अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कैसे Action लें | How to take action to achieve your goal In Hindi

अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कैसे Action लें | How to take action to achieve your goal In Hindi


हमारे दिमाग और शरीर का संबंध गधे पर बैठे एक आदमी की तरह होता है जहां आपका दिमाग आदमी है और शरीर गधा है मान लो आप उस गधे की सवारी कर रहे हो और आपको उस गधे को आगे बढ़ाना है तो आप उस गधे के आगे एक गाजर या कुछ खाने का सामान रख दो जिसे खाने के लिए वह आगे बढ़ता रहे और आप उसकी सवारी करते रहो।


1.) अपने अच्छे काम के लिए खुद को reward दें


अगर आप भी चाहते हो कि आप का शरीर भी अच्छे से काम करें तो आपको उसे reward देना चाहिए या फिर आपको उस reward के बारे में सोचना आना चाहिए। जिससे कि आपके शरीर में मोटिवेशन आए उस काम को करने के लिए।


अब यह बात सुनने में तो आसान है लेकिन यह इतनी आसान नहीं है क्योंकि हम लोगों में यह होता है कि जब भी हम अपना काम अच्छे से खत्म कर लेते हैं तो डोपामिन रिलीज होता है और यह बहुत छोटे-छोटे काम में भी होता है जैसे पानी पीना खाना खा लेना, और अपनी पसंद का कुछ खाना बना लेना और यह चीज हमेशा हमारे साथ होती है।


2.) खुद को हाई डोपामिन वाली चीजों से दूर रखें।


लेकिन अब यह डोपामिन हमारे शरीर मे कुछ ज्यादा ही रिलीज होने लगा है जैसे आजकल हम अपने मोबाइल में कई तरह की ऐप यूज करने लगे हैं मोबाइल का ज्यादा यूज करने लगे हैं कई सोशल मीडिया अकाउंट चलाते हैं जिसके कारण हमारे शरीर में बहुत सारा डोपामिन रिलीज होने लगा है और इन सब चीजों की वजह से हमारे दिमाग में बहुत ज्यादा मात्रा में डोपामिन रिलीज होने लगता है जो कि हमें अपने मुख्य लक्ष्य से भटका देता है।


और यह बिल्कुल उसी तरह होगा जैसे आप अपने अपने गधे को खूब सारा अच्छा-अच्छा खाना पेट भरकर खिला दो और फिर आप उसके सामने कुछ खाने की अच्छी चीज या फिर गाजर रख दो तो वह उसके सामने देखेगा भी नहीं उल्टा और आलसी हो जाएगा और कुछ काम भी नहीं करेगा क्योंकि पहले से ही उसके दिमाग में अच्छे अच्छे खाने को खाकर हाई डोपामिन रिलीज़ हो चुका है।


इसी तरह हम भी अपने दिमाग को हाई डोपामिन की चीजें देते रहते हैं ओर अपने लक्ष्य से भटक जातें हमें जो जरूरी काम करना है वह न करके हम गैरजरूरी काम करने लगते है तो कोशिश करो की आप हाई डोपामिन वाली चीजों से एक-दो दिन के लिए ही सही पूरी तरह दूर हो जाओ और फिर जब आप अपने काम के छोटे-छोटे जरूरी टास्क को पूरा करोगे तब आपको बहुत अच्छा फील होगा और आप मोटिवेट रहोगे क्योंकि ज्यादा डोपामिन हमें ज्यादा चीजें करने के लिए एडिक्ट करवाता है इसीलिए हमें हाई डोपामिन वाली चीजों को कम करना चाहिए।


जैसे मान लो अगर आपको 5 दिन के लिए जेल में बंद कर दिया जाए और आपको कुछ भी करने के लिए ना दिया जाए और 5 दिन के बाद अगर आपको एक बुक पढ़ने के लिए दी जाए तो आप उस बुक को खुशी-खुशी पढ़ोगे।


इसीलिए हाइ डोपामिन वाली चीजों को कम करें। ऐसी चीजें जो आपकी लाइफ में value add ना करती हों उनको avoide करें।


