स्वामी बाबा रामदेव जी के 45+ अनमोल विचार | Swami Baba Ramdev Quotes in Hindi
स्वामी बाबा रामदेव जी के 45+ अनमोल विचार | Swami Baba Ramdev Quotes in Hindi
●•● माता-पिता का बच्चों के प्रति, आचार्य का शिष्यों के प्रति, राष्ट्रभक्त का मातृभूमि के प्रति ही सच्चा प्रेम है।
– स्वामी रामदेव
विचार शहादत, कुर्बानी, शक्ति, शौर्य, साहस व स्वाभिमान है। विचार आग व तूफान है साथ ही शान्ति व सन्तुष्टी का पैगाम है।
– स्वामी रामदेव
●•● जीवन भगवान की सबसे बडी सौगात है। मनुष्य का जन्म हमारे लिए भगवान का सबसे बडा उपहार है।
– स्वामी रामदेव
●•● विचारों का ही परिणाम है-हमारा सम्पूर्ण जीवन। विचार ही बीज है, जीवनरुपी इस व्रक्ष का।
– स्वामी रामदेव
●•● विचारों की पवित्रता ही नैतिकता है।
– स्वामी रामदेव
●•● पवित्र विचार प्रवाह ही मधुर व प्रभावशाली वाणी का मूल स्त्रोत है।
– स्वामी रामदेव
●•● मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मैंने इस पवित्र भूमि व देश में जन्म लिया है।
– स्वामी रामदेव
हमारे सुख-दुःख का कारण दूसरे व्यक्ति या परिस्थितियाँ नहीं अपितु हमारे अच्छे या बूरे विचार होते हैं।
– स्वामी रामदेव
●•● कर्म ही मेरा धर्म है। कर्म ही मेरि पूजा है।
– स्वामी रामदेव
●•● भगवान सदा हमें हमारी क्षमता, पात्रता व श्रम से अधिक ही प्रदान करते हैं।
– स्वामी रामदेव
●•● हमारा जीना व दुनियाँ से जाना ही गौरवपूर्ण होने चाहिए।
– स्वामी रामदेव
●•● “न” के लिए अनुमति नहीं है।
– स्वामी रामदेव
पवित्र विचार-प्रवाह ही जीवन है तथा विचार-प्रवाह का विघटन ही मत्यु है।
– स्वामी रामदेव
●•● यदि बचपन व माँ की कोख की याद रहे तो हम कभी भी माँ-बाप के क्रतघ्न नहीं हो सकते। अपमान की ऊचाईयाँ छूने के बाद भी अतीत की याद व्यक्ति के जमीन से पैर नहीं उखडने देती।
– स्वामी रामदेव
●•● विचारवान व संस्कारवान ही अमीर व महान है तथा विचारहीन ही कंगाल व दरिद्र है।
– स्वामी रामदेव
●•● उत्कर्ष के साथ संघर्ष न छोडो।
– स्वामी रामदेव
●•● बुढापा आयु नहीं, विचारों का परिणाम है।
– स्वामी रामदेव
मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव” की संस्कृति अपनाओ।
– स्वामी रामदेव
●•● विचार ही सम्पूर्ण खुशियों का आधार है।
– स्वामी रामदेव
●•● द्रढता हो, जिद्द नहीं। बहादुरी हो, जल्दबाजी नहीं। दया हो, कमजोरी नहीं।
– स्वामी रामदेव
●•● मैं मात्र एक व्यक्ति नहीं, अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र व देश की सभ्यता व संस्कृति की अभिव्यक्ति हूँ।
– स्वामी रामदेव
●•● अतीत को कभी विस्म्रत न करो, अतीत का बोध हमें गलतियों से बचाता है।
– स्वामी रामदेव
●•● मैं पुरुषार्थवादी, राष्ट्र्वादी, मानवतावादी व अध्यात्मवादी हूँ।
– स्वामी रामदेव
आहार से मनुष्य का स्वभाव और प्रक्रति तय होती शाकाहार से स्वभाव शांत रहता मांसाहार मनुष्य को उग्र बनाता है।
– स्वामी रामदेव
●•● प्रेम, वासना नहीं उपासना है। वासना का उत्कर्ष प्रेम की हत्या है, प्रेम समर्पण एवं विश्वास की परकाष्ठा है।
– स्वामी रामदेव
