संत गुरु रविदास जी जयंती के अनमोल वचन, विचार | Sant guru Ravidas Quotes In Hindi
संत गुरु रविदास जी के अनमोल विचार | Sant Ravidas Quotes In Hindi
●•● राम, कृष्ण, हरी, ईश्वर, करीम, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग अलग नाम है वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथो में एक ही ईश्वर का गुणगान किया गया है, और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ सिखाते हैं।
कोई भी व्यक्ति किसी जाति में जन्म के कारण नीचा या छोटा नहीं होता है। किसी व्यक्ति को निम्न उसके कर्म बनाते हैं। इसलिए हमें सदैव अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। हमारे कर्म सदैव ऊंचें होने चाहिए।
●•● हमें हमेशा कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नही छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म करना हमारा धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य है।
किसी को सिर्फ इसलिए नहीं पूजना चाहिए क्योंकि वह किसी पूजनीय पद पर है। यदि व्यक्ति में उस पद के योग्य गुण नहीं हैं तो उसे नहीं पूजना चाहिए। इसकी जगह अगर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो किसी ऊंचे पद पर तो नहीं है लेकिन बहुत गुणवान है तो उसका पूजन अवश्य करना चाहिए।
●•● यदि आपमें थोड़ा सा भी अभिमान नही है तो निश्चित ही आपका जीवन सफल रहता है ठीक वैसे ही जैसे एक विशालकाय हाथी शक्कर के दानो को बिन नही सकता लेकिन एक तुच्छ सी दिखने वाली चींटी शक्कर के दानों को आसानी से बिन लेती है।
मोह-माया में फसा जीव भटक्ता रहता है। इस माया को बनाने वाला ही मुक्ती दाता है।
●•● सिर्फ जन्म लेने से कोई नीच नही बन जाता है, इन्सान के कर्म ही उसे नीच बनाते हैं।
जिस व्यक्ति का मन पवित्र होता है, उसके बुलाने पर मां गंगा एक कठौती में भी आ जाती हैं।
●•● हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहियें और साथ साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहयें, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य
हरी के समान बहुमूल्य हीरे को छोड़ कर अन्य की आशा करने वाले अवश्य ही नरक जायेगें। यानि प्रभु भक्ति को छोड़ कर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है।
●•● निर्मल मन में ही भगवान वास करते हैं। अगर आपके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है तो आपका मन ही भगवान का मंदिर, दीपक और धूप है। ऐसे पवित्र विचारों वाले मन में प्रभु सदैव निवास करते हैं।
जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नही है, वास्तव में संसार असत्य है।
●•● यदि आपका मन पवित्र है तो साक्षात् ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है।
जिसके हर्दय मे रात दिन राम समाये रहते है, ऐसा भक्त राम के समान है, उस पर न तो क्रोध का असर होता है और न ही काम भावना उस पर हावी हो सकती है।
●•● जिस प्रकार तेज़ हवा के कारण सागर मे बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं, और फिर सागर में ही समा जाती हैं, उनका अलग अस्तित्व नहीं होता । इसी प्रकार परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।
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