सफलता के लिए बदलाव आने से न डरें | don’t be afraid of change hindi
आप सोचो कि बिना बदलाव लाए तरक्की हो जाए या फिर प्रॉब्लम आसान हो जाए तो ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि growth बदलाव के रूप में ही होती है। अधिकतर बदलाव बाहर से ही आते हैं हम तब तक नहीं बदलते जब तक बदलाव बेहद जरूरी ना हो क्योंकि बदलने में तकलीफ होती है और झुककर चीज सीखने में Ego को चोट पहुंचती है वहीं दूसरी तरफ चैंपियंस खुद बदलाव लाते हैं।
सुनील छेत्री से बातचीत के दौरान विराट कोहली कहते हैं कि मेरे खेल में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब शंकर बसु सर ने मेरा वेट लिफ्टिंग से परिचय करवाया। उस समय विराट कोहली को थोड़ा संदेह था क्योंकि उन्हें कभी-कभी कमर में तकलीफ भी होती थी ऐसे में भारी वजन से snatch clean or jerk जैसे नए टेक्निकल मूवमेंट्स करने में थोड़ी हिचक थी लेकिन बसु सर ने बोला तुम मुझ पर भरोसा करो फिर विराट पूरा दिन खत्म होने के बाद शाम को अकेले ट्रेन करते थे वे कहते हैं कि 3 हफ्ते में मुझे अपना खेल और शरीर में अंतर दिखने लगा और उसके बाद हमने डाइट और शरीर पर ध्यान दिया।
विराट कहते हैं कि मुझे पता था कि genes के कारण वजन कम रखने और मसल मेंटेन करने के लिए मुझे दो से तीन गुना मेहनत करनी होगी और मैं इस बदलाव के लिए तैयार था मसल्स की एक्सक्लूसिव स्ट्रैंथ और endurance के लिए ओलंपिक वेटलिफ्टिंग कोई नई खोज नहीं है बॉलीवुड रेसलिंग और कई स्पोर्ट्स मैं एथलीट इसको अपनी ट्रेनिंग में शामिल करते हैं लेकिन क्रिकेट के बदलते हुए फॉर्मेट और चोट से बचने के लिए विराट कोहली समय रहते बदलाव लेकर आये और 2016 में उनके खेल का स्तर कई कदम आगे निकल।
अगर आप चैलेंज इसके लिए तैयार रहने की और उसके लिए बदलाव लाने का एटीट्यूड अपने अंदर ला सको तो आप आश्चर्य करोगे कि जिंदगी आपको आगे बढ़ने की कितने मौके देती है। जब पहली बार माइकल जॉर्डन को समर कैंप में चुना गया तो वह उनके खेल या athileticism के कारण नहीं बल्कि वह बहुत Coachable थे। बहुत छोटी उम्र से वह सीखना चाहते थे माइकल जॉर्डन हर दिन ट्रेनिंग से 2 घंटे पहले आकर यह पूछते थे कि“सर मुझे बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए आज क्या करना होगा?” और कोच जो भी उन्हें बातें बताते वह उन्हें पूरी ईमानदारी से करते थे।
Coachable होने का मतलब है कि आप पहले से बहुत कुछ जानते हो… फिर उसके बाद आप क्या सीखते हो वह मायने रखता।
चैंपियंस बड़ा विजन रखते हैं और उनका Ego कंट्रोल में होता है इसीलिए वह इंप्रूवमेंट लाना चाहते हैं Coachable बहुत बड़ी क्वालिटी होती है जो फीडबैक समझकर सीखने की जरूरत जानता है उसे Coachable कहते हैं।
सबसे अच्छे खिलाड़ी और अच्छे लोग जानते हैं कि वह कहां और कैसे हार रहे हैं जिससे वह गलती बेहतर कर सकें।
home depot के आज दुनिया भर में 2200 स्टोर्स है Arthur Blank जिन्होंने home depot की शुरुआत की वह कहते हैं कि मैं आज भी स्टोर के बाहर खड़ा रहता हूं और स्टोर से निकलने वाले उन लोगों से बात करता हूं जो खाली हाथ या बिना कुछ सामान खरीदे निकलते हैं मुझे नाराज कस्टमर ने सबसे ज्यादा सिखाया।
High achievers जिस साइकल में घूमते रहते हैं पहले वह सीखते हैं फिर गलती पकड़ते हैं और उसे अपने सिस्टम से हटाते हैं और उसकी जगह सही आदत सीखते हैं। जैसी आप फीडबैक पर प्रोसेस करते हो उस पर आप की Growth निर्भर करती है कोई भी फीडबैक पॉजिटिव या नेगेटिव नहीं होता जब हम उसके साथ फीलिंग या इमोशन जोड़ते हैं तब हम उसे पॉजिटिव या नेगेटिव बनाते हैं।
