पिता दिनभर मेहनत करते नाश्ते का ठेला लगाते, बेटी ने पहले IIT फिर UPSC क्लियर कर बनी IAS

यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के लिए कई अभ्यर्थी अपने जीवन में अनेक त्याग करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी सफलता का रास्ता और भी कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है. उनकी सफलता की कहानी हमें प्रेरित करती है और हमारे मन में उनके प्रति सम्मान जगाती है. ऐसी ही एक कहानी है आईएएस दीपेश कुमारी की, जिन्होंने अपने परिवार, अपने समाज और अपने जन्मस्थान भरतपुर का नाम रोशन किया है. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से अपने सपने को साकार किया है।

दीपेश कुमारी का प्रारंभिक जीवन और परिवार

चाट-पकोड़े का ठेला लगाकर दीपेश कुमारी के पिता गोविंद अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। वे भरतपुर के अटल बैंड क्षेत्र में रहते हैं और इस काम को 25 साल से जारी रख रहे हैं। उनके पास पांच बच्चे हैं, जिनमें से वह अकेले ही कमाई करने वाले हैं। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, लेकिन गोविंद ने अपने बच्चों को पढ़ाने और उनके उज्जवल भविष्य का सपना नहीं छोड़ा। उनके बच्चे भी शिक्षा में अपनी लगन और मेहनत दिखाते रहे। उनमें से एक है दीपेश कुमारी, जिनकी upsc की कहानी से आपको भी प्रेरणा मिलेगी

दीपेश कुमारी की शुरुआती शिक्षा और IIT में प्रवेश

दीपेश कुमारी की बचपन से ही पढ़ाई में बहुत रुचि थी। उन्होंने शिशु आदर्श विद्या मंदिर से अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। 10वीं कक्षा में उन्होंने 98 प्रतिशत और 12वीं कक्षा में 89 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. उनका सपना था कि वह सिविल इंजीनियर बनें, इसलिए उन्होंने जोधपुर कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कि. फिर उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में प्रवेश पाया, जहां उन्होंने एम.टेक की उपाधि हासिल की।

आईएएस बनने का सफल प्रयास

उनके शानदार शैक्षणिक प्रदर्शन के बावजूद, उन्हें नौकरी की चिंता नहीं थी, बल्कि उन्हें सिविल सेवा में जाना था. वह जल्दी ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लग गई. उन्होंने अपनी लगन और मेहनत के साथ अपना दूसरा प्रयास सफल बनाया उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल करके आईएएस ऑफिसर का पद प्राप्त किया।

स्नैक स्टॉल चलाने वाले पिता की आईएएस बेटी

गोविंद की बेटी दीपेश कुमारी आईएएस ऑफिसर बन गई है, लेकिन उनके पिता अभी भी अपना स्नैक स्टॉल चला रहे है। वह छोटे से घर में रहते हैं, जहां उनके चार बच्चे हैं. दीपेश के अतिरिक्त, उनके दो भाई MBBS कर रहे हैं और उनकी एक बहन डॉक्टर है. उनका एक और भाई उनके पिता की मदद करता है।

मां ने हमेशा प्रोत्साहित किया

दीपेश कुमारी कहती हैं कि उनकी मां ने उन्हें हर कदम पर साथ दिया और उन्हें सिविल सेवा की तैयारी के लिए प्रेरित किया. उनकी मां ने उन्हें यूपीएससी परीक्षा में सफल होने का विश्वास दिलाया और उन्हें अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रोत्साहन दिया।