परिवार वाले चाहते थे शादी करवाना लेकिन जिद पर अड़ी रही दो बार UPSC की परीक्षा पास की तीसरी बार में बनीं IAS

जब गरीब परिवार के बच्चे बड़े होकर अधिकारी बनते हैं, तो वे दूसरे बच्चों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। श्वेता अग्रवाल ऐसी ही एक आईएएस ऑफिसर हैं, जिनकी सफलता की कहानी अन्य छात्रों और अभ्यर्थियों को अपनी पूरी ताकत से प्रयास करने के लिए उत्साहित करती है। वे एक किराना विक्रेता की बेटी थीं। वे अपनी मेहनत से यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में तीन बार सफल हुईं और आईएएस ऑफिसर बन गईं। श्वेता अग्रवाल ने 2016 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 19वीं रैंक प्राप्त की थी।

श्वेता अग्रवाल का प्रारंभिक जीवन और परिवार

श्वेता अग्रवाल का बचपन बहुत कठिनाइयों से भरा था। उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। फिर भी वे चाहते थे कि श्वेता इंगिल्श स्कूल में पढ़ें। वे बड़ी मुश्किल से उनका एडमीशन करवा पाए। पर महीने के 165 रुपये फीस देने में वे बहुत परेशान होते थे। एक दिन श्वेता के स्कूल में फेस्ट हुआ।

श्वेता ने उसके लिए अपने माता-पिता से पैसे मांगे। उन्होंने उसे सच्चाई बताई कि वे ऐसे खर्चों को संभाल नहीं सकते। श्वेता ने सात साल की उम्र में ही पैसे और पढ़ाई का महत्व समझ लिया था। उस दिन के बाद वे अपने रिश्तेदारों से मिलने वाले 5 या 10 रुपये भी अपनी मां को देती थी। ताकि फीस का पैसा जुटाया जा सके।

श्वेता अग्रवाल की शिक्षा

श्वेता अग्रवाल का परिवार उनकी पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं लेता था। क्योंकि उनके घर में 18 साल की उम्र में ही लड़कियों की शादी हो जाती थी। लेकिन श्वेता का सपना था कि वे अच्छी पढ़ाई करें। उन्होंने क्लास 12 में अपने स्कूल में टॉप किया। फिर उन्होंने सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और वहां भी टॉपर रहीं। उसके बाद उन्होंने एमबीए किया और एक एमएनसी में अच्छी नौकरी पाई। श्वेता ने अपने परिवार के 15 बच्चों में से पहला ग्रेजुएट बनकर दिखाया। उनके चाचा ने जो कहा था कि पढ़-लिखकर कुछ नहीं होता, उन्होंने उसे गलत साबित किया।

IAS बनने के लिए अपनी बड़े सैलरी पैकेज वाली नौकरी को छोड़ा

श्वेता अग्रवाल को बचपन से ही खाकी वर्दी का दीवाना था। वे अपने घर के पास के पुलिस स्टेशन में ऑफिसर्स को देखकर उनकी तरह बनने का सपना देखती थी। वे अपने सपने को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। उन्होंने अपनी नौकरी भी छोड़ दी, जिसमें वे एक बड़ी पोस्ट और एक बड़ा पैकेज पाती थी।

वे एक ऐसी परीक्षा की तैयारी करने लगी, जिसमें सफल होना बहुत कठिन था। उनके बॉस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने उनको यकीन दिलाया कि वे उन 90 में से एक बनकर दिखाएंगी, जो आईएएस बनते हैं। फिर वे अपने घर भद्रेश्वर लौट आईं।

घर वाले चाहते थे शादी करवाना

श्वेता अग्रवाल का फैसला किसी को समझ में नहीं आया। वे अपनी नौकरी छोड़कर घर आईं और यूपीएससी की तैयारी करने लगीं। लेकिन उनका मनोबल टूट गया था और वे पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाती थीं क्योंकि उनके परिवार वाले उन्हें शादी करने के लिए दबाव डालते थे। लेकिन उन्होंने अपने माता पिता को समझाया की वह आईएएस कि परीक्षा देना चाहतीं हैं। श्वेता कहती हैं कि वे शादी को टाल सकती थीं, पर यूपीएससी को नहीं। इसलिए वे अपने कैरियर को पहले रखना चाहती थीं। श्वेता ने अपने घर से दूर एक कमरा किराए पर लिया और वहां रहकर पढ़ाई करने लगी।

UPSC की परीक्षा दो बार पास की

श्वेता अग्रवाल ने एक साक्षात्कार में बताया कि यूपीएससी वह परीक्षा है जिसमें एक बार पास होने का कोई भरोसा नहीं है। हर बार शुरुआत से ही करनी पड़ती है। वे भी इस रिस्क को लेकर चली थीं। वे अपने दिल की आवाज सुनकर दोबारा परीक्षा देने गयीं। पहली बार उनकी 497 रैंक थी और उन्हें आईआरएस मिला।

आखिर में बनी आईएएस

दूसरी बार 2015 में उनकी 141 रैंक थी। वे बस 10 नंबर से आईएएस बनने से रह गयीं। उन्हें आईपीस मिला, पर उनका सपना अभी भी आईएएस बनने का था। वे बार-बार इस रिस्क को उठाती रहीं। वे दिन में 9 घंटे पढ़ती थीं। वे चार-पांच साल तक इसी में लगीं। अंत में उनकी किस्मत उनके साथ थी। 2016 में उन्होंने 19वीं रैंक के साथ यूपीएससी पास की। वे वेस्ट बंगाल की पहली टॉपर बनीं, जो 10 साल बाद टॉप 20 में आईं।

श्वेता अग्रवाल की मेहनत, आत्मविश्वास और जज्बा का कोई जवाब नहीं था। वे अपने परिवार और समाज की चिंता नहीं करती थीं। वे अपने दिल की आवाज को ही सुनती थीं। वे यहां तक पहुंचने के लिए बहुत ही कड़ी मेहनत करती थीं। वे अपने टेबल पर लिखी इस बात पर भी विचार करती थीं कि भविष्य उनका होता है जो अपने सपनों की सुंदरता पर भरोसा करते हैं।