भारत के ब्लैक टाइगर रविन्द्र कौशिक की जीवनी | Ravindra kaushik biography in hindi

भारत के ब्लैक टाइगर रविन्द्र कौशिक की जीवनी | Ravindra kaushik biography in hindi

भारत के ब्लैक टाइगर रविन्द्र कौशिक की जीवनी | Ravindra kaushik biography in hindi


श्रीगंगानगर में एक हिंदू पंडित के घर पैदा हुआ भारत का ब्लैक टाइगर जिसका नाम रखा गया था रविंद्र, रविन्द्र एक्टिंग करने का शौकीन था उसे रूप बदलकर बहरूपिया बनने में महारत हासिल थी पर इस होनहार कलाकार की किस्मत भी भगवान ने कुछ अलग ही लिख रखी थी।


1 दिन रविंद्र की एक्टिंग देखकर लखनऊ के एक सेठ ने रविंद्र को लखनऊ बुलाया जहां उन्होंने देश प्रेम का रोल अदा किया उस किरदार में रविंद्र भारतीय सैनिक बने थे जो चीन में पकड़े गए और एक कैदी के दर्द को एक्टिंग के जरिए बता रहे थे लोगों को यह एक्टिंग बिल्कुल सच की तरह लग रही थी।


उसी भीड़ में एक रॉ का अधिकारी एक्टिंग देख रहा था उसने रविंद्र को बुलाया और उनसे कहा कि तुम मेरे लिए काम करोगे? उसने रविंद्र को काम तो नहीं बताया पर इतना कहा कि एक बहरूपिया बनकर मुसलमान की एक्टिंग करनी पड़ेगी रविंद्र ने कहा हां क्यों नहीं।


रविंद्र द्वारा हां कहने पर रॉ द्वारा उन्हें एक गुप्त स्थान पर ले जाया गया फिर रविंद्र की 2 सालों तक ट्रेनिंग चली और यह भी देखा गया कि रविंद्र में देश प्रेम और धर्म के प्रति कितनी आस्था है ऐसा इसलिए किया जाता है कि कहीं मुस्लिम देश में कोई एजेंट पकड़ा जाए तो वह किस हद तक मुंह खोल सकता है।


रविंद्र हर परीक्षा में पास हुआ रविंद्र ने रॉ के अधिकारियों को खुश कर दिया था आखिर में रविंद्र के इम्तिहान का दिन आया रॉ के बड़े अधिकारी ने रविंद्र से बोला पाकिस्तान जाओगे रविंद्र ने कहा हां.. जैसा आपका आदेश।


रॉ एजेंट ने कहा तुम जासूस बनकर पाकिस्तान जाओगे, मर गए तो तुम जानो और तुम्हारा काम, पकड़े गए तो हम आपके हैं कौन वाली बात होगी, मतलब हम तुम्हें पहचानेंगे नहीं; रविंद्र ने कहा मुझे खुद पर पूरा भरोसा है कोई मेरी रूप बदलने की कला को आज तक नहीं पकड़ पाया, बस इतना ही रॉ के अधिकारियों को सुनना था।


उसके बाद रविंद्र का खतना भी करवाया गया रविंद्र को दिन में 5 बार नमाज पढ़ने की ट्रेनिंग दी गई उसको पूरा मुसलमान बनाया गया उसे उर्दू भी सिखाई उसे कुछ दिन मुसलमानों के साथ भी रखा गया उसको कहा गया कि इस बारे में किसी को मत बताना यहां तक कि अपने घर में अपनी मां को तक मत बताना और तुम्हारे घर में तुम्हारे काम के बदले पैसे हम पहुंचा दिया करेंगे।


तो रविंद्र ने अपने घर पर यही बताया कि उसकी दुबई में नौकरी लग गई ओर वह दुबई में रहकर ही काम करेगा ओर वह दुबई से रहकर ही पैसे भेजा करेगा परिवार ने उसे राजी खुशी विदा कर दिया फिर उसे सेना द्वारा भारतीय सीमा पार करवाकर पाकिस्तान भेज दिया गया जहां रविंद्र को अब अपनी पूरी जिंदगी बितानी थी।


