भारत के ऐतिहासिक तथ्य – India history fact in hindi

भारत के ऐतिहासिक तथ्य – India history fact in hindi


भारत के ऐतिहासिक तथ्य - India history fact in hindi

जब भारत को कहा जाता था सोने की चिड़िया

इस दुनिया में कितने ही सभ्यताएं आई और चली गई लेकिन भारत, जिसकी परंपरा इतनी पुरानी होने के बावजूद भी आज भी अपना अस्तित्व बनाए हुए है मार्क टवेन जो कि एक अमेरिकन लेखक हैं वह भारत के बारे में लिखते हैं “भारत मानव जाति का पालना है; यह वह जगह है जहां मानव भाषा का जन्म हुआ, भारत की धरती मानव इतिहास की मां है यह महान गाथाओं की दादी है और परंपराओं की परदादी है भारत इतिहास की सबसे कीमती और रचनात्मक चीजों का खजाना रहा है” इस पोस्ट में हम भारत के इतिहास से जुड़ी रोचक बातें जानेंगे


• पुरातत्व प्रमाण बताते हैं की भारत का शहर वाराणसी दुनिया के सबसे प्राचीन बसाये गए शहरों में से एक है जो आज भी अपने वजूद में है जिसे बनारस कहा जाता है और ऋग्वेद में इसे काशी कहा गया है वैसे बनारस को कम से कम 3000 साल पुराना माना जाता है लेकिन हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार 5000 साल पहले भगवान शिव ने इसकी स्थापना की थी और आपको जानकर हैरानी होगी कि जब ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध काशी आए थे उस वक्त भी इसे एक ऐतिहासिक शहर कहा जाता था हिंदू धर्म के साथ पवित्र स्थानों में से काशी को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है यहां तक कि जैन और बौद्ध धर्म में भी काशी एक पवित्र स्थान है।


• तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी माना जाता है इसको ईसा से 700 साल पहले प्राचीन भारत के तक्षशिला शहर में स्थापित किया गया था आजकल यह जगह पाकिस्तान में मौजूद है तक्षशिला में विश्व भर से 10000 से भी ज्यादा छात्र पढ़ा करते थे, साइंस, मैथ, मेडिसिन, फिलोसोफी, पॉलिटिक्स, एस्ट्रोलॉजी, एस्ट्रोनॉमी, म्यूजिक, रिलीजन जैसे 60 से भी ज्यादा विषय यहां पढ़ाये जाते थे अलग-अलग विषयों के शिक्षकों ने अपने आश्रम यहां बना रखे थे हमारे सबसे मशहूर इकोनॉमिस्ट और फिलॉसफर विष्णु गुप्त चाणक्य तक्षशिला में आचार्य थे चाइनीस ट्रैवलर फाहियान पांचवी सदी की शुरुआत में तक्षशिला आए थे तो उन्होंने तक्षशिला को भी विजिट किया था, अपने लेख में उन्होंने तक्षशिला के बारे में भी लिखा है।


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• सातवीं सदी ईसा ( 7th century B.C) पूर्व से लेकर पांचवी सदी(5th century A.D) तक यह विश्वविद्यालय अच्छी तरह फला फूला छठी सदी आते आते विदेशी हमलावरों ने इस विश्व विश्वविद्यालय को पूरी तरह नष्ट कर दिया।


• शिक्षा के मामले में आज भले ही भारत दूसरे देशों से पीछे हो लेकिन एक समय था जब भारत की नालंदा यूनिवर्सिटी हायर एजुकेशन के लिए दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करती थी नालंदा तक्षशिला से भी ज्यादा वेल ऑर्गेनाइज्ड यूनिवर्सिटी थी कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, पारस, और तुर्की जैसे देशों से छात्र यहां पढ़ने आते थे नालंदा यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस एग्जाम मुश्किल होता था कुछ चुनिंदा प्रतिभाशाली छात्र ही प्रवेश पा सकते थे। 

नालंदा के बारे में आज हमें जो ज्यादा जानकारी मिलती है वह फेमस चाइनीस ट्रैवलर हेनसांग और इतसिंग की राइटिंग से मिलती है जो सातवीं सदी में यहां आए थे हेनसांग ने अपनी भारत यात्रा के 2 साल नालंदा में बिताए थे शुरुआत में वह यहां छात्र की तरह रहे फिर बाद में उन्होंने यहां पढ़ाया भी हेनसांग लिखते हैं कि जब वह नालंदा आए थे तो वहां 10,000 स्टूडेंट थे और 1510 आचार्य थे यह अनुमान लगाया जाता है कि एक समय में हमारे ग्रेट मैथमेटिशियन आर्यभट्ट नालंदा के हेड थे नालंदा में हजारों छात्र और शिक्षकों के लिए एक विशाल लाइब्रेरी थी इस लाइब्रेरी में 300000 से भी ज्यादा किताबें थी 12 वीं सदी के अंत में तुर्की हमलावर बख्तियार खिलजी ने नालंदा को पूरी तरह जलाकर नष्ट कर दिया किसी जमाने में नालंदा एक भव्य यूनिवर्सिटी हुआ करती थी आजकल उसके बस खंडहर ही शेष बचे हैं।


