Sylvester stallon work ethic in hindi

Sylvester stallon work ethic in hindi


Sylvester stallon work ethic in hindi

Sylvester stallon work ethic in hindi


Sylvester stallon की कहानी से सबसे पहली बात सीखने की यह है कि लॉ ऑफ अट्रैक्शन बिना लो ऑफ एक्शन के काम नहीं करता की और सेलवेस्टर स्टैलॉन Massive action लेने में विश्वास करते थे।


टोनी रॉबिंस का बहुत कीमती इंटरव्यू स्टैलॉन के साथ है जिसमें स्टैलॉन कहते हैं कि एक बार जब मैंने एक्टर बनने का निश्चय किया तो मेरे दिमाग में outcome मतलब नतीजा फिक्स था कि, मुझे movies में रोल करना है। उसी समय न्यूयॉर्क में करीबन ढ़ाई सौ एजेंट थे मैं हर एजेंट के पास करीबन 8 या 9 बार गया जब मुझे काम नहीं मिला तो मैंने Approach बदल दी। एक दिन में सुबह 4:00 बजे से अगले दिन सुबह तक एजेंट के ऑफिस के बाहर बैठा रहा तब अगले दिन एजेंट ने तरस खाकर मुझे छोटा सा रोल दिया। लेकिन इन तरीकों से भी बात नहीं बनी तो सिल्वेस्टर स्टेलोन ने अपनी approach दोबारा बदली अब उन्होंने स्क्रिप्ट लिखना भी शुरू कर दी।


आप अपने दिमाग में outcome fix कर लेते हो फिर रिजल्ट ना मिलने पर अपनी अप्रोच बदलते हो और efforts बढ़ाते हो और आप तब तक ऐसा करते हो जब तक आप को रिजल्ट नहीं मिल जाते, इसे कहते हैं massive action इसमें बहुत ताकत होती है इसमें आपकी determination छुपी होती है इसलिए constant massive action बड़े रिजल्ट attract करते हैं। आखिर massive action शुरू कहां से होते हैं?


सेलवेस्टर स्टैलॉन में एक बहुत अच्छी खासियत थी जो उन्हें कठिनाइयों के बाद भी ऊंचाइयों तक ले गई सिल्वेस्टर स्टेलोन खुद कहते हैं कि मैं अजीब कैरेक्टर था मैं किसी बात के पीछे पड़ जाता है तो मुझे कुछ और नहीं सूझता मैं अपने desire के साथ lock हो जाता।


सिल्वेस्टर स्टेलोन का बचपन बहुत कठिन था और कठिनाई मेटरनिटी वार्ड से शुरु हुई डिलीवरी के समय उनकी कुछ nerve damage हुई जिसके कारण उनकी जीभ और चेहरे का कुछ हिस्सा paralyzed हो गया इस कारण जीवन भर उनकी स्पीच स्पष्ट नहीं रही और उनकी मुस्कुराहट भी एक तरफ झुकी हुई है। सिल्वेस्टर स्टेलोन और उनके भाई अजीब माहौल में पैदा हुए उनकी मां डांसर थी और उनके पिता हेयर ड्रेसर थे और घर में लड़ाई झगड़ा आम बात थी। बचपन में एक बार उनकी मां ने उनसे कहा था कि तुम कमजोर हो तुम्हारा शरीर किसी काम के काबिल नहीं है और एक बार पिता ने कहा था कि तुम्हारे पास दिमाग नहीं है पता नहीं तुम्हारा क्या होगा?


सिल्वेस्टर स्टेलोन को तीन बार स्कूल से निकाला गया फिर कुछ बड़े होने पर उन्हें special school for troubled children में भर्ती कराया गया इन सब के बावजूद भी सिल्वेस्टर स्टेलोन छोटी उम्र में भी लोगों को खुशियां बांटना चाहते थे। उनका सपना बिल्कुल स्पष्ट था। वे बचपन से मूवी बिजनेस में होना चाहते थे, टीवी एंटरटेनमेंट में नहीं बल्कि मूवी बिजनेस में और यह उनकी इमोशनल जरूरत थी। 


