गौतम बुद्ध ने बताया कैसे मिले सफलता | deep lesson for success in hindi

गौतम बुद्ध ने बताया कैसे मिले सफलता | deep lesson for success in hindi

महात्मा बुद्ध प्रकाश को लेकर दो बहुत अच्छी बातें कहते हैं “इस पूरी दुनिया में इतना अंधकार नहीं जो एक छोटी सी मोमबत्ती के प्रकाश को बुझा सके” आपके सामने जो भी समस्या हो चाहे वाह अध्यात्मिक हो या भौतिक, किसी भी समस्या में इतना बल नहीं कि वह आपकी आत्मिक शक्ति को खत्म कर सकें। हम सभी के अंदर आत्मिक शक्ति है ज्ञान और फोकस के रूप में होती है, चाहे इंसान अपंग ही क्यों ना हो, चाहे उसकी मेमोरी क्यों ना कम हो गई हो, चाहे उसके विचारों को किसी ने बहका दिया हो, लेकिन फिर भी वह ध्यान कर सकता है अपने फोकस की मदद से अपना mental state दोबारा बदल सकता है।


दूसरी बात भगवान बुद्ध कहते हैं कि; “जलते हुए दीपक की रोशनी से हजारों दीपक रोशन किए जा सकते हैं फिर भी उस दीपक की रोशनी कभी कम नहीं होती”

इसी तरह सफलता भी बांटने से बढ़ती है कभी कम नहीं होती भले ही आप अपने ट्रेड सीक्रेट्स नहीं बता सकते लेकिन दूसरों को खुद ढूंढने के लिए और सेल्फ मास्टरी के सफर पर चलने में मदद कर सकते हैं। आपके आसपास जितने लोग सफल समृद्ध और खुश होंगे उतना ही आपको जीवन में शांति और आनंद मिलेगा वहीं दूसरी तरफ अगर आप झुग्गी झोपड़ी के बीच में महल भी बना लेंगे तो आपके मन में हमेशा डर बना रहेगा साथ ही निंदा और उपेक्षा का सामना भी करना पड़ेगा इसीलिए हमेशा खुशियां और सफलता बांटिए और अपने साथ में लोगों को आगे बढ़ाइए।


आज से करीब ढाई हजार साल पहले महात्मा गौतम बुद्ध ने 35 साल की उम्र में निर्वाण प्राप्त किया। फिर अगले 45 साल में पूरे भारतवर्ष में गांव-गांव घूमकर अध्यात्म और बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रसार करते रहे। एक बार जब गर्मी के दौरान वह यात्रा कर रहे थे तब उन्होंने एक शिष्य को पास की नदी से पानी लाने को कहा शिष्य जब पानी लेने पहुंचा तो उसने देखा पानी मटमैला और गंदा है जो कि पीने लायक नहीं है बुद्ध ने जब किस्सा सुना तो कहा कि वहां और कौन कौन था तब शिष्य ने कहा कि गांव के लोग वहां से अपनी बैलगाड़ी ले जा रहे थे, गाय और अन्य जानवर भी वहां से निकल रहे थे। महात्मा बुद्ध कहते हैं कि थोड़ा इंतजार कर लो फिर दोबारा जाकर पानी ले आना शिष्य इस बार साफ पानी लेकर आया महात्मा बुद्ध कहते हैं कि जब नदी में हलचल शांत हुई तो गंदगी अपने आप नीचे बैठ गई और पानी पीने योग्य हो गया।

उसी तरह मन भी अच्छा या बुरा नहीं होता वह जिस कुंड के प्रभाव में हो वैसा बर्ताव करने लगता है जब मन उत्तेजित क्रोधित या चिंतित होता है तो वह बुद्धि और समझ को बेकार कर देता है अगर आप ऐसे में मन को बुद्धि या अपनी समझ से संभालने की कोशिश करेंगे तो आप और ज्यादा परेशान हो जाएंगे ऐसा करने की वजह हम को एकदम शांत होकर मन से दूरी बना लेनी चाहिए थोड़ी देर की शांति के बाद आपका मन दोबारा चमकने लगेगा।


हम विपरीत परिस्थिति में अपने मन से दूरी कैसे बना सकते हैं?


अपनी सांस पर ध्यान देकर..!! दोस्तों पहले योगी, भिक्षु और साधु बरसात के 4 महीने एक जगह रुक जाया करते थे क्योंकि बरसात में चलने योग्य रास्ते नहीं होते थे ऐसे ही चतुर्मास में भगवान बुद्ध एक बार नेपाल में रुके। वहाँ एक आदमी रोज उनके प्रवचन सुनने आया करता था भगवान बुद्ध हर दिन अहंकार, द्वेष, लोभ और क्रोध छोड़ने की बात करते थे।


एक दिन उस व्यक्ति ने बुद्ध से पूछा उन्हें पिछले एक महीने से आप के प्रवचन सुन रहा हूं परंतु इसको मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा। क्या मुझ में कोई कमी है? या इसका कोई और कारण है? तो भगवान बुद्ध ने उससे पूछा; कि तुम कहां रहते हो और प्रवचन सुनने यहाँ कैसे आते हो? तो व्यक्ति ने कहा मैं पास के गांव में रहता हूं कभी बैलगाड़ी से कभी घोड़े से यहां आता हूं। तब बुद्ध ने कहा क्या तुम यहां बैठे बैठे अपने गांव तक पहुंच सकते हो? तो व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा बिल्कुल नहीं तो भगवान बुद्ध ने कहा बिल्कुल उसी तरह यहां बैठे-बैठे कोई भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकता जब तक आप अपने विचारों को अपने जीवन में, अपने अवचेतन मन में उतारने की कोशिश नहीं करेंगे तब तक किसी भी बात का आप पर कोई असर नहीं होगा।


