बुरे वक्त में साहस देती 3 कहानी – 3 moral stories in hindi

बुरे वक्त में साहस देती 3 कहानी – 3 moral stories in hindi

1.) एक फकीर

एक फकीर देश में यात्रा के लिए निकला रास्ते में जब चलते-चलते रात हो गई तो वह एक व्यक्ति के घर में जाकर रुका उसका नाम आनंद था आनंद ने फकीर की खूब सेवा की, ओर दूसरे दिन आनंद ने फकीर को उपहार देकर विदा किया, फकीर आनंद की सेवा से बहुत खुश हो गया था और उसे दुआएं देने लगा, भगवान करे तू दिनों दिन बढ़ता रहे, फकीर की बात सुनकर आनंद हंसने लगा और बोला जो भी है यह भी नहीं रहेगा, फकीर आनंद की तरफ देखता रह गया और वहां से चला गया।

कुछ सालों बाद फकीर फिर आनंद के घर आया और देखा की उसका सारा धन सारी संपत्ति सब कुछ खत्म हो गया है पता चला कि वह अब गांव के किसी बड़े जमींदार के घर नौकरी करता है, वह गांव फकीर आनंद से मिलने गया और आनंद ने धन के अभाव में भी फकीर का स्वागत किया, झोपड़ी में फटी चटाई पर उसे बिठाया और जो उसके पास सूखी रोटी रखी थी वह उसे खाने के लिए दी और दूसरे दिन जाते समय फकीर की आंखों में आंसू थे फकीर कहने लगा हे भगवान यह तूने क्या किया। आनंद फिर हंसा और कहने लगा इसमें दुखी होने वाली क्या बात है ईश्वर हमें जैसा में भी रखे हमें खुश रहना चाहिए क्योंकि समय हमेशा बदलता रहता है और सुनो यह भी नहीं रहने वाला फकीर सोचने लगा मैं तो केवल भेष से फकीर हूं लेकिन सच्चा फकीर तो तू है आनंद।

कुछ वर्षों बाद फकीर फिर यात्रा पर निकला और जब आनंद से मिला तो देखकर हैरान रह गया उसने देखा नहीं तो अब तो  आनंद जमीदारों का भी जमीदार बन गया है उसे मालूम हुआ कि जो जमीदार के यहां आनंद नौकरी करता था उसकी कोई संतान नहीं थी मरते समय उस जमींदार ने अपनी पूरी संपत्ति आनंद के नाम कर दी थी। फकीर बहुत खुश हो गया था उसने आनंद से कहा अच्छा हुआ वह जमाना गुजर गया भगवान करे अब तू ऐसा ही बना रहे आनंद फिर से हंसा और कहा फकीर अभी भी तेरी नादानी बनी हुई है फकीर ने पूछा क्या यह भी नहीं रहने वाला आनंद ने कहा हां.. या तो यह चला जाएगा या तो इसको अपना मानने वाला चला जाएगा यहां पर कुछ भी हमेशा रहने वाला है ही नहीं और अगर कोई चीज शाश्वत है तो वह है हमारी आत्मा वह है हमारे मन की शांति सुकून और बाकी जो भी कुछ है वह हमेशा रह ही नहीं सकता फकीर ने आनंद की बातों को बहुत ध्यान से सुना और वापस चला गया।

कुछ समय बाद फकीर जब उस गांव से गुजरा उसने देखा वहां आनंद का महल तो है लेकिन उसमें आनंद नहीं है उसमें पक्षी रह रहे हैं क्योंकि आनंद अब इस दुनिया में नहीं था उसकी मृत्यु हो चुकी थी।

वह फकीर सोचता है कि यह इंसान जिंदगी भर कितना दौड़ता भागता रहता है, रोता रहता है दुखी होता रहता है जिन चीजों के लिए इंसान तड़पता रहता है दुखी होता रहता है वास्तव में वह चीजें हमेशा रहने वाली है ही नहीं वह सारी चीजें बदलने वाली है।

यह कहानी हमें सीख देती है कि जब भी हमारी जिंदगी में कोई मुसीबत आये मुश्किल आये तकलीफ आये तो हमें यह सोचना चाहिए कि जिंदगी में इससे पहले जो मुश्किलें आयीं क्या वह रुकी, क्या वह हमेशा के लिए थी, जैसे वह मुश्किल हमेशा के लिए नहीं थी वैसे यह मुश्किल भी आ कर चली जाएगी यह भी हमेशा रहने वाली नहीं है।

