आदि गुरु शंकराचार्य के अनमोल विचार | Adi Shankaracharya Quotes In Hindi
आदि शंकराचार्य का जन्म आज से लगभग ढाई हजार साल पहले हुआ था। यह महान दार्शनिक तथा धर्म प्रवर्तक थे। आदि शंकराचार्य को साक्षात भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। इन्होंने बताया कि ईश्वर क्या है? ईश्वर का जीवन में महत्व क्या है? इन्होंने भारतवर्ष में चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी। इसी के साथ इन्होंने कई शास्त्र ओर उपनिषद भी लिखें तो आज हम जानेंगे आदि शंकराचार्य के अनमोल विचार।
आदि गुरु शंकराचार्य जयंती के अनमोल विचार | Adi Shankaracharya Quotes In Hindi
आदि गुरु शंकराचार्य जयंती के अनमोल विचार | Adi Shankaracharya jayanti Quotes In Hindi
●•● सत्य की परिभाषा क्या है? सत्य की इतनी ही परिभाषा है कि जो सदा था, जो सदा है और जो सदा रहेगा।
– आदि शंकराचार्य
●•● आनंद उन्हें मिलता है जो आनंद कि तालाश नही कर रहे होते है।
– आदि शंकराचार्य
●•● जब मन में सच जानने की जिज्ञासा पैदा हो जाए
तो दुनिया की चीज़े अर्थहीन लगती हैं।
– आदि शंकराचार्य
●•● आत्मसंयम क्या है? आंखो को दुनिया की चीज़ों कि ओर आकर्षित न होने देना और बाहरी ताकतों को खुद से दूर रखना।
– आदि शंकराचार्य
●•● विशेष रूप से शुद्ध किया गया मन ही सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ हैं, इसके अलावा कहीं कोई तीर्थ करने की जरुरत नहीं।
– आदि शंकराचार्य
●•● अज्ञान के कारण आत्मा सीमित लगती है, लेकिन जब अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है, तब आत्मा के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान हो जाता है। जैसे बादलों के हट जाने पर सूर्य दिखाई देने लगता है।
– आदि शंकराचार्य
●•● सत्य की कोई भाषा नहीं है। भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है। लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं, आविष्कार है। सत्य को बनाना या प्रमाणित नहीं करना पड़ता, सिर्फ़ उघाड़ना पड़ता है।
– आदि शंकराचार्य
●•● एक सच यह भी है की लोग आपको उसी वक़्त तक याद करते है जब तक सांसें चलती हैं। सांसों के रुकते ही सबसे क़रीबी रिश्तेदार, दोस्त, यहां तक की पत्नी भी दूर चली जाती है।
– आदि शंकराचार्य
●•● हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि आत्मा एक राजा के समान है जो शरीर, इन्द्रियों, मन, बुद्धि से बिल्कुल अलग है। आत्मा इन सबका साक्षी स्वरुप है।
– आदि शंकराचार्य
●•● मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने कि तरह हैं, यह तब तक ही सच लगता है जब तक आप अज्ञान की नींद में सो रहे होते है। जब नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है।
– आदि शंकराचार्य
●•● धर्म की किताबे पढ़ने का उस वक़्त तक कोई मतलब नहीं, जब तक आप सच का पता न लगा पाए। उसी तरह से अगर आप सच जानते है तो धर्मग्रंथ पढ़ने कि कोइ जरूरत नहीं हैं। सत्य की राह पर चले।
– आदि शंकराचार्य
●•● जिस तरह एक प्रज्वलित दीपक के चमकने के लिए दूसरे दीपक की ज़रुरत नहीं होती है। उसी तरह आत्मा जो खुद ज्ञान स्वरूप है उसे और क़िसी ज्ञान कि आवश्यकता नही होती है, अपने खुद के ज्ञान के लिए।
– आदि शंकराचार्य
●•● असली अर्थ में भगवान के मंदिर में वही पहुंचता है। जो धन्यवाद देने जाता हैं, मांगने नहीं।
– आदि शंकराचार्य