देश की पहली दृष्टिबाधित IAS महिला बनी प्रांजल बिना किसी कोचिंग के पास की UPSC की परीक्षा

अगर आपमें किसी काम को करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति है तो आप उस कार्य को पूरा कर ही लेंगे बस आपके हौसलें बुलंद होना चाहिए सपने देखने और उन्हे पूरा करने के लिए आपको निरंतर अपने काम में लगे रहना चाहिए आज दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिनकी शारीरिक संरचना ठीक नहीं है लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपने सपनों को जीना नहीं छोड़ा और उसे पूरा किया अगर आपके हौसले बुलंद हो तो आप अपनी आंखों की रोशनी के बिना भी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं आज ऐसी ही कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं भारत की पहली नेत्रहीन आईएएस अफसर के बारे में जो बचपन में ही अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी थीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक महिला, जो देख भी नहीं सकती, वह देश की अफसर बन गई। जानते हैं आईएएस प्रांजल पाटिल के बारे में।

Pranjal patil success story in hindi

कौन हैं प्रांजल पाटिल 

प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली हैं। प्रांजल के साथ बचपन में एक हादसा हुआ, जिसमें उनकी एक आंख खराब हो गई और एक साल बाद ही दूसरी आंख की रोशनी भी चली गई। लेकिन प्रांजल ने हार नहीं मानी। उन्होने बिना आंखों से देखे पहली ही बार में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली। उनकी यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 773 आई थीं। जिसके बाद प्रांजल के सपनों को पंख मिले और वह देश की पहली नेत्रहीन अफसर बिटिया बन गई। 

बचपन में ही आंखों की रोशनी चली गई फिर इस तरह से की पढ़ाई

प्रांजल बचपन से ही कमजोर आंखों की रोशनी के साथ पैदा हुई थी जब वह केवल 6 साल की थी तो उनकी आंखों की रोशनी चली गई कहा जाता है कि उनके स्कूल के ही किसी बच्चे ने उनकी आंखों में पेंसिल मार दी थी जिससे उनकी आंखों की रोशनी चली गई डॉक्टर ने उनका उपचार किया और उनके माता-पिता को यह बात बतलाई की क्योंकि प्रांजल की आंखें बचपन से ही कमजोर हैं तो उनकी दूसरी आंखों की रोशनी भी कुछ महीनो बाद चली जाएगी और हुआ भी यही कुछ महीनो बाद उनकी एक और आंख की भी रोशनी चली गई और उन्होंने अपनी दोनों आंखों से पूरी तरह से दृष्टि को दी

प्रांजल की पढ़ाई

उनकी दोनों आंखों की दृष्टि चली जाने के बाद भी उनके माता-पिता ने कभी भी विकलांगता को उनकी पढ़ाई में आड़े नहीं आने दिया उनके माता-पिता ने उनका एडमिशन कमला मेहता स्कूल फॉर द ब्लाइंड में कराया प्रांजल पढ़ाई में बहुत होशियार थी एग्जाम में वह हमेशा बहुत अच्छे नंबर से पास होती थी।

प्रांजल जब ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी तब उन्हें अपने एक दोस्त के द्वारा प्रशासनिक सेवा के बारे में पता चला यहीं से उनकी प्रशासनिक सेवा में रुचि बड़ी और उन्होंने यह तय कर लिया कि आगे अब वह यूपीएससी की तैयारी ही करेंगी।

UPSC की तैयारी

जब प्रांजल 2015 में MA की पढ़ाई कर रही थी तब से ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करना भी शुरू कर दिया था यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जिसका नाम JAWS था यह सॉफ्टवेयर केवल मुद्रित दस्तावेजों को ही पढ़ पाता है।

किसी लेखक को ढूंढने में कठिनाई

अब उन्हें जरूरत थी अपनी परीक्षा को लिखने के लिए एक लेखक की मुख्य परीक्षा 3 घंटे की होती है लेकिन लेखक का उपयोग करने वाले को अपना काम खत्म करने के लिए चार घंटे दिए जाते हैं इसीलिए ऐसा लेखक मिलना मुश्किल था जो कि उनके बोलने की गति से लिखने का काम कर सके।

उनकी एक मित्र थी विदुषी नाम की जो कि लिखने में एक्सपर्ट थी वह बहुत गति से लिखती थी और प्रांजल की सहायता करने के लिए भी वही आगे आई और प्रांजल की तैयारी करने में भी उसने बहुत मदद की।

यूपीएससी 2015 की परीक्षा

अब प्रांजल 2015 की परीक्षा में बैठी और शानदार अंक हासिल किए उन्होंने 773 अंक हासिल किए उन्हें भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी दी गई लेकिन उनकी दृष्टि के कारण उन्हें इस नौकरी के लिए अनुपयुक्त समझ गया!

इस अस्वीकृति के बाद वह बहुत निराशा हुई लेकिन यही वह समय था जिसने उन्हें दूसरे प्रयास करने के लिए अधिक दृढ़ और मजबूत बना दिया था।

2017 में उन्होंने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार ऑल इंडिया रैंक 124 प्राप्त की और इस बार वह पहली नेत्रहीन महिला आईएएस के रूप में उभर कर सबके सामने आए इस मौके पर आकाशवाणी ऑल इंडिया रेडियो पुणे उन्हें सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए बहुत शुभकामनाएं दी।

प्रांजल एक जापानी बौद्ध, दाइसाकु और स्टीफन हॉकिंग को भी अपना आदर्श मानते हैं। इससे उसे यह विश्वास करने में मदद मिलती है कि उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

28 मई, 2018 को, उन्होंने केरल के एर्नाकुलम जिले के सहायक कलेक्टर का पद संभाला। वह भारत की पहली दृष्टिबाधित आईएएस अधिकारी बनीं

14 अक्टूबर, 2019 को, उन्होंने केरल के तिरुवनंतपुरम के उप-कलेक्टर का पद संभाला। उनके पहले दिन जिला कलेक्टर के गोपालकृष्णन ने उनका स्वागत किया, जिन्होंने उनकी नियुक्ति को तिरुवनंतपुरम के लिए एक शुभ कार्यक्रम घोषित किया

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था

सफलता प्रेरणा नहीं देती; सफलता के पीछे का संघर्ष आपको प्रेरणा देता है। लेकिन सफलता जरूरी है क्योंकि तभी लोगों की दिलचस्पी आपकी लड़ाई के बारे में जानने की होगी। कुछ करने का नजरिया और दृष्टिकोण मायने रखता है और प्रत्येक व्यक्ति एक सुंदर समाज का स्तंभ बन सकता है।