2.) सिक्कों से भरा थैला

एक व्यक्ति मृत्यु के करीब था वह मरने वाला था उसने अपने बेटों को चांदी के सिक्कों से भरा हुआ एक थैला दिया और अपने पुत्र को बताया जब भी इस थैले से चांदी के सिक्के खत्म हो जाएं तो जो मैं तुम्हें प्रार्थना बता रहा हूं उसे दोहराने से चांदी के सिक्के फिर से भरने लग जाएंगे उसने अपने बेटे के कान में 4 शब्दों की प्रार्थना कही और वह मर गया अब बेटा चांदी के सिक्कों से भरा थैला पाकर बहुत खुश था उसे खर्च करने लग गया वह थैला इतना बड़ा था कि उसे खर्च करने में बहुत साल बीत गए लेकिन इसी बीच वह 4 शब्दों की प्रार्थना ही भूल गया लेकिन जब थैला खत्म होने आया तो उसे याद आया कि अरे वह 4 शब्द की प्रार्थना क्या थी? उसने बहुत कोशिश की लेकिन उसे याद ही नहीं आया अब वह लोगों से पूछने लगा सबसे पहले उसने अपने पड़ोसी से पूछा, तुम्हें ऐसी कोई प्रार्थना पता है जिसमें 4 शब्द हो तो पड़ोसी ने कहा हां मुझे पता है यह प्रार्थना, यह प्रार्थना है “ईश्वर मेरी मदद करो” लेकिन वह सोचने लगा, वह शब्द तो कुछ और ही थे उसने बहुत सारे चार शब्द एक ही प्रार्थना को बार-बार दोहरा कर देखा लेकिन उस खाली थैले में सिक्के बड़े ही नहीं वह मन ही मन बहुत दुखी हो गया फिर वह एक ब्राह्मण से मिला उस ब्राह्मण ने उससे कहा कि तुम यह प्रार्थना करो “ईश्वर तुम महान हो” और इस प्रार्थना से भी कुछ नहीं हुआ फिर उसे एक बहुत अमीर इंसान मिला उसने कहा तुम यह प्रार्थना करो ईश्वर मुझे धन दो लेकिन उस प्रार्थना से भी कुछ नहीं हुआ तभी वह उदास होकर अपने घर में बैठ गया तभी एक भिखारी उसके घर आया और बोला कि सुबह से कुछ नहीं खाया है उस व्यक्ति ने बचा हुआ खाना उस भिखारी को दे दिया और उस भिखारी ने खाना खाकर ईश्वर से प्रार्थना की “हे ईश्वर तुम्हारा धन्यवाद” अचानक वह लड़का चौक गया और चिल्ला पड़ा अरे यही तो वह चार शब्द थे उस भिखारी के चार शब्द दोहराने से ईश्वर आपका धन्यवाद बोलने से वह खाली थैला भर गया।

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इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि वह था खाली थैला हमारी जिंदगी है और उसमें रखी सिक्के हमारी खुशियां हैं जब तक हम अपनी जिंदगी में शिकायत करते रहते हैं हम दुखी ही रहते है लेकिन जब हम सारी शिकायतें भूलकर परमात्मा को दिल से धन्यवाद देते हैं, प्रकृति को दिल से धन्यवाद करते हैं तो हमारी जिंदगी में खुशियों के सिक्के भर जाते हैं याद रखो जो इंसान हमेशा शिकायतों से भरा रहता है वह कभी खुश नहीं हो सकता।

3.) फसल की कटाई

एक चिड़िया ने एक खेत में अपना घोंसला बनाकर उसमें अंडे दिए कुछ समय बाद उसमें से बच्चे निकले चिड़िया दाना लाने के लिए जंगल जाती और जब लौट कर आती अपने बच्चों के लिए दाना लेकर तो उसके बच्चे बहुत खुश होते थे और दाना चुगते थे। 1 दिन बच्चे बहुत दुखी थे और उन्होंने अपनी मां से कहा आज खेत का मालिक आया था वह कह रहा था कि अब फसल पक चुकी है वह कल अपने बेटों से कहकर फसल की कटाई के लिए कहेगा। इस तरह तो हमारा घोंसला टूट जाएगा फिर हम कहां रहेंगे? तो चिड़िया ने कहा फिकर मत करो अभी खेत नहीं कटेगा और अगले दिन सचमुच कुछ नहीं हुआ बच्चे बेफिक्र हो गए 1 हफ्ते के बाद चिड़िया को बच्चे फिर डरे हुए लगे और कहने लगे किसान आज फिर आया था और कह रहा था कल नौकरों को कहकर फसल कटवाएगा इस बार भी चिड़िया ने बच्चों से कहा तुम चिंता मत करो डरो मत कुछ नहीं होगा ओर सचमुच कुछ नही हुआ। एक हफ्ते बाद बच्चों ने फिर चिड़िया को बताया कि किसान आया था और कह रहा था कि फसल कटाई में बहुत देर हो चुकी है और वह खुद आकर फसल को काटेगा यह सुनकर चिड़िया बच्चों से बोली अब खेत कल पक्का कट जाएगा वह अपने बच्चों को लेकर तुरंत एक सुरक्षित स्थान पर चली गई बच्चे बहुत हैरान थे और अपनी मां से पूछने लगे कि तुम्हें कैसे पता कि इस बार खेत पक्का कटेगा।

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तो वह चिड़िया कहने लगी जब तक कोई इंसान दूसरों पर निर्भर रहता है तो उसके काम को पूरा होने में सदैव संदेह बना रहता है लेकिन जब कोई इंसान अपने काम को खुद करने की ठान लेता है तो वह काम जरूर होता है

यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि जब तक हम दूसरों पर निर्भर रहते हैं हमेशा दूसरों के भरोसे पर चलते रहते हैं तब तक हमारे कोई भी काम ढंग से हो ही नहीं पाते लेकिन जिस दिन हम अपने सारे काम अपने हाथ में ले लेते हैं अपने काम में खुद जुट जाते हैं तो हमारे काम जरूर पूरे होते हैं।

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