छोटी उम्र में स्टेलोन सोचते थे कि बाकी लोग भी मेरे जैसे दर्द से गुजरते होंगे और उनके पास दर्द बांटने वाला कोई नहीं है वह लोगों को इंस्पायर करना चाहते थे कि आम लोग भी अविश्वसनीय कठिनाइयों से बाहर निकल सकते हैं। यह सपना उनकी बड़ी इमोशनल जरूरत बन गया बड़े होते ही सिल्वेस्टर स्टेलोन मियामी स्टेट यूनिवर्सिटी में ड्रामा पढ़ने चले गए लेकिन उनकी एक्टर बनने की इच्छा इतनी intense थी कि वह रोक नहीं पाए और सीधे न्यूयॉर्क चले गए। जहां एक के बाद एक एजेंट्स ने उन्हें मना कर दिया यह कहकर कि ऐसा लगता है कि तुम्हारे चेहरे पर पैरालिसिस है तुम्हारे डायलॉग समझ नहीं आते तुम एक्टर नहीं बन सकते तुम कुछ और करो।


लेकिन सेलवेस्टर स्टैलॉन ने अपना मन बना लिया था। वह कास्टिंग के लिए ऑडिशन देने जाते एक समय सिल्वेस्टर स्टेलोन की आर्थिक हालत बहुत खराब थी उनकी बीवी उनको समझाती रहती कि कहीं कोई नौकरी क्यों नहीं करते लेकिन सिल्वेस्टर स्टेलोन यह कहते हैं कि मैं बीच-बीच में छोटे-मोटे काम कर रहा था लेकिन मैं अपने सपनों से समझौता नहीं कर सकता था अगर मैं नौकरी करके सेटल कर गया होता तो शायद मेरी अपने सपने को पाने की भूख खत्म हो जाती।


hunger was my biggest advantage


जहां hunger का मतलब है intense desire यानी बाकी इच्छा को छोड़कर केवल एक इच्छा और कुछ नहीं… स्टैलॉन को बड़ी गाड़ी और नाम नहीं चाहिए था वह केवल अच्छी मूवीस में काम करना चाहते थे इस समय स्टेलोन लिखने भी लगे थे और कड़कती ठंड से बचने के लिए वह लाइब्रेरी जाया करते थे और लिटरेचर पढ़ा करते थे। इस लाइब्रेरी में स्टेलोन ने एक फाइट देखी जो मोहम्मद अली और चकवेपनर की फाइटर थी चकवेपनर कमजोर खिलाड़ी होते हुए 14 राउंड तक टिके रहे और आखिर में मोहम्मद अली को नॉक आउट कर दिया।


इस फाइट को देखकर सिल्वेस्टर स्टेलोन के मन में इमैजिनेशन लहर दौड़ पड़ी। वह घर आकर लगातार 20 घंटे लिखते रहे उन्होंने 3 दिन में rockey फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिख दी। इसके बाद वह जहां भी ऑडिशन के लिए जाते वहां कास्टिंग टीम को अपनी स्क्रिप्ट भी देते थे। किस्मत से कंपनी को उनकी स्क्रिप्ट पसंद आई और उन्होंने स्टेलोन को पैसे ऑफर किए लेकिन स्टेलोन साहब लीड रोल करना चाहते थे दूसरी तरफ स्क्रिप्ट बहुत अच्छी थी प्रोड्यूसर अच्छे एक्टर को कास्ट करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने स्टेलोन को $360000 डॉलर यानी आज के समय में करीबन 2 करोड रुपए ऑफर किये।


यह वह समय था जब स्टैलॉन के बैंक अकाउंट में केवल $100 थे लेकिन वह फिर भी राजी नहीं हुए आखिरकार स्टैलॉन को $25000 के बदले अपनी लिखी स्क्रिप्ट में लीड रोल अदा करने का मौका मिल ही गया स्टेलोन की एक ही इच्छा थी वह एक अच्छी मूवी बनाना चाहते थे और 24 घंटे उसी सोच और इमोशन से जुड़े रहते थे इसीलिए सिल्वेस्टर स्टेलोन बड़ी क्लीयरली अपने सपने को देख सकते थे जिस कारण वह संदेह रहित हो गए।


Doubtless या संदेह को जानना लॉ ऑफ अट्रैक्शन का मुख्य पहलू है आपके मन में चिंता जगह बनाएगी या क्रिएटिविटी, आप शिकायत करोगे सॉल्यूशन के बारे में सोचोगे यह आपके हाथ में है यह आपका कॉन्शियस डिसीजन है और यह जरूरी है क्योंकि आपके मन में जो विचार बार-बार घूमते हैं वह आपके सबकॉन्शियस माइंड पर गहरा असर छोड़ते हैं।