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• सिंधु घाटी सभ्यता से ही भारत का इतिहास शुरू हुआ माना जाता है यह दुनिया की 3 सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक थे मेसोपोटामिया, एनसेंट इजिप्ट और सिंधु घाटी सभ्यता, अगर इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो सिंधु घाटी सभ्यता उस समय बहुत एडवांस सभ्यता थी सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में ऐसा माना जाता है कि 3300 ईसा पूर्व से लेकर 1300 ईसा पूर्व तक यह अस्तित्व में थी लेकिन नई खोजें यह बताती है कि यह सभ्यता 8000 साल पुरानी हो सकती है 1920 तक हमें इस सभ्यता के बारे में कुछ भी नहीं पता था 1920 में जब इंडिया के पुरातात्विक डिपार्टमेंट ने हड़प्पा में खुदाई की तो वहां इस सभ्यता के दो पूर्व शहर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के अवशेष मिले थे इसके बाद ही हमें सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में पता चला मोहनजोदड़ो और हड़प्पा यह दोनों जगह पाकिस्तान में है सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में अभी तक बहुत ही कम जानकारी है मिल पाई है।


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• 0 का आविष्कार भारत में हुआ था दो महान भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्ता और आर्यभट्ट को जीरो के आविष्कार का क्रेडिट दिया जाता है और जिनको आज दुनिया Arabic numerals कहती है इनका आविष्कार अरब में नहीं हुआ था बल्कि छठवीं और सातवीं शताब्दी में इनका आविष्कार भारतीय गणितज्ञ ने किया था अरब और भारत के लोग इसको Hindu numerals कहते थे।

al-kindi जोकि अरब के गणितज्ञ थे और al-khwarizimi जो कि पारस के गणितज्ञ थे इन दोनों लेखकों के लेख के जरिए ही Hindu numerals सिस्टम यूरोप तक पहुंचा था।

आइंस्टाइन लिखते हैं“हम भारतीयों के बेहद ऋणी है जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज नहीं की जा सकती थी”


• सर्जरी कितनी मुश्किल होती है और अगर आप ऐसे जमाने में हो जब डॉक्टरी चाकू का आविष्कार भी नही हुआ था तब तो इसकी कल्पना भी नही की जा सकती आज से 2600 साल पहले भारतीय इतिहास के एक चिकित्सक महर्षि शुश्रुत बेहद जटिल सर्जरी किया करते थे जैसे गुर्दे की पथरी, प्लास्टिक सर्जरी, फ्रेक्चर, कृत्रिम अंग, मोतियाबिंद आदि। सुश्रुत को पहला व्यक्ति माना जाता है जिसने इंसानों पर सबसे पहले मेडिकल सर्जरी की थी इसीलिए इनको फादर ऑफ सर्जरी भी कहा जाता है सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा पर एक संस्कृत ग्रंथ भी लिखा था जिसे सुश्रुत संहिता कहा जाता है सुश्रुत संहिता को चिकित्सा पर लिखा गया सबसे महत्वपूर्ण उत्तरजीविता का सिद्धांत भी कहा जाता है और इसे आयुर्वेद का फाऊंडेशनल टेक्स्ट भी माना जाता है सुश्रुत संहिता में 130 चैप्टर है जिसमें जिक्र मिलता है 1120 बीमारियों का, 700 औषधीय पौधों का, 57 पशु स्त्रोत के बारे में अध्ययन, 64 खनिज स्त्रोत के बारे में अध्ययन, इसके अलावा बहुत से सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट भी बताए गए हैं।

आठवीं सदी में सुश्रुत के इस महान ग्रंथ को Kitab shah shun al-hindi को अरबी भाषा में भी ट्रांसलेट किया गया था।


• एक और भारतीय महान चिकित्सक थे जिनका नाम था महर्षि चरक जो सुश्रुत के बाद और ईशा के 200 साल पहले हुए थे इनकी शिक्षा तक्षशिला में हुई थी चरक को पहले चिकित्सक माना जाता है जिन्होंने पाचन, उपापचय और पोषण संबंधी विकार, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को सामने रखा, महर्षि चरक, चरक संहिता ग्रंथ को आयुर्वेद की विश्वकोश माना जाता है।


• अगर भारत के इतिहास में झांके तो वह बहुत वैभवशाली नजर आता है ब्रिटिश राज्य से पहले भारत विश्व के अमीर देशों में शुमार हुआ करता था या फिर सबसे अमीर देश “यूं ही नहीं यह देश विश्व भर में सोने की चिड़िया कहलाता था” अगर कहा जाए तो गलत ना होगा की इस देश के बड़े पैमाने पर धन के होने से ही इतने आक्रमणकारी यहां पर आए हैरानी की बात है कि इस देश को खोजने की चाहत ने अमेरिका की खोज करवा दी।


• कोलंबस जो भारत के लिए निकला था और गलती से अमेरिका पहुंच गया और कोलंबस के महज कुछ साल बाद ही वास्कोडिगामा भारत की जमीन पर कदम रखने वाला पहला यूरोपियन बना।


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