स्वामी दयानंद सरस्वती के 30 अनमोल विचार – swami dayanand saraswati quotes in hindi
स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल विचार, कथन, वचन
• जीह्वा को उसे व्यक्त करना चाहिए जो ह्रदय में है।
– दयानंद सरस्वती
• आत्मा अपने स्वरुप में एक है, लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं।
– दयानंद सरस्वती
• मुझे सत्य का पालन करना पसंद है, बल्कि, मैंने औरों को उनके अपने भले के लिए सत्य से प्रेम करने और मिथ्या को त्यागने के लिए राजी करने को अपना कर्त्तव्य बना लिया है। अतः अधर्म का अंत मेरे जीवन का उदेश्य है।
– दयानंद सरस्वती
• लोगों को कभी भी चित्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए, मानसिक अन्धकार का फैलाव मूर्ति पूजा के प्रचलन की वजह से है।
– दयानंद सरस्वती
• किसी भी रूप में प्रार्थना प्रभावी है क्योंकि यह एक क्रिया है इसलिए, इसका परिणाम होगा। यह इस ब्रह्मांड का नियम है जिसमें हम खुद को पाते हैं।
– दयानंद सरस्वती
• वर्तमान जीवन का कार्य अन्धविश्वास पर पूर्ण भरोसे से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
– दयानंद सरस्वती
• ईश्वर पूर्ण रूप से पवित्र और बुद्धिमान है। उसकी प्रकृति, गुण, और शक्तियां सभी पवित्र हैं वह सर्वव्यापी, निराकार, अजन्मा, अपार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिशाली, दयालु और न्याययुक्त है. वह दुनिया का रचनाकार, रक्षक, और संघारक है।
– दयानंद सरस्वती
• मोक्ष पीड़ा सहने और जन्म-मृत्यु की अधीनता से मुक्ति है, और यह भगवान की अपारता में स्वतंत्रता और प्रसन्नता का जीवन है।
– दयानंद सरस्वती
• अगर आप पर हमेशा ऊँगली उठाई जाती रहे तो आप भावनात्मक रूप से अधिक समय तक खड़े नहीं हो सकते।
– दयानंद सरस्वती
• नुक्सान से निपटने में सबसे ज़रूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना, वो सही मायने में आपको विजेता बनाता है।
– दयानंद सरस्वती
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• निरीह सुख सद गुणों और सही ढंग से अर्जित धन से मिलता है।
– दयानंद सरस्वती
• कोई मूल्य तब मूल्यवान है जब मूल्य का मूल्य स्वयम के लिए मूल्यवान हो।
– दयानंद सरस्वती
• जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है वह परिपक्कव है, क्योंकि जीने मेंही आत्म-विकास निहित है।
– दयानंद सरस्वती
• जीवन में मृत्यु को टाला नहीं जा सकता, हर कोई ये जानता है, फिर भी अधिकतर लोग अन्दर से इसे नहीं मानते- ‘ये मेरे साथ नहीं होगा.’ इसी कारण से मृत्यु सबसे कठिन चुनौती है जिसका मनुष्य को सामना करना पड़ता है।
– दयानंद सरस्वती
• हालांकि संगीत भाषा, संस्कृति और समय से परे है, और नोट समान होते हुए भी भारतीय संगीत अद्वितीय है क्योंकि यह विकसित है, परिष्कृत है और इसमें धुन को परिभाषित किया गया है।
– दयानंद सरस्वती
• हमें पता होना चाहिए कि भाग्य भी कमाया जाता है और थोपा नहीं जाता, ऐसी कोई कृपा नहीं है जो कमाई ना गयी हो।
– दयानंद सरस्वती
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• कोई भी मानव हृदय सहानुभूति से वंचित नहीं है। कोई धर्म उसे सिखा-पढ़ा कर नष्ट नहीं कर सकता. कोई संस्कृति, कोई राष्ट्र कोई राष्ट्रवाद- कोई भी उसे छू नहीं सकता क्योंकि ये सहानुभूति है।
– दयानंद सरस्वती
• लोगों को भगवान् को जानना और उनके कार्यों की नक़ल करनी चाहिए, पुनरावृत्ति और औपचारिकताएं किसी काम की नहीं हैं।
– दयानंद सरस्वती
• आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आज़ाद रह सकें. लेकिन, ये कभी ऐसे काम नहीं करता. दूसरों को स्वीकार करिए और आप मुक्त हैं।
– दयानंद सरस्वती
• अपने सामने रखने या याद करने के लिए लोगों की तसवीरें या अन्य तरह की पिक्चर लेना ठीक है. लेकिन भगवान् की तसवीरें और छवियाँ बनाना गलत है।
– दयानंद सरस्वती
• प्रबुद्ध होना- ये कोई घटना नहीं हो सकती. जो कुछ भी यहाँ है वह अद्वैत है, ये कैसे हो सकता है? यह स्पष्टता है।
– दयानंद सरस्वती
• लोगों को कभी भी चित्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए. मानसिक अन्धकार का फैलाव मूर्ति पूजा के प्रचलन की वजह से है।
– दयानंद सरस्वती
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• उपकार बुराई का अंत करता है, सदाचार की प्रथा का आरम्भ करता है, और लोक-कल्याण तथा सभ्यता में योगदान देता है।
– दयानंद सरस्वती
• धन एक वस्तु है जो ईमानदारी और न्याय से कमाई जाती है. इसका विपरीत है अधर्म का खजाना।
– दयानंद सरस्वती
• अज्ञानी होना गलत नहीं है, अज्ञानी बने रहना गलत है।
– दयानंद सरस्वती
• भगवान का ना कोई रूप है ना रंग है. वह अविनाशी और अपार है. जो भी इस दुनिया में दिखता है वह उसकी महानता का वर्णन करता है।
– दयानंद सरस्वती
• सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो।
– दयानंद सरस्वती
• गीत व्यक्ति के मर्म का आह्वान करने में मदद करता है. और बिना गीत के, मर्म को छूना मुश्किल है।
– दयानंद सरस्वती
• क्योंकि मनुष्यों के भीतर संवेदना है, इसलिए अगर वो उन तक नहीं पहुँचता जिन्हें देखभाल की ज़रुरत है तो वो प्राकृतिक व्यवस्था का उल्लंघन करता है।
– दयानंद सरस्वती
• वह अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच बोलता है, धर्म के अनुसार काम करता है और दूसरों को उत्तम और प्रसन्न बनाने का प्रयास करता है।
– दयानंद सरस्वती
• छात्र की योग्यता ज्ञान अर्जित करने के प्रति उसके प्रेम, निर्देश पाने की उसकी इच्छा, ज्ञानी और अच्छे व्यक्तियों के प्रति सम्मान, गुरु की सेवा और उनके आदेशों का पालन करने में दिखती है।
– दयानंद सरस्वती
• लोगों को भगवान् को जानना और उनके कार्यों की नक़ल करनी चाहिए. पुनरावृत्ति और औपचारिकताएं किसी काम की नहीं हैं।
– दयानंद सरस्वती
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