



– महाकवि कालिदास


21.) जल आग की गर्मी से गर्म हो जाता है पर वास्तव में उसका स्वाभाव तो  ठंडा ही होता है। 


– महाकवि कालिदास



22.) दु:ख में अपने स्वजनों को देखते ही दु:ख उसी प्रकार बढ़ जाता है, जैसे रुकी वस्तु को बाहर निकलने के लिए बड़ा द्वार मिल जाए।


– महाकवि कालिदास


23.) जिसने इंद्रियों पर विजय पा ली है उसके मन में विघन्कार वस्तुएं थोड़ा भी छोभ उत्पन्न नहीं कर सकतीं।


– महाकवि कालिदास


24.) वास्तव में धीर पुरुष वे ही हैं, जिनका चित्त विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में भी अस्थिर नहीं होता।


– महाकवि कालिदास


25.) जिस प्रकार जब सूरज निकलता है तब लालिमा युक्त होता है और अस्त होता है तो भी लालिमायुक्त होता है। इसी प्रकार महान पुरुष भी सुख और दुःख में एकरूपता रखता है।


– महाकवि कालिदास


26.) मन को विचलित करने वाली कितनी भी परिस्थितियाँ क्यों न हों पर एक धैर्यवान पुरुष कभी भी विचलित नहीं होता। 


– महाकवि कालिदास


27.) आज अच्छी तरह से जीने वाले हर कल को खुशियों की याद दिलाते हैं और हर आने वाले कल को एक उम्मीद की निशानी बनाते हैं। 


– महाकवि कालिदास





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