Limitless Book Summary In Hindi – Jim Kwik

Limitless Book Summary In Hindi

लेखक jim kwik जब क्लास केजी में थे तब उनके साथ एक खतरनाक दुर्घटना घटी थी वह क्लास में अपनी बेंच से गिर गए थे। जिससे उनके सर पर बहुत गहरी चोट आई उनका दिमाग डैमेज हो चुका था। जिस वजह से उन्हें अपनी स्कूल लाइफ में बहुत स्ट्रगल करना पड़ा वह कुछ भी याद नहीं रख पाते थे। अच्छे से फोकस नहीं कर पाते थे और उनके एक टीचर उन्हें The boy with the broken Brain कहकर बुलाते थे। 


Jim ने यह मान लिया था कि उनका ब्रेन डैमेज है। वह बाकी बच्चों की तरह नेचुरल Read नहीं कर सकते वह बहुत ही slow है लेकिन उनका मानना था कि वह अपनी Mental ability को स्ट्रांग करके क्लास के बाकी बच्चों के लेवल तक जा सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने ब्रेन को train करना होगा उन्हें अपनी लर्निंग स्किल्स बढ़ानी होगी क्योंकि वह पहले से ही बहुत पीछे हैं इसके बाद उन्होंने बुक्स read करना शुरू कर दिया और नई नई टेक्निक्स अप्लाई करके जिम ने बुक रीडिंग से अपने दिमाग की true potential को अनब्लॉक किया। 16 साल की उम्र तक वह ठीक से पढ़ तक नहीं पाते थे और आखिरी 30 साल से वह हर हफ्ते एक बुक पढ़ कर खत्म कर देते हैं आज हम जिम क्विक की बुक लिमिटलेस से कुछ ऐसे lessons जानेंगे जिससे आप भी अपने लर्निंग एबिलिटी को बढ़ा पाओगे और पहले से तेज किसी चीज को सीख पाओगे।


1.) 4-3-2-1 मेथड


अगर आप यह सोचते हो कि आप किसी चीज को अच्छे से नहीं सीख सकते तो आप अपने आप को इंप्रूव करने के चांसेस को भी खत्म कर रहे हो। अपने आपको लिमिटलेस बनाने के लिए हमें ऐसे सोचना होगा जैसे हम जो भी चाहे वह प्राप्त कर सकते हैं। इस विधि से हम अपनी मेंटल एबिलिटी को इनक्रीस कर सकते हैं। 


आपको एक बुक उठाकर 4 मिनट तक अपनी नेचुरल स्पीड से पढ़ना है और 4 मिनट बाद आपने जहां तक पढ़ लिया है वहां तक मार्क लगा दीजिए अब आप 3 मिनट तक के लिए अपने टाइमर सेट कर लो और फिर से पढ़ना स्टार्ट करो आपको इन 3 मिनट में उस मार्क तक पढ़ना होगा जहां पर आपने मार्क लगाया था। अब यही टास्क को 2 मिनट के लिए करो और आखरी में 1 मिनट के लिए इस टास्क को करो अब इस एक्सरसाइज के बाद फिर 4 मिनट का टाइमर सेट करो और कंफर्टेबल ही पढ़ना शुरू करो विदाउट एनी लिमिट अब आप नोटिस करोगे कि आप 4 मिनट में पहले से कहीं ज्यादा पढ़ने लग गए हो। सिंपल आपका यह मानने से की आप फास्ट रीड कर सकते हो आपके दिमाग ने इस बात को एक्सेप्ट किया और आपको फास्ट रीडर बना दिया।


2.) पढ़ने की तीन बुरी आदतें


अगर आपने अपने स्कूल टाइम से अपनी हैबिट में कोई चेंज नहीं किये हैं तो आपको इन तीन बातों का ध्यान रखना है जो आपको फास्टर रीडर बनाने से रोक रही है 

1.) regression – read करते समय हमारा ब्रेन कुछ word को ऑटोमेटेकली बार-बार पढ़ने लगता है जिस वजह से हमारी रीडिंग स्पीड स्लो हो जाती है इस आदत को छोड़ने के लिए लेखक कहते हैं आपको pacer का उपयोग करना चाहिए। रीडिंग करते समय अपनी उंगलियों से लाइन बाय लाइन पढ़ने से आप शब्दों को बार-बार रिपीट नहीं करते और आगे बढ़ जाते हो।


