जीवन का आनंद | Jeevan Ka Anand Kahani In Hindi

जीवन का आनंद | Jeevan Ka Anand Kahani In Hindi


बहुत समय पहले की बात है। जब सिकंदर अपनी शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था तो उसे अपनी ताकत पर इतना गुमान होने लगा था कि अब वह अमर होना चाहता था। उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है। देश-दुनिया में भटकने के बाद आखिरकार सिकंदर ने उस जगह को खोज लिया जहां पर उसे अमृत प्राप्त हो सकता था। 


वह एक पुरानी गुफा थी जहां पर कोई आता-जाता नहीं था। देखने में वह बहुत डरावनी लग रही थी लेकिन सिकंदर ने एक जोर की सांस ली और गुफा में प्रवेश कर गया। वहां पर उसने देखा कि गुफा के अंदर एक अमृत का झरना बह रहा है। उसने जल पीने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि एक कौवे की आवाज आई। 


कौवा गुफा के अंदर ही बैठा था. . कौवा जोर से बोला- ठहर ! रुक जा, यह भूल मत करना! 


सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा.. वह बड़ी ही दयनीय अवस्था में था, पंख झड़ गए थे, पंजे गिर गए थे, वह अंधा भी हो गया था।बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था। 


सिकंदर ने कहा- तू कौन होता है मुझे रोकने वाला? मैं पूरी दुनिया को जीत सकता हूं तो यह अमृत पीने से मुझे तू कैसे रोकता है? तब कौवे ने आंखों से आंसू टपकाते हुए बोला कि मैं भी अमृत की तलाश में इस गुफा में आया था। और मैंने जल्दबाजी में अमृत पी लिया. अब मैं कभी मर नहीं सकता, पर अब मैं मरना चाहता हूं लेकिन मर नहीं सकता। देख लो मेरी हालत।


कौवे की बात सुनकर सिकंदर देर तक सोचता रहा। सोचने के बाद फिर बिना अमृ पीए ही चुपचाप गुफा से बाहर वाप लौट आया। सिकंदर समझ गया कि जीवन का आनंद उस समय तक ही रहता है जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते हैं।


सीख – जीवन में हमें हमेशा खुश रहना चाहिए. हमें कभी भी खुश रहने के लिए बड़ी सफलता या समय का इंतजार नहीं करना चाहिए क्योंकि समय के साथ हम बूढ़े होते जाते हैं और फिर अपने जीवन का असली आनंद नहीं उठा पाते हैं।


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