धरती की आंखे हिंदी कहानी – Dharti ki aankhen hindi moral story

धरती की आंखे हिंदी कहानी - Dharti ki aankhen hindi moral story

धरती की आंखे हिंदी कहानी – Dharti ki aankhen hindi moral story

एक बार की बात है एक राजा था वह रोज नए सपने देखता था और उन्हें पूरे करने का प्रयास करता था दरबार के गुणी और बुद्धिमान लोगों को अपने सपने सुनाता था। सपने को पूरा करने के लिए उनकी सहायता लेता था सपने को पूरा करने के लिए खजाने का मुंह खोल देता था सफल होने पर उनको सम्मानित करता असफल होने पर निराश नहीं होता बल्कि उनका उत्साह बढ़ाता था। कमियों को पूरा करके दोबारा प्रयास करने को प्रेरित करता राजा के इस व्यवहार से सभी खुश थे वह राजा के लिए सब कुछ करने को तैयार थे इसी कारण राज्य दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा था। राजा के नाव समुद्र में हजारों मील दूर जाते उसका यश फैलाते। नई बस्तियां बसाते व्यापार करते इस प्रकार उस राजा का राज्य दूर-दूर तक फैल गया किंतु इसी के साथ-साथ राजा की कठिनाइयां भी बढ़ती जा रही थी कभी-कभी उनके नाव डूब जाती या फिर हमले का शिकार हो जाती थी तो उसे तुरंत सूचना नहीं मिल पाती थी इसी तरह किसी क्षेत्र में कोई भयानक स्थिति पैदा हो जाती या कहीं कोई उत्सव आदि होता तो ना तो राजा उसे देख पाता और ना ही शीघ्र जान पाता था ऐसे में सहायता भेजने में भी विलंब होता था।


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1 दिन राजा चांदनी रात का आनंद ले रहा था और चांद को देखकर वह सोचने लगा कि काश मैं चांद तक पहुंच पाता ओर मैं वहां बैठकर अपने पूरे राज्य को आसानी से देख लेता सोचते सोचते राजा को नींद आ गई उसने एक विचित्र सपना देखा।


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राजा को लगा चांद की दो आंखें है एक मुंह है और चांद अपनी बड़ी बड़ी आंखों से इधर उधर देख रहा है और कह रहा है देखो वह तुम्हारी नाव चली जा रही है। अरे… समुद्र में तूफान आने वाला है चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी नाव को सूचित करता हूं कि वह अपना मार्ग बदल ले। अरे तुम्हारे राज्य पर किसी ने हमला किया है शीघ्र ही सहायता के लिए सैनिक भेजो, वह देखो तुम्हारे राज्य के पूर्व में उत्सव मनाया जा रहा है तरह तरह के खेलों का आयोजन हो रहा है।


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राजा ने सपने में ही चांद को धन्यवाद दिया सुबह हुई समय पर दरबार लगा राजा ने अपना सपना सुनाया फिर हंसते हुए कहा शायद सपना सपना ही रह जाएगा राजा की हंसी के पीछे छिपी निराशा और दर्द ने दरबारियों को विचलित कर दिया एक वृद्ध दरबारी ने कहा महाराज निराश ना हो आपका यह सपना जरूर सच होगा।


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फिर एक दिन ना राजा रहा ओर ना ही वह वृद्ध दरबारी धीरे-धीरे समय बीतता गया आखिर वह दिन आ ही गया जब राजा का सपना सचमुच सच हो गया। 


आज सैकड़ों कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं आज अकेला चांदी हमारी धरती की आंख नहीं है अंतरिक्ष में सैकड़ों कृत्रिम उपग्रह चक्कर काट रहे हैं जो हमें नई बातों की जानकारी देते हैं कृत्रिम उपग्रह सच में धरती की चक्कर काटती आंखों के समान है वह सब देख लेते हैं समुद्र में उठते तूफान धरती पर होने वाले तरह-तरह के विस्फोट यहां वहां चलने वाले भयानक युद्ध बहुत पहले से पहचान लेते हैं और आने वाले खतरों से सावधान कर देते हैं अंतरिक्ष तथा सौरमंडल के ग्रहों के बारे में जानकारी देते हैं जिनसे ग्रहों की यात्रा का मार्ग तैयार होता है। 

यह पलक झपकते संदेशों को चित्रों को और टेलीविजन कार्यक्रमों को हजारों मील दूर तक पहुंचाते हैं अब वह हमारे लिए शिक्षक का भी कार्य कर रहे हैं ऐसे शिक्षक जो अंतरिक्ष में घूमते घूमते हमारे किसानों और बच्चों को नई नई बातें सिखा रहे हैं इन उपग्रहों की नजर बड़ी तेज होती है इनसे कोई बात छिपी नहीं रहती इसलिए इनसे बड़ा जासूस भला कौन हो सकता है यह सैकड़ों मील की ऊंचाई से चित्र खींचते हैं और शत्रु की सैनिक तैयारियों के बारे में जानकारी देते हैं काश आज वह राजा होता तो अपना सपना सच होता देख कितना खुश होता।


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