मुश्किल समय में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करें | How To Face Tough Time In Life In Hindi

जीवन में हर किसी व्यक्ति को मुश्किल हालातों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यही मुश्किल घड़ी में कोई व्यक्ति बिखर जाता है तो कोई निखर जाता है यह समय हमेशा बुरा नहीं होता क्योंकि यही मुश्किल समय हमारी प्रतिभा को भी निखारता है कई सफल लोगों ने अपने मुश्किल हालातों में को भी अवसरों में बदल लिया तो पढ़तें हैं आखिर हम भी कठिन समय से कैसे लड़ कर जीत सकते हैं।


मुश्किल समय में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करें | How To Face Tough Time In Life In Hindi


मन से डर निकाल दें, तो जिंदगी खूबसूरत हो जाएगी


चार्ली चैप्लिन जो की अमेरिका के सिनेमा जगत के सबसे प्रसिद्ध ओर मशहूर अभिनेता थे उन्होंने अपनी एक्टिंग से पूरी दुनिया में नाम कमाया था। वह अपनी लिखी एक बुक में कहते हैं कि जीवन के शुरुआती दौर में मेरी दुनिया मैं सिर्फ दो लोग ही थे। एक थीं मां और दूसरे बड़े भाई। हमारा समय बुरा चल रहा था, क्योंकि हम गिरिजाघरों की कृपा पर पल रहे थे। शो की टिकटों की बदौलत जैसे-तैसे जिंदगी काटने को मजबूर थे। सिडनी स्कूल के दौरान समय निकालकर मैं अखबार बेचता था और बेशक इससे हमारी जरूरतें पूरी नहीं होती थीं। जीवन में जिस सबसे बुरी चीज की कल्पना मैं कर सकता हूं, वो एशो-ओ-आराम की लत है।


मां हाना ने सिखाया कि पैसे नहीं होने पर कैसे मनोरंजन किया जा सकता है। मां खिड़की पर बैठ जातीं और सड़कों पर गुजरने वाले लोगों को देखतीं और इसके आधार पर उनके चरित्र, रंग-रूप और आचरण का अनुमान लगातीं। उन पर कहानियां सुनातीं, कभी- कभी उनकी नकल करके भी दिखातीं मैंने अपनी मां की इस कुशलता को आत्मसात कर लिया था। मेरी मां की यही प्रतिभा और उनकी सुनाई कहानियां थीं, जिनके कारण मैं दुनिया को आगे हंसा पाया । मेरा मानना है कि जिंदगी खूबसूरत हो सकती है, अगर आप इससे डरें नहीं । जरूरत है तो सिर्फ साहस और कल्पना की और बहुत थोड़े से पैसों की।


मुश्किल समय में ही हमारी प्रतिभा निकलकर बाहरी आती बशर्तें हम इससे डरें नहीं और इस समय का सामना साहस के साथ करें चार्ली चैप्लिन कहते हैं कि अगर आप नीचे देखेंगे तो कभी भी इंद्रधनुष नहीं देख पाएंगे। इस मक्कार दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है, यहां तक की हमारी परेशानियां भी नहीं ।



मार्कस ऑरिलियस जो कि ग्रीस के महान राजा और महान फिलॉस्फर थे वह मुश्किलों के पार जाने के 3 सिद्धांत देते हैं।


पहला सिद्धान्त है,


मुश्किल का दूसरा नाम है मौका,


यानी कि हर परिस्थिति में एडवांटेज छुपा होता है चाइनीज भाषा में संकट को कहते हैं wai jii, wai का मतलब है खतरा और jii का मतलब है मौका यानी मुश्किल में खतरा और मौका दोनों छिपे होते हैं मार्कस ऑरिलियस कहते हैं कि जो इंसान अपनी समझदारी का इस्तेमाल करके मुश्किल को एडवांटेज में बदलता है वह प्रकृति की तरह अविचलित आगे बढ़ते जाता है।


जब अर्नाल्ड श्वार्जनेगर ने बॉडीबिल्डिंग शुरू की तो उनके पास ना तो मशीनें थी और ना कोई सिखाने वाला था बेसमेंट में कुछ डंबल्स और प्लेट्स रखी हुई थी अर्नाल्ड ने इस मुश्किल को मौके में बदला और जितना भी मटेरियल उन्हें बॉडी बिल्डिंग के बारे में books में मिला उन्होंने सब पढ़ डाला ऐसा करते करते उन्हें शरीर के बारे में काफी जानकारी मिली उन्होंने अपने दोस्तों के साथ ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया और अर्नाल्ड प्रेस जैसी कुछ नई एक्सरसाइज का आविष्कार किया।


दूसरा सिद्धांत है


जहां पर भी हो वहीं से शुरुआत करो,


मर्कोस ऑरिलियस कहते हैं कि इस समय जहां आप हो वहीं से शुरुआत करो perfection का इंतजार मत करो छोटे से छोटे कदम लो जो आप को आगे बढ़ाते हैं। जब पहला आईफोन लॉन्च हुआ तब उसमें कॉपी एंड पेस्ट जैसे कुछ बेसिक फीचर्स नहीं थे अगर स्टीव जॉब्स अपनी प्रोग्रामिंग टीम का इंतजार करते तो निश्चित तारीख से लेट हो जाते हैं और आने वाले वर्जन भी Delay हो जाते इसीलिए उन्होंने रिस्क लेकर पहला आईफोन लॉन्च किया।


