सचिन तेंदुलकर की जीवनी | Sachin tendulkar biography in hindi

सचिन तेंदुलकर की जीवनी, बायोग्राफी, अचीवमेंट | (Sachin tendulkar biography in hindi, records, awards)


सचिन तेंदुलकर की जीवनी - Sachin tendulkar biography in hindi


भारत में क्रिकेट को एक खेल ही नहीं एक धर्म का दर्जा दिया गया है और उस धर्म में सचिन भगवान की तरह पूजे जाते हैं सचिन वह क्रिकेटर है जिसने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाई देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और क्रिकेट के खेल को आगे बढ़ाया है एक समय तो ऐसा था कि सचिन के आउट होते ही लोग टीवी बंद कर देते थे सचिन के पास सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड और शतक मारने का रिकॉर्ड भी है सचिन तेंदुलकर की तारीफ में एक ऑस्ट्रेलियन प्रशंसक ने कहा की “अपराध तब करो जब सचिन बैटिंग कर रहा हो क्योंकि भगवान भी उस समय सचिन की बैटिंग देखने में व्यस्त होते हैं”।


सचिन जन्म स्थान पारिवारिक जीवन जानकारी (Education, early life, family)


नाम (Name) – सचिन रमेश तेंदुलकर
निक नाम (Nick Name) – क्रिकेट के भगवान , लिटिल मास्टर , मास्टर ब्लास्टर
जन्म तारीख (DOB) – 24 अप्रैल 1973
जन्म स्थान (Birth Place) – मुंबई महाराष्ट्र
माता (Mother) – रजनी तेदुलकर
पिता (Father) – रमेश तेंदुलकर
भाई (Brother) – अजित तेंदुलकर , नितिन तेंदुलकर
बहन (Sister) – सविता तेंदुलकर
पत्नी (wife) – अंजलि तेंदुलकर
पुत्र (Son) – अर्जुन तेंदुलकर
पुत्री (Doughter) – सारा तेंदुलकर
कार्य (Profession) – क्रिकेटर बैट्समेन
आयु (Age) ( 2020 तक ) – 47 वर्ष 
नागरिकता (Nationality) – भारतीय
होमटाउन (Home Town) – मुंबई , महाराष्ट्र , इंडिया
स्कुल (School) – न्यू शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल दादर , मुंबई  
कॉलेज (College) – खालसा कॉलेज मुंबई
धर्म (Religion) – हिन्दू
समाज (Cast) – ब्राह्मण


सचिन रमेश तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को राजापुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम रमेश तेंदुलकर था जो एक लेखक और प्रोफेसर थे और उनकी मां का नाम रजनी तेंदुलकर था जो एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करती थी सचिन तेंदुलकर अपने पिता की दूसरी पत्नी के पुत्र हैं रमेश तेंदुलकर की उनकी पहली पत्नी से तीन बच्चे थे जो कि तीनों ही सचिन से बड़े हैं, सचिन तेंदुलकर का नाम उनके पिता ने अपने प्रिय संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था।


सचिन की शिक्षा और क्रिकेट की दुनिया मे कदम (Education)


सचिन को क्रिकेट का शौक बचपन से ही है लेकिन शुरू से ही वह बहुत शरारती बच्चों में गिने जाते थे जिसकी वजह से अक्सर स्कूल के बच्चों के साथ उनका झगड़ा हुआ करता था सचिन की शरारतों को कम करने के लिए उनके बड़े भाई अजीत ने उन्हें 1984 में उन्हें क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कराने का सोचा और उन्हें रमाकांत आचरेकर के पास लेकर गए रमाकांत आचरेकर उस समय के प्रसिद्ध कोच में गिने जाते थे। लेकिन पहली बार में सचिन तेंदुलकर उनके सामने अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए और आचार्य करने उन्हें क्रिकेट सिखाने से मना कर दिया लेकिन बड़े भाई अजीत के कहने पर आचरेकर ने एक बार फिर से सचिन का मैच देखा, ओर इस बार सचिन को वह एक पेड़ के पीछे से छुप कर देख रहे थे और तब सचिन ने बहुत अच्छा मैच खेला था जिससे उन्हें पता चल गया सचिन केवल हमारे सामने खेलने में असहज महसूस कर रहे हैं और फिर उन्होंने सचिन को अपनी अकैडमी में ले लिया और क्रिकेट सिखाना शुरू किया। 


