केन विलियमसन Work Ethic हिंदी | Kane Williamson work ethic hindi

kane Williamson जो कि न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हैं को नेचुरली शब्द पसंद नहीं है अगर आपको उनसे रिएक्शन निकलवाना है तो इस शब्द का बार बार प्रयोग करें एक रिपोर्टर ने ऐसा ही किया तो williamson जवाब देते हैं कि किसे मालूम नेचुरल क्या है कोई जल्दी खेलना शुरु करता है तो कोई बहुत ज्यादा प्रैक्टिस करता है। मैं बचपन से खेलता आ रहा हूं और कभी लगा ही नहीं कि मैं यह खेल रहा हूं मैं बचपन से ही प्रैक्टिस करता रहा आ रहा हूँ। kane कहते हैं कि बचपन में मैं जो भी खेलता उसमें बहुत समय लगाता था उस समय में क्रिकेट के साथ है वॉलीबॉल रग्बी सॉकर भी खेला करता था और जैसे जैसे मैं क्रिकेट में आगे बढ़ता गया बाकी खेल के लिए समय कम होता गया।


Outlire बुक में मैलकम ग्लैडवैल कहते हैं कि 10000 घंटे की प्रैक्टिस के साथ-साथ छोटे-छोटे factors जो आपकी सफलता का हिस्सा बनते हैं और केन विलियमसन की कहानी से भी कुछ ऐसा ही लगता है।


केन विलियमसन ऐसे परिवार में पैदा हुए थे जहां स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दी जाती थी माता-पिता दोनों स्पोर्ट्स पर्सन थे। साथ में तीन बड़ी बहन और दो जुड़वा भाई दिन भर खेलते रहते हैं इतना ही नहीं जहां केन विलियमसन रहते थे वहां कई बच्चे नेशनल और इंटरनेशनल एथलीट भी बने न्यूजीलैंड के पूरे देश की आबादी मुंबई की एक तिहाई है यह किस्मत की बात थी कि इतने सारे नेशनल लेवल प्लेयर बचपन में एक साथ खेलते हुए बड़े हुए।


न्यूजीलैंड में रग्बी सबसे लोकप्रिय खेल है इसीलिए न्यूजीलैंड में सारे मैदान dual purpose हैं मतलब dadicated कुछ ना होने के कारण डोमेस्टिक क्रिकेट मैच के लिए पिच इतनी अच्छी नहीं होती खराब पिच होने का मतलब है कि वह टप्पा खाने के बाद क्या करेगी उछाल लेगी या नीचे रह जाएगी आप कुछ कह नहीं सकते इसीलिए अधिकतर न्यूजीलैंड बैट्समैन फ्रंट फुट पर खेलना पसंद करते हैं क्योंकि बचपन से ही ऐसी पिच पर खेल खेलकर आदत बन जाती है। जब छोटे केन विलियमसन के पिता ने इस कांसेप्ट को जाना तब उन्होंने कहा बेटे तुमको दोनों पैरों पर खेलना है फिर विलियमसन ने तब तक खेलना नहीं छोड़ा जब तक बैकफुट पर जाना उनका नेचुरल रिएक्शन नहीं बन गया।


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केन विलियमसन के बहुत सारे इंटरव्यू डिप्लोमेटिक होते हैं और बहुत कुछ चीजें बार-बार दोहराते जिससे आप उनके बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं लगा सकते।


हुआ यूं कि करियर की शुरुआत में किसी ने केन विलियमसन के नाम से एक छोटा ब्लॉग लिखा जिसमें कहा गया कि केन विलियमसन खुद को न्यूजीलैंड के इतिहास का सबसे अच्छा बैट्समैन मानते हैं इस ब्लॉग के आधार पर नेशनल न्यूज़ पेपर ने नौजवान केन विलियमसन की खूब खिंचाई की लोग तो इस बात को भूल गए लेकिन इसके बाद केन विलियमसन ने मीडिया के लिए अपनी शटर गिरा दिए लेकिन केन विलियमसन के माता पिता और कोच के इंटरव्यू से आपको बहुत कुछ जानने को मिलता है।


केन विलियमसन के माता-पिता कहते हैं कि वह अपने आपको बचपन में बहुत कुछ सिखाता रहता जब वह 7 साल का हो गया तब हम देखते थे कि वह बास्केटबॉल, वॉलीबॉल कि अकेले प्रैक्टिस करता हमने कभी भी उसे दोनों हाथ से प्रैक्टिस करने को नहीं कहा लेकिन वह खुद से ही पहले उल्टे हाथ से फिर सीधे हाथ से बास्केटबॉल में ड्रिबलिंग, शूटिंग प्रैक्टिस करता रहता नई चीजें सीखते रहना और अच्छा खेलने की डिटरमिनेशन उसमें बचपन से ही था और यही बात केन विलियमसन के सारे कोच कहते हैं।


उनके बचपन के कोच ब्रेसवेल कहते हैं कि वह हर एक प्रैक्टिस सेशन के साथ अच्छा होना चाहता था बाकी बच्चे तो आते खेलते हैं और चले जाते लेकिन केन विलियमसन की प्रैक्टिस में वह इंटेंसिटी दिखती थी कि वह कुछ सीखना चाहता है।


