अपने दिमाग को सफलता के लिए प्रेरित करें | trick your brain for success hindi

अपने दिमाग को सफलता के लिए प्रेरित करें | trick your brain for success hindi


आज से 120 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में कई लेक्चर दिए उनमें से एक लेक्चर में स्वामी विवेकानंद से पूछा गया की Eastern और western civilization में मुख्य अंतर क्या है स्वामी जी ने कहा कि वेस्टर्न सोच में सफलता का मतलब है to have more, to have bigger, to have better बड़ा, ज्यादा और बेहतर सामान इकट्ठा करना या बेहतर बनाना।


Eastern विचार में सफलता का मतलब है सच को जानना, यानी खुद को जानना। क्योंकि आप ही सारे आनंद का एकमात्र स्त्रोत हो और इसी आनंद में, खुशी में सारी सफलताएं छिपी है। वेस्टर्न विचार है कि सफलता के बाद खुशी मिलती है और ईस्टर्न विचार है कि खुशी के बाद सफलता मिलती है। अब धीरे-धीरे न्यूरोसाइंस और साइकोलॉजिस्ट भी इस तथ्य को मानने लगे हैं कि सफलता से खुशी नहीं आती बल्कि खुशी से सफलता आती है। जब आप बहुत आनंदित होते हो तो आप अपने दिमाग और शरीर का बहुत अच्छा उपयोग करते हो आप में इतनी एलर्जी होती है कि नेगेटिव इमोशंस चिंता आपको परेशान नहीं कर पाते। आप बड़ी आसानी से अपना दिमाग एक जगह लगा सकते हो और सारी प्रॉब्लम्स और चैलेंजस का अच्छी तरह से सामना कर सकते हो।


ऐसी ही एक रिसर्च की Shawn Anchor नें और एक किताब लिखी हैप्पीनेस एडवांटेज इसमें उन्होंने उन लोगों को स्टडी करना शुरू किया जो लहरों के विरुद्ध होकर सफल हो रहे थे। जैसे वह सेल्स पर्सन जो उस समय सबसे ज्यादा माल बेच रहे थे जब पूरी इंडस्ट्री डाउन थी या ऐसे स्टूडेंट जो शिकागो स्लम के गरीबी, अशिक्षा, ड्रग्स या अपराध से ग्रसित माहौल में रहकर भी लगातार बहुत अच्छे ग्रेड्स और नंबर ला रहे थे यह लोग ऐसा क्या कर रहे थे?


Shawn achor ने कहा कि हमने रिसर्च में देखा कि अगर हम लोगों में आशावाद बढ़ा दे या उनका सोशल कनेक्शन गहरा कर दें या उनकी खुशी यानी हैप्पीनेस लेवल बढ़ा दें तो लोगों के सफल होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। तो अगर हम इन तीन पैरामीटर्स में से केवल दो चुने अगर हम केवल लोगों के आशावाद और हैप्पीनेस यानी खुशी का लेवल बढ़ा दे तो भी लोगों की सफलता के चांसेस बढ़ जाते हैं shawn एक और इंटरेस्टिंग बात कहते हैं, इसके उलट अगर लोगों की केवल सफलता बढ़ा दी जाए तो उनकी खुशी बहुत जल्दी से कम हो जाती है यानी हैप्पीनेस लेवल कम हो जाता है।


तो इस नॉलेज का हम कैसे उपयोग कर सकते हैं?


Shawn ने पाया कि अच्छी university में पढ़ रहे स्टूडेंट्स की फ्यूचर इनकम दो पैरामीटर्स पर निर्भर करती है पहला है स्टूडेंट स्ट्रेस और प्रॉब्लम को कैसे देखते हैं। दूसरा स्टूडेंट का आशावाद का लेवल क्या है। आशावाद का मतलब है कि क्या वह मानते हैं कि उनके आज के बर्ताव से उनके भविष्य पर असर पड़ता है। सबसे पहले इन दो पैरामीटर्स को समझते हैं।