रविंद्र ने पाकिस्तान जाकर सबसे पहले अपना शिनाख्त ई कार्ड बनवाया और कराची के एक कॉलेज से एलएलबी की डिग्री ले ली फिर एक दिन रविंद्र ने अखबार में पाकिस्तानी सेना की भर्ती देखी रविंद्र ने मौके का फायदा उठाते हुए फॉर्म  भर दिया और उसमें वह सफल भी हो गए और इस तरह रविंद्र पाक आर्मी में एक सिपाही बन गए थे।


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कहा जाता है कि रविंद्र ने पाक सेना को इतना खुश कर दिया था कि सेना में वह मेजर के पद तक पहुंच चुके थे पाकिस्तान में मेजर का पद काफी ओहदा रखता है और अंत में उन्होंने अपने सीनियर अधिकारी जाखिबर शेख की बेटी फातिमा से शादी कर ली।


फातिमा से रविंद्र दिल से प्यार करते थे पर रविंद्र ने फातिमा को कभी नहीं बताया कि वह उसके देश की जासूसी कर रहा है और वह एक भारतीय हिंदू  है और मुसलमान बनकर उससे शादी की है। शादी करना रॉ में बेहद जरूरी है क्योंकि कभी किसी को यह शौक नहीं होगा कि वह व्यक्ति विदेशी है क्योंकि शादी के बाद उसकी रिश्तेदारी पाकिस्तान में भी हो जाएगी।


तो ऐसा ही रविंद्र ने भी किया वह पाकिस्तान से बहुत ही महत्वपूर्ण सूचना भारत को भेज रहा था इधर रॉ के अधिकारी खुश और उधर पाकिस्तानी सेना उसके काम से खुश सब कुछ अच्छा चल रहा था पर तत्कालीन भारत सरकार से एक बहुत बड़ी चूक हो गई हुआ यूं कि कांग्रेस सरकार चाहती थी कि रविंद्र की सहायता के लिए एक और आदमी पाकिस्तान भेजा जाए।


रविंद्र से जब इसके बारे में पूछा गया तो रविंद्र ने कहा मुझे इसकी जरूरत नहीं है मैं अकेला ही काम कर लूंगा पर तत्कालीन भारत सरकार के दबाव में रविंद्र को हामी भरनी पड़ी फिर एक और रॉ एजेंट को रविंद्र के पास भेज दिया गया उस एजेंट ने भारत बॉर्डर तो पार कर लिया पर सीमा पार रुक गया एक होटल पर चाय पीने के लिए।


वहां पहले से ही कुछ पाकिस्तानी सैनिक बैठे थे उन सैनिकों को उस एजेंट की बोलचाल से उस पर शक हो गया सैनिकों ने उस एजेंट को पकड़ लिया और उससे पूछा कि कौन हो तुम इस पर उस अनट्रेंड मूर्ख एजेंट ने बोला भारत से आया हूं अपने दोस्त से मिलने फिर उनमें से एक पाकिस्तानी सैनिक ने कहा बता कौन है तेरा दोस्त नहीं तो गोली से उड़ा दूंगा।


इतना सुनते ही वह रॉ का एजेंट शुरू हो गया बोला कि मैं रॉ का एजेंट हूं यहां पहले से ही मौजूद एक रॉ एजेंट की मदद करने आया हूं जो आपकी सेना में मेजर है जिसने हिंदू होते हुए भी मुस्लिम लड़की से शादी की यह सब उसने बोल दिया पाकिस्तानी सैनिक एकदम हक्का-बक्का रह गए सेना के 1 सैनिक ने कहा तुम उससे कहां पर मिलने वाले थे उससे उसी प्लान के मुताबिक मिलो पर उसे शक नहीं होना चाहिए।