एक बार सेलवेस्टर स्टैलॉन को लाइब्रेरी में edgar Allan poe की कहानियों की किताब मिली और और सिल्वेस्टर स्टेलोन edgar की कहानियों में डूब गए वह कहते हैं कि उन कहानियों से मुझे समझ आया कि मैं कैसे चिंता किए बगैर लोगों की जिंदगी छू सकता हूं मुझे समझ आया कि मेरा क्या होगा, कैसे होगा, के प्रश्नों की चिंता किए बगैर मैं आजाद होकर संदेह रहित होकर अपने सपनों को सच करने के बारे में सोच सकता हूं। स्टैलॉन कहते हैं उसके बाद मुझे भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं हुई और मैं Rockey बनाने की ओर खींचता चला गया।


हॉलीवुड में उस वक्त डेढ़ सौ बॉक्सिंग मूवी बन चुकी थी बॉक्सिंग मूवीस को बी ग्रेड और लो बजट माना जाता था। इसीलिए रॉकी का बजट बहुत कम था सिल्वेस्टर स्टेलोन ने अपने परिवार वालों और दोस्तों को फिल्म में कम पैसों पर काम करने के लिए बुलाया। उनके भाई ने फिल्म में गाना गाया, उनकी वाइफ ने फोटोग्राफी की, और कई दोस्तों ने छोटे-मोटे काम किये। स्टेलोन ने शूटिंग शुरू होने से पहले हर दिन 5 घंटे ट्रेनिंग की जिससे वह बॉक्सर जैसे दिख सकें। फिल्म में बजट कम होने के कारण स्टेलोन को फिल्म में कई सारे सीन दोबारा लिखने पड़े। बॉक्सिंग कोरियोग्राफी सीखने के साथ-साथ वह परिवार और क्रू के साथ काम भी करते थे। शूटिंग के दौरान स्टेलोन को लगता था कि उनका शरीर साथ छोड़ देगा लेकिन यह फिल्म उनके लिए सपने जैसी थी जिस पर वह कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। फिल्म खत्म होने के कई दिनों तक सिल्वेस्टर स्टेलोन का शरीर दर्द करता रहा और उन्हें कई दिनों तक बेड रेस्ट करना पड़ा। जब पिक्चर रिलीज हुई तो कई लोग Rockey फ़िल्म के इमोशन और स्ट्रगल से कनेक्ट कर सके। यह पिक्चर सुपरहिट हुई और सिल्वेस्टर स्टेलोन लोगों के दिल पर छा गए।


कुछ बातें जो हमने सीखी


● कोई एक इच्छा का अति प्रमुख होना और उससे इमोशनली जुड़ जाना। जब ऐसा होता है तब आप अपने लक्ष्य में डूबे रहते हो और आपकी क्रिएटिविटी है इंटेलिजेंस अपने आप काम करती है।


● आपके मन में जो विचार दिन-रात बार-बार चलते रहते हैं वह आपके सबकॉन्शियस माइंड पर गहरा असर छोड़ते हैं और वैसे ही रिजल्ट आपको मिलते हैं इसीलिए आप अपने मन में चिंता डर और जलन जैसे विचारों को जगह नहीं दे सकते आप बार-बार शिकायत करोगे या सॉल्यूशन के बारे में सोचोगे यह डिसीजन कॉन्शियसली आपको ही लेना है। स्टैलॉन कहते हैं कि जब मुझे समझ आया कि सेल्फ डाउट खत्म करना मेरे हाथ में ही है और मैं अपनी चिंता किए बगैर लोगों की जिंदगी छू सकता हूं यानी सेल्फ डाउट छोड़कर अपने लक्ष्य के पीछे जा सकता हूं, तब मैं फ्री और हल्का हो गया और रॉकी की तरफ खींचता चला गया।


● लॉ ऑफ अट्रैक्शन बिना लो ऑफ एक्शन के काम नहीं करता जब आप संदेह रहित हो जाते हो तो इंटेंस डिजायर अपने आप massive action में बदल जाती है massive action का मतलब आपकी इमैजिनेशन में एक आउट कम सेट है अगर आपको रिजल्ट नहीं मिलते तो आप अप्रोच बदलते हुए efforts जब तक लगाते हो जब तक आपको आउटकम नहीं मिल जाता।