जब एकदम से परिस्थितियां बदलती है तो outliers क्या करते हैं? यह लोग प्रॉब्लम्स को खतरा ना मानकर आगे बढ़ने के अवसर के रूप में देखते हैं जब आप stress को खतरा समझते हो तो stress लेने के कई सारे नुकसान हैं। आप चिड़चिड़े हो जाते हो, बड़ी पिक्चर नहीं देख पाते, जल्दबाजी में गलत डिसीजन लेते हो, लेकिन अगर आप यह समझो कि सचेत रहते हुए stress का फायदा भी उठाया जा सकता है जिसे जब आप तनाव मानते हो, वह आप का फोकस एक जगह लग सकता है, आप थोड़े एकाग्र हो जाते हो, आप अग्रेसिव और निडर हो जाते हो, आप चीजों को prioritize भी करने लगते हो जो शायद अभी तक आपने नहीं की थी। तो इसका अर्थ है कि stress का फायदा भी उठाया जा सकता है मतलब आप stress को जिस रोशनी में देखोगे यह आपके लिए वैसा ही काम करेगा।


Shawn कहते हैं कि यह नजरिया लोगों सिखाया जा सकता है। shawn कहते हैं कि हमने मैनेजर और स्टूडेंट्स को stress का असली रूप दिखाया कि stress एक फीलिंग है जो आपको बताती है कि कुछ जरूरी चीज है शायद आपके एग्जाम, आपका बिजनेस, आपका परिवार या आपका शरीर कुछ भी जहां कुछ गलत होने वाला है और इस समय आपको कुछ एक्शन लेने की जरूरत है। अगर आप सचेत होकर इस feeling को देखते हो तो या feeling स्थाई नहीं होती। आपको एक मैसेज दे कर फिर चली जाती है। 


Shown कहते हैं कि लीडर्स इस मैसेज का उपयोग करते हैं और जो भी छोटे-बड़े एक्शन उस समय लिए जा सकते हैं वह लेते हैं। इससे लीडर कंट्रोल महसूस करते हैं और जब आप कंट्रोल महसूस करते हो तब आपका मन शांत हो जाता है। लीडर्स इस फीलिंग के प्रति हमेशा सचेत रहते है जब दोबारा stress पैदा होता है तब वह मैसेज को समझते हैं और दोबारा एक्शन लेते हैं। यह एक्शन कितने भी छोटे हो सकते हैं लेकिन एक्शन लेने से उन्हें कंट्रोल महसूस होता है दिमाग शांत रहता है जिससे वह बेहतर तरीके से सोच पाते हैं।


अगली बात shown कहते हैं कि अगर आप कॉन्पिटिटिव एनवायरमेंट में काम करते हो तब आपको दोस्तों की सख्त जरूरत है। shawn 3 साल Harvard campus में रहकर स्टूडेंट पर रिसर्च की ओर देखा कि यहां टाइप ए पर्सनालिटी वाले स्टूडेंट हैं यानी माहौल बहुत कॉन्पिटिटिव है और साथ में कोर्स का वर्क लोड भी ज्यादा है ऐसे में कई स्टूडेंट दिन-रात लाइब्रेरी में निकाल देते हैं और लंच डिनर भी कमरे में पढ़ते हुए करते हैं क्या ऐसे स्टूडेंट अच्छा परफॉर्म करते हैं?


Shawn कहते हैं कि ज्यादा दिनों तक नहीं कई तो Harvard का प्रेशर नहीं झेल पाते और दूसरे कॉलेज चले जाते हैं ऐसी क्या बात है की दुनिया की बेहतरीन यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलने के बाद भी स्टूडेंट बीच टर्म में दूसरे कॉलेज जाते हैं।


Shawn कहते हैं कि जो लोग stress के दौरान सोशल इन्वेस्टमेंट करते हैं या करीबी लोगों के साथ समय बिताते हैं यह लोग तनाव में बेहतरीन तरह से परफॉर्म करते हैं। सोशल कनेक्शन खुशी का बहुत अच्छा indicator है आप किसी भी फील्ड में सफल लोगों को देखेंगे तो पाएंगे कि इनका दोस्ती का गहरा सर्कल होता है। यहां दोस्तों का मतलब पार्टी नहीं है दोस्तों का मतलब जहां आप अपना मन हल्का कर सकते हो अपनी चिंता बांट सकते हो हंसी मजाक कर सकते हो और बिना जजमेंट के लोगों की राय ले सकते हो तो सवाल यह है कि कॉन्पिटिटिव माहौल में आप अच्छे दोस्त कैसे बना सकते हो?