●•● हम मात्र प्रवचन से नहीं अपितु आचरण से परिवर्तन करने की संस्कृति में विश्वास रखते हैं।
– स्वामी रामदेव
●•● वैचारिक दरिद्रता ही देश के दुःख, अभाव पीडा व अवनति का कारण है।
– स्वामी रामदेव
अपनी आन्तरिक क्षमताओं का पूरा उपयोग करें तो हम पुरुष से महापुरुष, युगपुरुष, मानव से महामानव बन सकते हैं।
– स्वामी रामदेव
●•● अपवित्र विचारों से एक व्यक्ति को चरित्रहीन बनाया जा सकता है, तो शुध्द सात्विक एवं पवित्र विचारों से उसे संस्कारवान भी बनाया जा सकता है।
– स्वामी रामदेव
●•● बाह्य जगत में प्रसिध्दि की तीव्र लालसा का अर्थ है-तुम्हें आन्तरिक सम्रध्द व शान्ति उपलब्ध नहीं हो पाई है।
– स्वामी रामदेव
स्वधर्म में अवस्थित रहकर स्वकर्म से परमात्मा की पूजा करते हुए तुम्हें समाधि व सिध्दि मिलेगी।
– स्वामी रामदेव
●•● जहाँ मैं और मेरा जुड जाता है वहाँ ममता, प्रेम, करुणा एवं समर्पण होते हैं।
– स्वामी रामदेव
●•● विचारों की अपवित्रता ही हिंसा, अपराध, क्रूरता, शोषण, अन्याय, अधर्म और भ्रष्टाचार का कारण है।
– स्वामी रामदेव
●•● निष्काम कर्म, कर्म का अभाव नहीं, कर्तृत्व के अहंकार का अभाव होता है।
– स्वामी रामदेव
●•● जब मेरा अन्तर्जागरण हुआ तो मैंने स्वयं को संबोधि व्रक्ष की छाया में पूर्ण त्रप्त पाया।
– स्वामी रामदेव
भीड में खोया हुआ इंसान खोज लिया जाता है परन्तु विचारों की भीड के बीहड में भटकते हुए इंसान का पूरा जीवन अंधकारमय हो जाता है।
– स्वामी रामदेव
●•● माता-पिता के चरणों में चारों धाम हैं। माता-पिता इस धरती के भगवान हैं।
– स्वामी रामदेव
●•● प्रत्येक जीव की आत्मा में मेरा परमात्मा विराजमान है।
– स्वामी रामदेव
●•● बिना सेवा के चित्त शुध्दि नहीं होती और चित्तशुध्दि के बिना परमात्मतत्व की अनुभूति नहीं होती।
– स्वामी रामदेव
ध्यान-उपासना के द्वारा जब तुम ईश्वरीय शक्तियों के संवाहक बन जाते हो तब तुम्हें निमित्त बनाकर भागवत शक्ति कार्य कर रही होती है।
– स्वामी रामदेव
●•● वैचारिक द्रढता ही देश की सुख-सम्रध्दि व विकास का मूल मंत्र है।
– स्वामी रामदेव
●•● विचारशीलता ही मनुष्यता, और विचारहीनता ही पशुता है।
– स्वामी रामदेव
●•● मैं पहले माँ भारती का पुत्र हूँ बाद में सन्यासी, ग्रहस्थी, नेता अभिनेता, कर्मचारी, अधिकारी या व्यापारी हूँ।
– स्वामी रामदेव
मेरे भीतर संकल्प की अग्नि निरंतर प्रज्ज्वलित है। मेरे जीवन का पथ सदा प्रकाशमान है।
– स्वामी रामदेव
●•● आरोग्य हमारा जन्म सिध्द अधिकार है।
– स्वामी रामदेव
●•● पराक्रमशीलता, राष्ट्रवादिता, पारदर्शिता, दूरदर्शिता, आध्यात्मिक, मानवता एवं विनयशीलता मेरी कार्यशैली के आदर्श हैं।
– स्वामी रामदेव
इन्सान का जन्म ही, दर्द एवं पीडा के साथ होता है। अत: जीवन भर जीवन में काँटे रहेंगे। उन काँटों के बीच तुम्हें गुलाब के फूलों की तरह, अपने जीवन-पुष्प को विकसित करना है।
– स्वामी रामदेव
●•● सदा चेहरे पर प्रसन्नता व मुस्कान रखो। दूसरों को प्रसन्नता दो, तुम्हें प्रसन्नता मिलेगी।
– स्वामी रामदेव
●•● मैं सदा प्रभु में हूँ, मेरा प्रभु सदा मुझमें है।
– स्वामी रामदेव