2.) subvocalising – बचपन में हम बोल बोलकर रीड करते थे और बड़े होने पर भी हमारी यही आदत रह जाती है और हम word को spell करके रीड करते हैं। इससे हमारी रीडिंग स्पीड हमारे स्पीकिंग की स्पीड पर डिपेंड हो जाती है जबकि हम अपने माइंड से बिना बोले 200 से 250 वर्ड प्रति मिनट पढ़ सकते हैं अब क्योंकि आप 99% वर्ड को जानते हो इसलिए आपको बार-बार उन्हें spell करने की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए जब आप बिना बोले सिर्फ अपने दिमाग से रीडिंग करते हो जिससे आपका दिमाग शब्दों को बहुत जल्दी से समझ लेता है जिससे आप की रीडिंग स्पीड बढ़ जाती है।


3.) एक के बाद एक शब्द पढ़ना


अब कुछ लोग अपने आप दिमाग में भी रीड करते हुए वर्ड बाय वर्ड रीड करते हैं क्योंकि जब हम रीडिंग स्टार्ट करते हैं तो हम अपनी आंखों को ट्रेन करते हैं। एक बार में हम एक वर्ड पर ही फोकस करते हैं इसके बाद जब आप कई सारे वर्ड समझने लगते हो तो आप देखते ही एक साथ कई words को समझने लगते हो अब आपको एक-एक words पर फोकस करने की जरूरत नहीं पड़ती। जैसे इस सेंटेंस में the boy who walked home आपको एक एक वर्ड को पढ़ने की जरूरत नहीं है आप एक साथ इन 4 वर्ड को सिर्फ देख कर ही समझ सकते हो जो आपको बहुत तेजी से वाक्य को समझने में मदद करेगा और आप एक फास्ट रीडर बन जाओगे।


3.) अपना फोकस बढ़ाएं


लेखक फोकस को define करके कहते हैं फोकस हमारी मेंटल एबिलिटी होती है जहां हमारा कॉन्शियस दिमाग बिना किसी distraction के फोकस होकर अपना attention देता है। पूरी तरह से फोकस रहने के लिए हमारे शरीर और मन को शांत होना बहुत जरूरी है इसीलिए आपकी फिजिकल हेल्थ आपकी मेंटल एबिलिटी को भी effect करती है इसीलिए आप को साथ में मेंटली हेल्दी भी होना चाहिए। अपने फोकस को इंप्रूव करने के लिए आपको अपने इन्वायरमेंट को जितना शांत हो सके उतना शांत बनाना चाहिए। कोई भी distraction ना हो आप अपने मोबाइल को साइलेंट कर दो, सभी distraction से दूर रहो लेखक कहते अगर आपको एक जगह फोकस करने में दिक्कत होती है और आप बार-बार distract होते हो तो आपको distraction को यूज़ करके अपने फोकस को regain करना चाहिए जिसे लेखक 4-7-8 ब्रीदिंग टेक्निक कहते हैं।


जब भी आप अपने काम से distract होने लगे तो अपने मुंह से गहरी सांस छोड़ो फिर अपने मुंह को बंद करके अपनी नाक से सांस लेते हुए सांस अंदर तक खींचते हुए 4 तक काउंट करो अब 7 सेकंड तक अपनी सांस को रोक कर रखो और 8 सेकंड तक धीरे-धीरे अपनी सांस को छोड़ो आपको जब भी लगे कि आप फोकस नहीं कर पा रहे हो तब यह एक्सरसाइज जरूर करो।


4.) असीमित प्रेरणा


लेखक मोटिवेशन को डिफाइन करते हुए कहते हैं कि मोटिवेशन एक एनर्जी होती है जो काम को करने के लिए जरूरी होती है जैसे अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए आपको एनर्जी चाहिए वैसे ही सुबह स्कूल कॉलेज या फिर किसी बोरिंग काम को करने के लिए एनर्जी चाहिए जिसे हम मोटिवेशन कहते हैं। अब कुछ काम करने के लिए हमें ज्यादा मोटिवेशनल एनर्जी की जरूरी नहीं होती जैसे टीवी देखना, गेम खेलना, मोबाइल चलाना इन कामों को करने के लिए हमें कोई मोटिवेशन एनर्जी की जरूरत नहीं होती। वही हमें पढ़ाई करनी हो या खुद को इंप्रूव करने के लिए काम करना है या फिर आपको डेली जिम जाना हो तो ऐसे कामों के लिए हमें बहुत ज्यादा मोटिवेशनल एनर्जी की जरूरत पड़ती है और लेखक कहते हैं कि हम इस एनर्जी को क्रिएट कर सकते हैं लेखक हमें मोटिवेशन का एक सिंपल फार्मूला देते हैं।