अधिकतर लोग शिकायत करते हैं कि सिचुएशन हमारे हिसाब से नहीं हैं मार्कस ऑरिलियस कह रहे हैं कि “कैसे होगा कि” चिंता मत करो अभी जो भी छोटे से छोटा कदम दिखता है वह कर जाओ।


तीसरा सिद्धांत है,


अपने काम पर ध्यान,


मार्कस ऑरिलियस कहते हैं “जो काम जिस लायक है उस पर उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए” ऐसा करने से आपके पास समय और शक्ति रहती है आपको लगता है कि सब कंट्रोल में है जिस कारण आप Frustrated नहीं होते ना थकते ना रुकते आपके पास हमेशा प्रॉब्लम सॉल्व करने की एनर्जी होती है ।


सेम एक गरीब किसान के बेटे थे जो अच्छे जीवन की तलाश में 11 साल की उम्र में रसिया से अमेरिका आए कारपेंटर से लेकर घोड़े बेचने तक सेम ने बचपन में बहुत काम किए। फिर 1870 के आसपास अमेरिका में पहली बार केला आया और लोकप्रिय हुआ क्योंकि केला खाने में आसान, स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है लेकिन यह फल शुरुआत में बहुत महंगा था क्योंकि दूसरे देशों से आता था और 25% केला रास्ते में ही खराब हो जाता था क्योंकि केला बहुत जल्दी पकता है और अपने साथ आसपास रखे फलों को भी खराब कर देता है।


एक बार सेम ने देखा कि port पर ढेरों केले फेंक दिए गए हैं क्योंकि यह कुछ ही दिन में खराब हो जाएंगे। सेम को लगा कि मैं खुद ही अकेले इन केलों को 1 दिन के अंदर लोकल मार्केट में बेच सकता हूं फिर 16 साल की उम्र में उन्होंने ₹10000 लगाकर केले बेचने का धंधा शुरू किया यह धंधा उनके लिए इतना मुनाफेदार साबित हुआ कि 5 साल में उन्होंने 50 लाख का प्रॉफिट कमा लिया और एक छोटी सी कंपनी की स्थापना कर ली।


जब सेम ने 5000 एकड़ की जमीन खरीदी तो वह होंडुरास के जंगल में रहने लगे तो और किसानों के साथ खेती मजदूरी करने लगे क्योंकि वह अकेले ही खेती की हर डिटेल को अच्छी तरह समझना चाहते थे। वहीं उनके Competitor यूनाइटेड फ्रूट के मैनेजर एसी रूम में बैठकर प्लानिंग कर रहे थे।


सेम का मानना था कि जो भी आप करने जा रहे हो उसे अपने हाथों से करके देखो छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दो इसी सोच के चलते सेम ने अपने से 100 गुना बड़ी कंपनी यूनाइटेड फ्रूट को खरीद लिया।


दोस्तों प्रॉब्लम किताबी ज्ञान से solve नहीं होती और ना ही पैसों की ताकत से solve होती है जब आपके दिमाग में यह स्पष्ट होता है कि हम प्रॉब्लम मैं सॉल्व कर के ही रहूंगा कोई ना कोई रास्ता ढूंढ कर ही रहूंगा तब जाकर प्रॉब्लम सॉल्व होती है।


मार्टिन लूथर किंग ने कहा था, अगर तुम उड़ नहीं सकते हो तो दौड़ो, अगर दौड़ नहीं सकते हो तो चलो, अगर तुम चल नहीं सकते हो तो रेंगो पर निरंतर आगे बढ़ते रहो। अपनी सोच और दिशा बदलो सफलता तुम्हारा स्वागत करेगी। रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हों, तो भी एक अच्छा जूता पहन कर चला जा सकता है। किंतु एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ घुस जाए तो एक अच्छी सड़क पर भी कुछ क़दम चलना मुश्किल है यानी हम बाहर की चुनौतियों से नहीं अपने भीतर की कमजोरियों से हारते हैं।


हां लक्ष्य के रास्ते में कई सारी मुश्किलें हैं लेकिन अगर मैं इनको पार कर गया तो क्या होगा?  जो इंसान मुश्किलों के बावजूद अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा उसमें कितनी दृढ़ इच्छाशक्ति होगी? उसका अपने मन पर उसका कितना कंट्रोल होगा ऐसा इंसान क्या नहीं कर सकता।


जब तक आप एड़ी चोटी का जोर ना लगा दो तब तक आप को पता नहीं चलेगा कि आप किस काबिल हो।


जब भी आपको कोई परेशानी हो या लगे कि आप कितने नाकाबिल हो तो जरा खुद से पूछिए;


अगर मैं इस डर को हमेशा के लिए पार कर गया तो क्या होगा।


अगर मैं सच में अपने काम के लिए हमेशा Consistent रहना सीख गया तो क्या होगा।


अगर मैं हर दिन 100 परसेंट देने लगा तो क्या होगा।


अगर मैं दूसरों की बात पर यकीन करना बंद कर दूं तो क्या होगा।


अगर मैं सच में खुद को अपने लक्ष्य के लिए समर्पित कर दूं तो क्या होगा।


यह सभी सवाल आपको अपने Self Doubt को पार करके अपने लक्ष्य की तरफ देखने की ताकत देते हैं आपको याद दिलाते है कि आप चाहो तो क्या नहीं कर सकते।


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