क्या करें जब काम में मन ना लगे | What to do when work doesn’t feel like it hindi

Sharran srivatsaa कहते हैं कि मैं बहुत सफल हूं कई लोग मुझ से प्रेरणा लेते हैं लेकिन मुझे आज भी सुबह हर दिन सुबह बिस्तर छोड़ने में दिक्कत होती है मन करता है छुट्टी कर लूं।


Sharran srivatsaa सफल Entrepreneurs है जिन्होंने पिछले 20 सालों में 5 बड़े स्टार्टअप शुरू करके बेच दिए Sharran हर दिन सुबह 5:00 बजे उठकर 5 से 6 मिनट की एंटरप्रेन्योर्स के लिए कॉन्फ्रेंस कॉल रखते हैं वह कहते हैं कि सालों बाद मुझे आज भी सुबह उठने का मन नहीं करता मैंने जानबूझकर सुबह 5:00 बजे वाला कॉल रखा।


दोस्तों दूर से देखने पर लगता है कि सफल लोग एक के बाद एक सही काम करते जा रहे हैं समय पर उठते हैं, सही बात सोचते हैं, सही काम करते हैं इन लोगों के लिए डिसिप्लिन कितना आसान है लेकिन सच बात तो यह है कि शुरुआत में सभी को कठिनाई होती है।


आप सोचते हो आपका सुबह उठकर काम करने का मन नहीं करता असल में किसी का भी नहीं करता जब कभी आप आलस महसूस करो तो कभी अपने आप पर डाउट मत करना कि मैं आलसी हूं, लेकिन आप इस आलस और Distraction से लड़ने के लिए आजाद हो आपको आलस और Distraction से हर बार लड़ना होगा जितनी बार आप इसे हारोओगे उतनी बार खुद को मजबूत पाओगे और अपने अनुभव से कुछ सीखोगे।


लेकिन जब काम करने का मन नहीं करता तब क्या करना चाहिए?


कोई भी प्रोफेशनल प्लेयर हो लेखक हो या कलाकार हो यह सब अपने mood की जिम्मेदारी लेकर चलते हैं अच्छा लगे या बुरा वह हर दिन मैदान में, लैब में ट्रेनिंग करने जाते हैं आपका काम है बस तैयार होकर पहुंच जाना।


लेखक एवी बाइट अपने समय के एक जाने-माने लेखक थे वह एक इंटरव्यू में कहते हैं कि मेरा भरा पूरा परिवार है हम संयुक्त परिवार में रहते हैं जिस कारण हर समय घर में उत्पात मचा रहता है शोर में कभी लिखने का मन नहीं होता नए आइडियाज भी नहीं आते। अगर मैं इंस्पिरेशन का वेट करता तो शायद एक पेज भी नहीं लिख पाता इसीलिए मैंने एक रेस्टोरेंट में टेबल बुक करके रखी है। सुबह-सुबह रेस्टोरेंट में कोई आता भी नहीं तो टेबल भी सस्ती मिली मैं बस सुबह-सुबह इसी तरह तैयार होकर टेबल पर पहुंच जाता हूँ और 2:00 बजे तक लगातार लिखता रहता उस रेस्टोरेंट का मालिक भी मेरा दोस्त बन गया है वह चाय कॉफी नाश्ता भिजवाता रहता है।


दोस्तों अगर आप अपने शहर कॉलेज में ऐसी लाइब्रेरी ढूंढ सके जहां आप सुबह उठते ही पहुंच जाएं और जहां आप अपना 60% टारगेट पूरा करके लौटे तो आप बहुत स्पीड से अपना टारगेट पूरा कर लेंगे।


सूजन ब्लैकमोर अपनी किताब में कहती हैं कि हम सब में यह भ्रांति हैं कि हमारे विचारों के उद्गम पर हमारा पूरा कंट्रोल है मतलब यह है कि अगर हमें आलस के विचार आ रहे हैं तो हम आलसी हैं। लेकिन सच तो यह है कि आप किन लोगों के साथ है, आपकी परिस्थिति कैसी है, आपका पिछला अनुभव कैसा है, आपकी मानसिक और शारीरिक स्थिति क्या है, इन सब के साथ कुछ अन्य बातों पर भी यह निर्भर करता है कि कि आप को कैसे विचार आएंगे? 


कौन से विचार आएंगे यह आपके कंट्रोल में नहीं है लेकिन कौन से विचार आपके अंदर रहेंगे यह आपके हाथ में है आध्यात्मिक किताबों और उपनिषदों में आपके पास जो ताकत है बताई गई है वह दो प्रकार की हैं


पहला है वैराग्य – वैराग्य मतलब कोई भी विचार आपका नहीं है कोई विचार आपको छू नहीं सकता आप अवेयरनेस और चेतना के अनंत आकाश हो और विचार बादल है यह अपने आप प्रकट होते हैं कुछ आते हैं कुछ रुकते हैं और चले जाते हैं।


दूसरा है विवेक – विवेक मतलब यह जानना कि हमारा मन रियलिटी इंजन नहीं है बल्कि सजेशन इंजन है मन एक के बाद एक सजेशन देता है जिस तरह हम हर सलाह पर ध्यान नहीं देते उसी तरह हमको हर विचार को सच मानने की जरूरत नहीं है यह केवल एक सजेशन है अगर आप कुछ सेकंड रुको तो दूसरा सजेशन भी आ रहा है।


आलस आने वाली सजेशन के पीछे सतर्क करने वाला और उसके पीछे कुछ कर दिखाने वाला सजेशन भी है आप जिस विचार पर ध्यान देते हो वह आपके ध्यान की शक्ति से सच लगने लगता है।


तो आप वैराग्य और विवेक विकसित कैसे करेंगे?


आप मेडिटेशन की मदद से यह दोनों हासिल कर सकते हैं किताब 10% हेप्पीयर के लेखक डेन हैरिस कहते हैं कि ध्यान करने के अभ्यास से आपको दो विचारों के बीच में गैप दिखने लगेगा तब आप अपनी मर्जी से विचारों को चुन रिजेक्ट कर सकेंगे विचारों से दूरी महसूस करने लगेंगे।


बिना किसी जुनून के अपने काम में लगे रहना कमरतोड़ मजदूरी है लेकिन इसका होना कोई जरूरी नहीं है लेकिन हमें एक बात समझनी चाहिए कि हमें कोई चीज बोरिंग तभी लगती है जब हम उस पर ध्यान नहीं लगा पाते।


न्यूरोसाइंटिस्ट कहते हैं कि हमारा मन लगातार कुछ न कुछ ध्यान देने के लिए ढूंढ रहा है जब उसे अटेंशन बनाने के लिए कोई इंटरेस्टिंग चीज नहीं दिखती तो वह कोई दूसरी जगह ढूंढता है और हम समझते हैं कि यह distraction है हम अपने अनुभव से सीखते हैं कि हमें किसी सब्जेक्ट या काम में ध्यान नहीं लगाना हमें उसकी प्रोसेस में ध्यान लगाना है।


आपको इनऑर्गेनिक केमिस्ट्री से प्यार करने की कोई जरूरत नहीं आपको सही नोट्स बनाने सही फैक्ट्ज याद रखने और रिवीजन करने की प्रोसेस से प्यार करना है अगर आपको प्रोसेस से प्यार है तो आप कोई भी काम आप बिना बोरियत के पूरा कर जाओगे।