आगे चलकर आचरेकर को सचिन के बेट पकड़ने के तरीके से प्रॉब्लम थी क्योंकि सचिन बेट को बहुत पीछे से पकड़ते थे और इस तरह से पेट पकड़ने से अच्छे शार्ट नहीं लगते इसीलिए उन्होंने सचिन को बेट को थोड़ा ऊपर पकड़ने के लिए सलाह दी आचरेकर सचिन की प्रतिभा से बहुत प्रभावित थे और इसीलिए उन्होंने सचिन को श्रद्धा आश्रम विद्या मंदिर में पढ़ाई करने के लिए शिफ्ट होने को कहा क्योंकि वहां पर क्रिकेट की बहुत अच्छी टीम थी और उन्होंने यह देखा था कि अगर सचिन को एक अच्छा मौका मिले तो आप कुछ भी कर सकते हैं सचिन ने भी अपने कोच के कहने पर उस स्कूल में एडमिशन ले लिया और एक प्रोफेशनल टीम के साथ क्रिकेट खेलने लगे वह वहां पढ़ाई के साथ-साथ आचरेकर की देखरेख में क्रिकेट की प्रैक्टिस भी किया करते थे। सचिन को प्रैक्टिस कराते समय उनके कोच स्टंप पर एक सिक्का रख दिया करते थे और दूसरे खिलाड़ियों को कहते थे कि वह सचिन को बोलिंग करें जो खिलाड़ी सचिन को आउट कर देगा सिक्का उसका, लेकिन सचिन को कोई भी खिलाड़ी आउट ना कर सका तो सिक्का सचिन का होता था सचिन के पास आज भी उनमें से 13 सिक्के हैं जिन्हें वह सबसे बड़ा इनाम मानते हैं सचिन के प्रैक्टिस और मेहनत के दम पर उनका खेल बहुत ही जल्दी निखर गया और वह लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गए उन्होंने अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के साथ मैच खेलने के साथ ही मुंबई की टीम के साथ भी मैच खेलना शुरू किया।


शुरू शुरू में सचिन को बोलिंग करने का बहुत शौक था जिसकी वजह से वह 14 साल की उम्र में बोलिंग सीखने के लिए मद्रास के एमआरएफ पेस फाउंडेशन में गए जहां पर आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली ट्रेनिंग देते थे, लेकिन उन्होंने सचिन को बैटिंग करने का सुझाव दिया क्योंकि वह बैटिंग बहुत अच्छी करते थे फिर सचिन ने उनकी बात मानी और वह बेटिंग तरफ ज्यादा ध्यान देने लगे।


दोस्तों लिली ने जिन तेज गेंदबाजों को बैटिंग करने से मना किया उनमें सौरव गांगुली भी शामिल थे कुछ महीनों के बाद बेस्ट जूनियर क्रिकेट अवार्ड मिलने वाला था जिसमें 14 साल के सचिन की बड़ी दावेदारी मानी जा रही थी लेकिन उन्हें वह इनाम नहीं मिला जिससे वह बहुत दुखी हुए और तब उनका मनोबल बढ़ाने के लिए भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने उन्हें अपने पेड की 1 जोड़ी दे दी थी। तब सचिन ने कहा था यह मेरे लिए प्रोत्साहन का सबसे बड़ा स्त्रोत था।

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14 नवंबर 1987 को तेंदुलकर को रणजी ट्रॉफी के लिए भारत के घरेलू फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट में मुंबई की तरफ से खेलने के लिए सेलेक्ट किया गया लेकिन वह अंतिम मैं किसी भी मैच के लिए नहीं चुने गए उनका इस्तेमाल उस पूरी सीरीज में केवल रिप्लेसमेंट फिल्डर की तरह किया गया था।