3.) Positive Thoughts और Beliefs होना जरूरी है।


आप अपने आप से अच्छी बातें करें अच्छे विचार ही अपने दिमाग में लाएं। एक रिसर्च से पता चला है कि हमारे दिमाग में 1 दिन में 50000 से भी ज्यादा विचार आते हैं  और यही विचार हमारी क्वालिटी ऑफ लाइफ पर बहुत गहरा असर डालते हैं University of alabama के प्रोफेसर ने इस पर रिसर्च की जहां पर उन्होंने कुछ लोगों को बुलाकर अपने पॉजिटिव और नेगेटिव अनुभवों को सोचने के बारे में कहा इसमें उन्होंने यह देखा कि जिन लोगों ने अपने पॉजिटिव अनुभव के बारे में सोचा वह लोग ज्यादा खुश रहने लगे वहीं जिन लोगों ने अपने नकारात्मक अनुभव को ज्यादा याद किया वह लोग और ज्यादा दुखी और अनप्रॉडक्टिव रहने लगे।


आपने न्यूरोप्लास्टिसिटी का भी सिद्धांत सुना होगा जिसके अनुसार आपके विचार आपके दिमाग के स्ट्रक्चर को भी बदल देते हैं कहने का मतलब यह है कि अगर आप की क्वालिटी ऑफ लाइफ आपके विचारों पर निर्भर है तो अपने विचारों को बदलो।


आपके दिमाग में जो भी विचार आते हैं वह एक नदी की तरह है और आपके विचार उस नदी के बीच में रखे हुए पत्थर हैं जो आसानी से तो हिलते नहीं है लेकिन हां पानी के तेज बहाव से वह अपनी दिशा जरूर बदल लेते हैं और निरंतर पानी के बहाव की वजह से उनकी आकृति की थोड़ी बदल जाती है। इसीलिए अगर आपके दिमाग में थोड़े बहुत नेगेटिव थॉट आते हैं तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन अगर बार-बार आप उसी के बारे में सोच रहे हैं उसी को दिमाग में ला रहे हैं तो यह आपकी लाइफ की क्वालिटी और आपके काम करने के एक्शन को भी प्रभावित करता है।


उदाहरण के लिए अगर आप यह मानने लगते हो कि आप जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते आपसे कुछ हो नहीं पाएगा आप कितना भी प्रयास कर लो आपको परिणाम अच्छा मिलेगा ही नहीं, और यही सब सोचने की वजह से आपके एक्शन भी उतने दमदार नहीं होंगे क्योंकि कहीं ना कहीं आपके दिमाग में यही रहेगा कि इतनी एनर्जी और टाइम वेस्ट करने से मतलब नहीं है क्योंकि मुझे अच्छा रिजल्ट मिलेगा ही नहीं।


जब आप अपने दिमाग में पॉजिटिव बिलीफ़ लाना शुरू करते हो तो वह चीज आपके एक्शन में दिखने लगती है और फिर वही दमदार एक्शन आपके रिजल्ट भी अच्छा बनाते हैं for example अगर कोई इंसान डेली वर्कआउट के लिए जाता है तो वह क्यों जाता है इसलिए क्योंकि उसका Belief बहुत ज्यादा स्ट्रांग है कि वह वर्कआउट करेगा और उसकी health अच्छी बनेगी जबकि कोई इंसान वर्कआउट करने नहीं जाता है वह इसलिए क्योंकि उसका कहीं ना कहीं उसका belief ही स्ट्रांग नहीं होता।


4.) 20 Second Rule अपनाएं


20 सेकंड रूल आपके belief को स्ट्रांग करता है और आपको एक्शन लेने में बहुत मदद करता है लेखक Shawn Achor ने अपनी बुक द हैप्पीनेस एडवांटेज में 20 सेकंड रूल बताया है। उन्होंने बताया कि कैसे मैंने 20 सेकंड रूल का उपयोग करके गिटार बजाना सीख था।


Shown Achor को गिटार बजाना सीखना था उन्हें कहीं से तो पता लगा था कि कोई भी आदत बनानी हो तो उसमें 21 दिन लगते हैं इसीलिए उन्होंने अपने 21 दिन का शेड्यूल एक कागज पर बनाया और उसे दीवार पर चिपका दिया।

ऐसे ही शुरू में उन्होंने हर दिन गिटार बजाया और उस तारीख पर क्रॉस करते गए इसे उन्होंने 4 दिन तक पूरी शिद्दत के साथ किया लेकिन जैसे ही पांचवा दिन आया उनका मोटिवेशन खत्म हो गया फिर उन्होंने रिमोट उठाया और टीवी देखने लगे।

ऐसे ही दिन पर दिन निकलते गए और वह गिटार बजाना नहीं सीख पा रहे थे। फिर उन्होंने कुछ दिन बाद दीवार पर लगे उस पेपर को देखा तो जिसे देखकर उन्हें बहुत पछतावा हुआ उन्हें पता था कि मैं बहुत पछता रहा हूं लेकिन ऐसा हो क्यों रहा है जब उन्होंने इसके बारे में बहुत सोचा कि ऐसा हो क्यों रहा है तो उन्हें एक बात पता चली। वह यह थी कि,