Motivation = purpose × energy × small steps


मोटिवेटेड रहने के लिए आपके पास एक मीनिंग फुल purpose रहना चाहिए जो आपकी लाइफ में वैल्यू ऐड करता हो और उस काम को करने के लिए आपको एनर्जी चाहिए जिससे कि आप उसे अच्छे से सीख सको जैसे आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हो तो यहा आपकी मोटिवेशनल एनर्जी को कुछ लेवल तक बढ़ा रहा है और आखरी में आपको मोटिवेशनल रहने के लिए छोटे स्टेप से लेना चाहिए छोटी-छोटी एक्शन लेने से आप अपने मोटिवेशन को और भी बढ़ाते रहते हो।


5.) प्रभावी तरीके से पढ़ना


दोस्तों इमेजिन करिए आपको अपने स्कूल में इंग्लिश की स्टोरी बुक को रीड करने के लिए फोर्स किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ आपका कोई मेंटर या कोई सक्सेसफुल पर्सन आपको कोई बुक दे रहा है और कह रहा है कि इस बुक में वह सारे सीक्रेट है जो आपको अपनी लाइफ में सक्सेस हासिल करने के लिए मदद करेंगे तो आप कौन सी बुक ज्यादा अच्छे से समझ कर और इफेक्टिवली पढ़ पाओगे। इसमें कोई शक नहीं है आप अपने मेंटर की बुक को ही पढ़ना पसंद करोगे क्योंकि आप उस बुक को पढ़ने के लिए एक्साइटिड होगे बुक को पढ़ने के लिए आप उत्साहित रहोगे तो आप ज्यादा अच्छे से उस बुक की बातें सीख पाओगे।


लेखक कहते हैं लर्निंग State dependent होती है हम अपने स्कूल एजुकेशन में अपने इंटरेस्टेड नहीं होते क्योंकि स्कूल बुक बहुत बोरिंग होती है हम उतनी उत्सुकता से नहीं सीखना चाहते हैं बल्कि हमें सीखने के लिए फोर्स किया जाता है। इसीलिए लेखक कहते हैं कि हमें कुछ भी करने से पहले अपनी उत्सुकता को बढ़ाना चाहिए इसके लिए आप अपने आप से 3 सवाल पूछ सकते हैं।


1.) इससे मेरी लाइफ में क्या पॉजिटिव बदलाव हो सकते हैं।

2. इस बुक को पढ़ने से मेरी नॉलेज कितनी बढ़ सकती है जिससे मुझे भविष्य में मदद मिल सके।

3.) क्या में सीखी हुई बातों को अपनी लाइफ में प्रेक्टिकली अप्लाई कर सकता हूं।



6.) असीमित दिमागी क्षमता


लेखक कहते हमारा माइंडसेट हमारी सेल्फ टॉक से बनता है हम खुद से अकेले में क्या बात है करते हैं उससे बनता है। जहां लोग खुद से यह कहते हैं कि उनकी लाइफ में सब कुछ खराब चल रहा है, वह खुद को कभी बदल नहीं सकते तो आप सच में खुद को कभी बदल नहीं पाएंगे क्योंकि आप जो भी कुछ खुद को बोलते हो आपका दिमाग वही सच मानकर उस पर एक्शन लेने लगता है। वहीं अगर आप इस तरह खुद से कहो कि आप खुद को बदल कर और भी ज्यादा मेहनत कर सकते हो, तो आपका दिमाग इस बात को सच मानकर आपकी लाइफ को बेहतर बनाने के लिए एक्शन लेने लगेगा अपने दिमाग को लिमिटलेस बनाने के लिए लेखक कहते हैं कि आपको तीन काम करना चाहिए।


1.) आप अपनी बातों से aware रहो देखो कि आप खुद से क्या बात करते हो, आप किन बातों पर बिलीव करते हो जैसे आप खुद से कह रहे हो यह काम मैं नहीं कर सकता मैं बहुत कमजोर हूं आदि तो इन बातों को आप नोटिस करो।


2.) अपने बिलीव को fact के साथ चेलेंज करो, पता लगाओ कि आप जो सोच रहे हो उसमें कितना सच है।

जिस काम को आप कह रहे हो कि आप नहीं कर सकते क्या सच में आप इस काम के लिए कैपेबल नहीं हो या यह सिर्फ आपका एक गलत बिलीफ़ है।


3.) नेगेटिव बिलीफ़ को पॉजिटिव पोज़िटिव बिलीफ से चेंज कर दो। जहां खुद से यह कहने के बजाय की मैं यह नहीं कर सकता खुद से कहें कि मैं यह कर सकता हूँ।