आत्मविश्वास पर हिंदी कहानी | Self confidence Motivational story in hindi

आत्मविश्वास पर हिंदी कहानी | Self confidence Motivational story in hindi

आत्मविश्वास पर हिंदी कहानी | Self confidence Motivational story in hindi


कुछ लोग इतने संवेदनशील होते हैं कि अगर उनका उत्साह टूट जाए तो वह हिम्मत हार जाते हैं। किसी एक क्षेत्र में मिली हार के बाद वह प्रयत्न करना ही बंद कर देते हैं इसका परिणाम यह होता है कि उनमें योग्यता और काबिलियत होने के बाद भी वह औसत या निचले दर्जे के व्यक्ति बनकर ही रह जाते हैं। लोग यह भूल जाते हैं कि जीवन किसी एक की सफलता पर निर्धारित नहीं वह तो निरंतर श्रम और प्रयत्न पर निर्धारित है। इसलिए हमें कभी भी अपनी परिस्थितियों के आगे घुटने टेकने नहीं चाहिए बल्कि उनका डटकर सामना करना चाहिए और हिम्मत और धैर्य से काम लेना चाहिए। आज हम आपको ऐसी ही एक कहानी सुनाने जा रहे हैं जिससे आपको काफी कुछ सीखने को मिलेगा।


एक युवक ने नामी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की उसमें स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा था। उसने विश्वविद्यालय की शिक्षा भी अपने श्रम और मेहनत से पैसे जुटाकर पुरी की लेकिन अब उसके पास कुछ भी पूंजी शेष नहीं थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद बाहर नौकरी खोजने लगा कई महीने तक उसे नौकरी नहीं मिली वह निराश हो गया पैसे खत्म हो जाने के कारण उसे 2 दिन से खाना भी नहीं मिल पाया था और किराया ना दे पाने की वजह से उसे अपना कमरा भी छोड़ना पड़ा अब वह रात में पार्क की बेंच पर सोने लगा उसे निराशा ने घेर लिया था उसे अपना जीवन बेकार लगने लगा।


वह नौकरी ढूंढने के लिए जहां भी जाता है उसे नौकरी नहीं मिलती अंत में उसने निराश होकर नौकरी ढूंढना ही छोड़ दिया उसे लगा कि उसके जीवन में अब प्रकाश की एक किरण भी नहीं बची। अब उसके कपड़े भी फटने लग गए थे पैसों की कमी और भूख के कारण उसकी दशा बहुत बिगड़ती जा रही थी। इस वजह से नौकरी में जाने के लिए इंटरव्यू देने का आत्मविश्वास भी उसमें नहीं बचा था काफी कोशिशों के बाद उसे एक रद्दी से होटल में बर्तन मांजने की नौकरी मिली। इससे उसे जैसे तैसे खाना तो मिलने लगा लेकिन अब भी उसे सोने के लिए पार्क की बेंच पर जा कर ही सोना पड़ता। एक रात वह अपने भविष्य की चिंता में लेटा हुआ था कि अचानक उसे आसमान में लाल अक्षरों से मोटे मोटे अक्षरों में लिखा हुआ दिखाई दिया “अपने पर विश्वास रखो”

वह सारी रात सो नहीं सका वो व्याकुलता से सुबह होने की प्रतीक्षा करने लगा सुबह होते ही उसने अपने मन में वह बात पुनः दोहराई “अपने पर विश्वास रखो” वह उठा, नदी किनारे गया वहां जाकर उसने अच्छे से हाथ मुंह धोया और दाढ़ी बनाई इसके बाद वह मोची के पास गया और उससे बूट पॉलिश मांग कर अपने जूते चमकाए इसके बाद वह मन में दृढ़ संकल्प लेकर नौकरी खोजने निकला।


अब वह किसी कार्यालय में जाता है तो उसका स्वागत होता था। क्योंकि अब वह पहले की तरह नहीं लग रहा था उसके कपड़े वगैरह तो अच्छे नहीं थे लेकिन उसके मुंह पर आत्मा विश्वास की झलक थी। वह जो भी कहता उसमें भी आत्मविश्वास झलकता था। सौभाग्य से उसे नौकरी मिल गई नौकरी इतनी अच्छी नहीं थी जितना कि वह चाहता था लेकिन फिर भी काफी अच्छी थी। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह अपनी समस्या को सुलझाने में सफल रहा।


कहानी से मिली सीख


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कई बार व्यक्ति परिश्रम तो कर रहा होता है लेकिन उसे उसका फल प्राप्त नहीं होता। इसमें आश्चर्य करने की कोई बात नहीं क्योंकि कभी-कभी व्यक्ति काम अपनी ही आशा और आकांक्षाओं के विरुद्ध कर रहा होता है। वह जिस वस्तु को प्राप्त करना चाहता है परिश्रम उससे उल्टा ही करता है। उसे विपरीत परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए और धैर्य पूर्वक सही दिशा में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए। ऐसा करने से हमें सफलता निश्चित ही मिलेगी इसे कोई रोक नहीं सकता।