भगवान बुद्ध कहते हैं “जिंदगी की असली असफलता यह है कि आप जानते हुए भी की आपको क्या करना है आप उस का पालन नहीं करते हैं”


भगवान बुद्ध के बहुत से दुश्मन और चिड़ने वाले हुआ करते थे उनके ऊपर कई बार जानलेवा हमले भी हुए लेकिन कोई भी उनके तन और उससे भी जरूरी उनके मन को कोई भी नहीं छू पाया।


ऐसा ही एक प्रसंग है जब भगवान बुद्ध नगर में घूम रहे थे जहां कुछ लोगों ने उनके बारे में पहले से ही अफवाहें फैला दी थी। इस वजह से जब नगर के लोगों ने बुद्ध को देखा तो उन्हें भला-बुरा कहने लगे गौतम बुद्ध नगर के लोगों की उलाहना और गालियां शांति से बिना प्रतिक्रिया किए सुनते रहे फिर जब नगर के लोग थक गए तो गौतम बुद्ध बोले क्षमा चाहता हूं अगर आप लोगों की बातें खत्म हो गई है तो मैं यहां से जाऊं तब कुछ लोग बोले कि हम तुम्हें गालियां दे रहे हैं क्या तुम पर इसका कोई असर नहीं होता? भगवान बुद्ध कहते हैं कि अगर आपको कोई गलत बोलता है और आप उन्हें स्वीकार नहीं करते हैं तो गालियों या किसी भी बात का मतलब आप से नहीं चिपकता तो निश्चित ही आप पर गालियों का कोई असर नहीं होगा जब मैं इन गालियों को लूंगा ही नहीं तो निश्चित ही यह आपके पास ही तो रहेगी।


➡ साहस देते गौतम बुद्ध के अनमोल विचार


सतगुरु कहते हैं जैसे कॉमिक्स में होता है सुपरमैन वैसे ही आप लोग हैं Glu-man जो भी जिंदगी में होता है उसका कोई ना कोई मतलब निकाल कर खुद से चिपका लेते हो ओर खुद पर हर बात ले लेते हो और जीवन भर यह भार बढ़ता रहता है भगवान गौतम बुद्ध की यह बात हमारे जीवन में कई बदलाव ला सकती है क्योंकि अक्सर लोग अपने दुखों का कारण किसी घटना या दूसरे लोगों को मानते हैं परंतु इंसान अपने दुखों का कारण खुद ही होता है क्योंकि वह चीजों का मतलब निकाल कर खुद पर ही ले लेता है। सफल होने पर खुद को बड़ा मन कर घमंड करता है या फिर खुद को छोटा मानकर दुखी रहता है जब आप हार या जीत के भ्रम से मुक्त होकर प्रोसेस पर ध्यान देते हैं तब आप अपने पूरे एफर्ट्स के साथ काम करते हैं।


कुछ जरूरी बातें जो हमने सीखीं


•●• इस पूरी दुनिया में इतना अंधकार नहीं जो एक छोटी सी मोमबत्ती के प्रकाश को बुझा सके। किसी भी समस्या में इतना बल नहीं जो आपकी आत्मिक शक्ति को खत्म कर सकें हम सबके अंदर आत्मिक शक्ति ध्यान और फोकस के रूप में प्रकट होती है।


•●• सफलता बांटने से बढ़ती है कभी कम नहीं होती आपके आसपास जितने लोग सफल समृद्ध और खुश होंगे उतना आपको जीवन में शांति और आनंद होगा अपने साथ लोगों को ऊपर उठाओ।


•●• जब मन उत्तेजित क्रोधित या चिंतित होता है तो बुद्धि और समझ को बेकार कर देता है मन को कंट्रोल करने की बजाय हमें इससे दूरी बनानी होगी लेकिन कैसे.? अनापनसती सूत्र में बुद्ध कहते हैं; अपनी सांस पर ध्यान देने से..!!


•●• जिंदगी की असली असफलता है कि आप जानते हुए भी उस बात का पालन ना कर पाए। Knowledge + Action = wisdom  कोई भी ज्ञान हो वह तभी सार्थक होता है जब आप उसे व्यवहारिक रूप से जीवन में उतार लेते हैं।


•●• इंसान अपने दुखों का कारण खुद ही होता है क्योंकि वह चीजों का मतलब निकाल कर खुद पर ही ले लेता है सफल होने पर खुद को बड़ा मन कर घमंड करता है या खुद को छोटा मानकर दुखी रहता है जब तक आप ऐसा करेंगे तब तक आप शांत नहीं रह सकते और कभी अपनी पूरी शक्ति और प्रोसेस के साथ सामर्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाएंगे।


➡ दुःख से उबारते महात्मा बुद्ध के तीन प्रेरक प्रसंग