1 साल बाद 11 दिसंबर 1988 को सिर्फ 15 साल की उम्र में तेंदुलकर ने अपने करियर की शुरुआत मुंबई की तरफ से खेलते हुए की और उसी मैच में उन्होंने शतक बनाया और अपने पहले ही मैच में शतक बनाने वाले वह पहले युवा खिलाड़ी बन गए और फिर 1988-89 के सेशन में वह मुंबई की तरफ से पूरी सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए इसके बाद उनकी शानदार परफॉर्मेंस जारी रही और उन्होंने दिल्ली के खिलाफ ईरानी कप में भी नाबाद शतक बनाया उस समय वह शेष भारत के लिए खेल रहे थे सचिन तेंदुलकर ने अपने रणजी, दलीप, और ईरानी ट्रॉफी में पहले ही मैच में शतक बनाया था और ऐसा करने वाले वह भारत के एकमात्र बल्लेबाज हैं उनका यह रिकॉर्ड आज तक कोई और नहीं तोड़ पाया है।


सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट में उपलब्धियां (Career)


सचिन की जादुई खेल को देखते हुए सिर्फ 16 साल की उम्र में उनका चयन भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में किया गया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके सेलेक्शन का श्रेय राजसिंह डूंगरपुर को दिया जाता है जो कि उस समय के सिलेक्टर थे।

तेंदुलकर ने 1989 में सिर्फ 16 साल की उम्र में कराची में पाकिस्तान के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की इससे पहले भी भारतीय चयन समिति ने वेस्टइंडीज दौरे के लिए सचिन के सिलेक्शन की इच्छा जताई थी लेकिन वह नहीं चाहते थे कि सचिन को इतनी जल्दी वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का सामना करना पड़े और इसीलिए उन्होंने सचिन को थोड़ा और समय दे दिया था।

कराची में सचिन ने इंडिया क्रिकेट टीम की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच खेलते हुए 15 रन बनाए इसी सीरीज के एक मैच में सचिन की नाक पर गेंद लग गई थी जिसकी वजह से उनकी नाक से खून आने लगा था लेकिन फिर भी वह रुके नहीं और पूरा मैच खेला उस मैच में उन्होंने 54 रन बनाए थे।

सचिन ने 1992-93 में अपने पहले घरेलू टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेला जो उनके टेस्ट करियर का 22 वा टेस्ट मैच था इसके बाद आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट मैचों में भी सचिन का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा और उन्होंने कई टेस्ट शतक भी जड़े हालांकि सचिन को एकदिवसीय मैच में अपना पहले शतक लगाने के लिए 79 मैचों का इंतजार करना पड़ा लेकिन एक बार लय में आने के बाद सचिन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी जादुई बल्लेबाजी से क्रिकेट जगत के सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिये।


सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्डस (Records)


• सचिन एकमात्र खिलाड़ी है जिनके खाते में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 100 शतक बनाने का विश्व रिकॉर्ड है।


• उन्होंने 51 शतक टेस्ट क्रिकेट में और 49 शतक वनडे क्रिकेट में बने हैं।


• एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले खिलाड़ी हैं।


• सचिन सबसे ज्यादा वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में मैच खेलने वाली भी खिलाड़ी है उन्होंने कुल 463 वनडे खेले हैं।


सचिन तेंदुलकर को दिए गए पुरस्कार ( Awards and Achievement )


• 1997-98 में उन्हें खेल जगत के सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया था।


• 1999 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया


• 2008 में उन्हें पदम विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।


• 2013 में भारतीय डाक विभाग ने उनके नाम का डाक टिकट जारी किया इस सम्मान से सम्मानित होने वाले वह एकमात्र क्रिकेटर हैं।


• 2014 में सचिन को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह पहले खिलाड़ी हैं।


• वनडे क्रिकेट में बल्लेबाजी के सारे रिकॉर्ड अपने नाम करने के बाद 23 दिसंबर 2012 को सचिन ने सन्यास लेने की घोषणा कर दी।

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