दूसरे कोच कहते हैं कि जब तक कोई साथ देने के लिए होता तब तक केन विलियमसन प्रैक्टिस करते रहते थे कई बार तो कोच थक जाते लेकिन केन विलियमसन प्रैक्टिस करते रहते।


विलियमसन कहते हैं कि मैं अपने आपको stats की धार पर नहीं रखता हमारा सिंपल कमिटमेंट है कि टीम बेहतर खेले और हर खेल के साथ हम सीखें, बाकी कभी हारेंगे कभी जीतेंगे इस एटीट्यूड के कारण वह अपनी टीम के लिए छोटे वप्लेयर्स और छोटी इनिंग्स से उबर कर कंसिस्टेंटली रन बनाते हैं। तीन टेस्ट सीरीज पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और श्रीलंका में उनके बेस्ट स्कोर है उसी तरह 2015 वर्ल्ड कप के पहले उन्होंने 16 मैचों में 74.26 के औसत से रन बनाए।


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न्यूजीलैंड के टीम मैनेजर माइक सैंडल कहते हैं कि केन विलियमसन अपना गुस्सा या परेशानी जाहिर नहीं करते और बिल्कुल ऐसा ही सफलता के साथ भी है केन विलियमसन अपने विनम्र स्वभाव के कारण प्रसिद्ध हुए। खासकर 2019 वर्ल्ड कप के दौरान लेकिन आप उनके लुक्स पर रुक मत जाना उनके कोच जोश कहते हैं कि केन विलियमसन बहुत जल्दी गेम को पढ़ते हैं और वह बहुत कैलकुलेटिव है जब वह किसी प्रॉब्लम के बारे में सोचते हैं तो वह सीधे nut and bolts तक जाते हैं और बिना भावना में बहे वह पूछते हैं कि मैं यह करूं या यह बदलूं तो गेम पर क्या असर पड़ेगा? और निश्चय करने के बाद हर प्रॉब्लम को सॉल्व करते हैं इस अप्रोच के कारण उनमें कोई कंफ्यूजन नहीं रहता।


उनके पिता कहते हैं कि कुछ दिनों में रग्बी खेलना शुरू करने के बाद वह घर आया और बोला कि मुझे भिड़ने के लिए यानी टैकल करने के लिए अपनी ताकत बढ़ानी है और उस दिन से वह घर के बाहर chin-ups लगाता रहता विलियमसन के अंदर बचपन से बेहतर होने की इंटेंसिटी थी। लेकिन इंटेंसिटी का मतलब वह नहीं होता विलियमसन कभी अपने आप को बहुत सीरियस नहीं लेते अगर किसी टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन बहुत खराब होता तो उनके पिता कहते हैं कि घर पर उसके बर्ताव से आप बता नहीं सकते कि उसने मैच कैसा खेला।


केन विलियमसन कहते हैं की आप सक्सेस ओर फैलियर दोनों को ही लंबे समय तक पकड़े नहीं रह सकते हैं आपको दोनों को छोड़ना होगा बस आपको पता होना चाहिए कि सफलता और असफलता के पीछे का कारण क्या है और आपको कहां काम करने की जरूरत है।


केन विलियमसन कहते हैं कि जब आप बार-बार फेल होते हो तो चिंतित होना स्वाभाविक है खासकर तब जब मीडिया में सक्सेस को जरूरत से ज्यादा वजन दिया जाता है आपको अपने प्रैक्टिस पर भरोसा होना चाहिए कि इसके जरिए मैं फेलियर से बाहर निकल जाऊंगा या अपनी परेशानी सॉल्व कर लूंगा।


दोस्तों यही सबसे बड़ी सीख है और यह कन्फ्यूजन हम सबके दिमाग से हटना चाहिए प्रॉब्लम मतलब एक घटना जिस पर आपका कंट्रोल नहीं है और यह घटना बार-बार रिपीट हो रही है। जब आप कहते हो कि मेरा काम करने का मन नहीं है तब आप साफ यह कह रहे हो कि मैं जानते हुए भी अपने शरीर और दिमाग से सही चीजें नहीं करवा पा रहा हूँ।


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इस प्रॉब्लम का हल 1% नॉलेज और 99% प्रैक्टिस और रिपीटेशन है और हम लोग बिल्कुल उल्टा करते हैं नॉलेज के ट्रिक्स और हैक्स ढूंढते रहते हैं और प्रैक्टिस में तकलीफ होते ही मुंह मोड़ लेते हैं प्रेक्टिस से आपका अनुभव और जो कोच आपको प्रैक्टिस करते हुए देखता है उसका फीडबैक यह दो बातें आपको सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाती है कई बातों में आपको होशियार टीचर और afford नहीं कर सकते तो अपनी प्रैक्टिस और रूटीन को रिकॉर्ड करना शुरू कीजिए कि आज 30 मिनट में मैंने इतना किया इस तरह से किया और इसका यह अनुभव था।


जब भी आप केवल सोच सोच कर प्रॉब्लम से बाहर निकलना चाहते हो तो यह wishful thinking ही आपकी समस्या बन जाती है गुस्सा नहीं करना चाहिए कि मैं सब समझता हूं कि गुस्सा नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी इस से नहीं निकल पा रहा तो आपको क्या करना चाहिए?


Process बनाइए अपना सारा dedication प्रोसेस को दोहराने और refine करने में लगा दीजिए आलस भगाने का और नया आईडियास सोचने का हर चीज का प्रोसेस बनाया जा सकता है।


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