kevin Durant हाई स्कूल में अच्छा बास्केटबॉल खेलता था लेकिन वह बहुत दुबला पतला लड़का था आगे खेलने के लिए उसे ताकतवर होने की जरूरत थी। नए कोच ने उनसे कहा चलो तुम्हारे साथ में वर्कआउट करते हैं और वह मान गया उसने पहले ही वर्कआउट में केविन का पूरा तेल निकाल दिया आखिर में केविन जमीन पर लेट गया कोच को लगने लगा कि शायद कुछ ज्यादा हो गया अब यह लड़का दोबारा नहीं आएगा तो कोच ने हिचकते हुए केविन से पूछा कैसा लगा वर्कआउट..! 15 साल के केविन ने कहा कि बिल्कुल पसंद नहीं आया लेकिन मैं जानता हूं कि NBA तक जाने के लिए मुझे इतनी मेहनत करनी होगी.. सर अगली बार कब मिल सकते हैं।
यह है एलिट एथलीट की मेंटालिटी। जब एलिट लोगों को वह करने को मिलता है जो वह नहीं कर सकते तब वह उसकी तरफ और आकर्षित होते हैं और यही बात उन को महान बनाती है।
ग्रोथ माइंडसेट वाले केवल नए चैलेंजेस नहीं ढूंढते बल्कि चैलेंज में ही फलते फूलते हैं। हर सफलता की सीढ़ी पर असफलता के पायदान लगे होते हैं असफलता अवरोध नहीं है यह रास्ते का जरूरी हिस्सा है क्योंकि हम कुछ भी कठिन और जरूरी काम बिना कई बार गलती किए नहीं सीख सकते।
तो अब सवाल यह है कि असफलताओं से निपटे कैसे?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि असफलता कीमती है जब आप सीखना नहीं चाहते तब भी असफलता आपको सीखने के लिए मजबूर करती है इसीलिए असफलता इतनी कीमती है।
जिनमें Ego ज्यादा होता है उन्हें फेलियर से प्रॉब्लम होती है लोग एक गलती पकड़े जाने पर रात भर करवटें बदलते हैं। वही एक कोच अपने प्लेयर्स को सिखाते हैं कि बदलाव तो आकर ही रहेगा और बदलाव का दूसरा नाम ही ग्रोथ है। यह इस पर निर्भर करता है कि इस बदलाव से आप कैसी फीलिंग जोड़ते हो या असफलताओं से आगे बढ़ोगे या पीछे हट जाओगे दोस्तों अगर आपको कोई कोच या मेंटर मिल जाए जो आपको असफलताओं से लड़ना सिखा सकें तो बिना सीखे उसे मत छोड़ना।
बदलाव आपके बिलीफ सिस्टम में आता है। जो लोग असफलता को दीवार की तरह देखते हैं वह उससे बाहर नहीं जा पाते और जो लोग असफलता को दरवाजे की तरह देखते हैं वह उसे खोलने की कोशिश करते हैं।
spanxs की फाउंडर sara blakely कहती हैं कि हर संडे खाने की टेबल पर पिताजी भाई बहनों से पूछते थे की बताओ इस हफ्ते कहां असफल हुए और उससे क्या सीखा, फिर बाद में हम को शाबाशी देते, इसलिए आदत पड़ गई कि जब भी मुझे मुसीबत या रुकावट दिखती तो मैं उसका समाधान देखने लगती हूँ।
इसी सोच से यह भी समझ में आता है कि सब एक लाइन में आगे नहीं बढ़ते और ना ही सब एक ही लाइन में सीखते हैं असफलता को छुपाने से केवल Ego को राहत मिलती है और वह भी केवल थोड़ी देर के लिए क्योंकि अंदर तो आप को सब पता है कि जब तक सीखेंगे नहीं तब तक डाउट हमेशा बना रहेगा इसीलिए गलतियों को स्वीकार करना बहुत जरूरी है।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण है स्टीव जॉब्स। जो अपनी बनाई कंपनी से ही निकाल दिए गए थे स्टीव जॉब ने कभी अपनी असफलता नहीं छुपाई बल्कि उन अनुभव और गलतियों से जो सीखा उस पर कई बार चर्चा की फिर 12 साल बाद आकर उन्होंने दिवालिया होती हुई एप्पल को बचाया और दुनिया का सबसे कीमती ब्रांड बना दिया।
➡ Gratitude कैसे सकरात्मकता ओर मानसिक बदलाव लाती है