अपनी रिसर्च में एडम ग्रांट ने देखा कि जो लोग बिना किसी शर्त के दूसरों को सपोर्ट करते हैं और मदद करते हैं उनके सोशल कनेक्शन गहरे होते हैं लेकिन सवाल यह है कि अगर हम लोगों की मदद करने लगे तो हमारा कितना समय और एनर्जी इन सब चीजों में खराब हो जाएगी।


Shawn कहते हैं कि 5 मिनट सेवर का इस्तेमाल कीजिए। पूरी इमानदारी से यह सोचिए कि आज मैं किसी के काम आऊंगा और मुझे बदले में कुछ नहीं चाहिए। इस भावना के साथ हर दिन 5 मिनट किसी के लिए समय निकालिए आपको वह एनर्जी और इमोशंस महसूस होंगे जो शायद आप ने महीनों महसूस ना किए हो। 


Shawn कहते हैं कि लोगों को छोटी-छोटी जीत पर खुशी और फोकस महसूस करना सिखाया जा सकता है जो लोग छोटी-छोटी जीत पर फोकस करना सीख जाते हैं वह खुश रहने की आदत बना लेते हैं। असल में उनका दिमाग जीत के पैटर्न ढूंढना सीख लेता है लेकिन कैसे आपको goals पूरे होने का इंतजार नहीं करना है बल्कि उन मीनिंग फुल एक्शन या हरकतों को करना है जो आपका मेंटल स्टेट बदल सकते हैं। जैसे हर दिन एक थैंक यू मैसेज लिख कर अपने दोस्त या किसी करीबी को भेजो। लिखना जरूरी है, रिसर्च में पाया अगर आप मैसेज नहीं भी भेजते हो तो भी इस प्रैक्टिस का आपको पूरा लाभ मिलता है उसी तरह gratitude प्रैक्टिस भी काम करती है। shawn ने यह प्रैक्टिस फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और कई कंपनी में काम कर रहे लोगों के साथ करवाई और बेहतरीन रिजल्ट पाया। अब आप सोचो कि यह सारी बातें अच्छी है लेकिन करने में नहीं आ पाती क्योंकि हर दिन ओवरथिंकिंग में निकल जाता है या किसी ना किसी काम में बिजी हो जाते हैं।


Shawn कहते हैं कि यह बहाना हर बड़ी कंपनी में काम करने वाले मारते हैं कि हमारे पास तो इतना समय नहीं है। तो shawn कहते हैं कि आप बस पहले से इतनी तैयारी कर लो जिससे आपका काम करना केवल 20 सेकंड आसान हो जाए जैसे आपको हर दिन थैंक्यू मैसेज भेजना है तो आप पहले से ही टेंपलेट बना कर रख लो।


“हाय Friend name

मैं आज तुम्हें थैंक्यू बोलना चाहता हूं

क्योंकि तुम्हारे साथ आज बैडमिंटन खेल कर, ऑफिस में साथ काम करके, चाय पी कर बातें करके बहुत अच्छा लगता है तुम्हारी पॉजिटिव एनर्जी से काफी प्रेरणा मिलती है और तुम बड़े यूनीक आइडिया सोच सकते हो।

हर दिन अपने करीबियों को थैंक यू नोट भेजना मैंने shawn achor की किताब से अपनाया है इस आदत से मुझे और मेरे दोस्तों को हर दिन खुश होने का मौका मिलता है”।


आपको बस बीच में मैसेज वाला पार्ट भरने में 2 मिनट का समय लगता है और यह 2 मिनट हर दिन आपकी जीत है इसी तरह आप किसी भी हरकत को टेंपलेट में बदलकर केवल 20 सेकंड आसान कर सकते हो। shawn ने केवल इस एक आदत से कई कंपनी में काम कर रहे लोगों को पॉजिटिव रिजल्ट दिए हैं।