प्लान के मुताबिक उसने रविंद्र को जिन्ना उद्यान में बुलाया रविंद्र समय पर पहुंच गए दोनों ने हाथ मिलाया और चाय ऑर्डर की ही थी कि पाक सैनिकों ने रविंद्र को दबोच लिया कहा जाता है कि रविंद्र को उस एजेंट पर इतना गुस्सा आया कि रविंद्र ने उसे वही पीटना शुरू कर दिया फिर रविंद्र को पकड़कर पाकिस्तान की अंडरग्राउंड जेल में डाल दिया गया जहां ना सूरज की रोशनी थी ना चांद की ठंडक।


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कहते हैं कि रविंद्र को अगले 12 दिनों तक उसी बैरक में बिना खाने के रखा गया रविंद्र के लिए जेल की बैरक के ऊपर से पानी डाला जाता था सिर्फ उतना ही जितना कि वह जिंदा रह सकें रविंद्र जेल में चाट चाट कर पानी पीते थे। 12 दिन बाद रविंद्र को अदालत में पेश किया गया जहां उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई पर पाकिस्तान की कुछ मानवाधिकार संस्थाओं ने इस फांसी को उम्रकैद में तब्दील करवा दिया। रविंद्र को 12 दिनों तक उस गुप्त कमरे में रखने से रविंद्र को हृदय की बीमारी हो गई थी जिसका ना तो पाकिस्तान की जेल ने इलाज करवाया और ना ही उसका कोई हाल जानना चाहा रविंद्र को अब रोज सुबह शाम खाने में भयंकर पिटाई के अलावा और कुछ नहीं मिलता इस बीच रविंद्र ने अपने घर पर खत भी लिखा करता था जो खत आज भी मौजूद है जिसमें रविंद्र ने लिखा था।


“मैं कोई दुबई कमाने नहीं गया, मैं जासूसी करने पाकिस्तान गया, जहां भारत सरकार की गलती से मुझे घेर लिया गया, मैं तो भारत सरकार के लिए ही इस पराये मुल्क में आया मैंने उन्हें कई सारी जानकारियां दी मैंने उनको सन 71 के युद्ध को जीतने में बहुत सहायता की, इंदिरा गांधी ने मुझे ब्लैक टाइगर की उपाधि दी अब मुझे टीबी और हृदय रोग हो गया है जिसका इलाज इस मुल्क में कहीं नहीं है, “मुझे बचा लो मैं भारत की जमीन पर मरना चाहता हूं”


रविंद्र के पिता बार-बार भारत के नेताओं से मिलते रहे तब नेताओं ने उन्हें इतना ही कहा कि उसने हमारे साथ एग्रीमेंट साइन किया है कि अगर वह पकड़ा गया तो उसकी कोई सहायता नहीं होगी और हम दुनिया में भारत का नाम खराब नहीं करना चाहते और अंत में 2001 में पाकिस्तान का टॉर्चर सहते सहते रविंद्र ने पाकिस्तान की जेल में ही प्राण त्याग दिए भारत सरकार ने रविंद्र का शव लेने से भी इनकार कर दिया पाकिस्तान में रविंद्र का शव कचरे के साथ जला दिया गया।


कहा जाता है कि रविंद्र की मुस्लिम पत्नी भी उससे मिलने एक बार जेल आई थी उसने बस इतना ही पूछा क्यों किया मेरे साथ ऐसा तब रविंद्र का जवाब था “मेरे देश के लिए” फिर वह उससे मिलने कभी नहीं आई रविंद्र और उस मुस्लिम महिला का एक बेटा भी है जो पाकिस्तान में ही रहता है।


रविंद्र एक ऐसा महान रूप बदलू था कि वह पाकिस्तान की सेना में मेजर रहते हुए भी 5 बार अपने परिवार से मिलने भारत आया और ऐसे छुट्टियां बिताई जैसे कोई भारतीय फौजी अपने घर पर छुट्टियां बिताने आता हो पर कभी पाकिस्तान को उस पर शक नहीं हुआ बस तत्कालीन भारत सरकार की एक छोटी सी गलती से वह पकड़ा गया।


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