जब भी वह ऑफिस से थके हुए आते थे तो पहले वह अलमारी खोजते उसमें से गिटार निकालते उस गिटार की पैकिंग खोलकर फिर गिटार बजाते थे और ऐसे ही जब वह गिटार बजा लेते तो उसे वैसे ही पैक करके अलमारी में रख देते और फिर अलमारी में बंद कर देते थे और यही चीज को उन्होंने नोटिस किया कि हर चीज आसान नहीं बहुत जटिल थी। और यही चीज उन्हें गिटार बजाने से रोक रही थी।


इसीलिए उन्होंने गिटार स्टैंड लिया और उसे स्टैंड के ऊपर रख दिया था कि जैसे ही वह ऑफिस से आए और उनकी नजर सीधे गिटार पर पड़े और वह उसे बजाने लगे रिमोट उठाकर टीवी देखना बहुत आसान था इसलिए उन्होंने अपने रिमोट की बैट्री निकाली और बैट्री को कहीं बहुत दूर अलग और रिमोट को अलग रख दिया था कि उन्हें उसे ढूंढने में ही 20 सेकंड से ज्यादा का समय लग जाये जिससे कि वह टीवी ही ना देख सके और गिटार को ऐसी जगह रख दिया था कि जैसे ही वह ऑफिस से आए और उन्हें सामने गिटार दिखे और वह हाथ में गिटार लेकर बजाने लगे उन्होंने इस रूल का उपयोग किया और उन्हें बहुत अच्छे रिजल्ट देखने को मिलने लगे और उन्होंने गिटार बजाना सीख लिया।


हमारे दिमाग को एनर्जी बचाने का बहुत शौक है हमारा दिमाग हमेशा चाहता है कि हमारे दिमाग और शरीर की एनर्जी बहुत कम से कम खर्च हो। जबकि जिस काम में बहुत ज्यादा एनर्जी लगती है, जिस काम में बहुत ज्यादा सोचना पड़ता है, और जिस काम में अवरोध ज्यादा होता है उसी काम से हमारा दिमाग हमेशा बचता है जबकि जिस काम में अवरोध बहुत कम होता है जैसे रिमोट उठाकर टीवी देखना यह बहुत आसान था और ऐसे काम में डोपामिन भी बहुत ज्यादा निकलता है और यही कम अवरोध वाला काम दिमाग को बहुत अच्छा लगता है। 


इसीलिए दिमाग उसकी तरफ ही जाता है लेकिन जब हम इसका उल्टा कर देते हैं जैसे जो काम हमारे लिए अच्छा नहीं है for example टीवी देखना अगर हम उसका अविरोध बढ़ा देते हैं यानी टीवी देखने का अविरोध हम 20 सेकंड से बढ़ा देते हैं या 40 सेकंड भी कर देते हैं तो उससे बहुत कम चांसेस होते हैं कि आप उस काम को करोगे।


और जिस काम को आपको करना जो काम बहुत ज्यादा जरूरी है उसका अवरोध आप 20 सेकेंड से भी कम कर दो उसको 10 सेकंड तक कर दो तो उसके चांस ज्यादा है कि वह काम आप कर लोगे।


470 B.C में सुकरात ने बोला था की ऐसी कोई भी मुसीबत या समस्या नहीं है जो आपके साथ पहले ना हुई हों और वो पहले किसी और के साथ नहीं हुई हो और उसका हल पहले ना ढूंडा ना गया हो।


आपके जीवन में कोई भी नई मुसीबत नहीं है सारी मुसीबत, समस्या या कोई घटना पहले भी घट चुकी है आप किसी दिन किसी बात पर बहुत गुस्सा करते हो लेकिन उसी बात को जब आप कई महीनों बाद सोच कर याद करते हो तो हंसते हो कि कैसे मैं छोटी सी बात पर गुस्सा हो गया था। 


आज जिस बात से आप बहुत ज्यादा परेशान हो कल उसके कोई मायने नहीं रहेंगे। भविष्य के बारे में सोचो अभी बहुत कुछ आना बाकी है आपको हर परेशानी को एक-एक करके सुलझाने की जरूरत है। चार्ली चैपलिन ने भी कहा था कि इस मक्कार दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है आपकी परेशानियां भी नहीं।


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