रामु एक गरीब दोस्त हिंदी नैतिक कहानी | Gareeb dost hindi moral story

रामु एक गरीब दोस्त हिंदी नैतिक कहानी | Gareeb dost hindi moral story

रामु एक गरीब दोस्त हिंदी नैतिक कहानी | Gareeb dost hindi moral story

रामू बहुत गरीब था और श्यामू बहुत पैसे वाला था रामू की मां श्यामू के घर काम करती थी। रामू और श्यामू अच्छे दोस्त थे 1 दिन रामू और श्यामू खेल रहे थे तभी उनका स्कूल का दोस्त कुलदीप वहां आया ओर बोला


“और श्यामू कैसा है तू.. स्कूल क्यों नहीं आया?”


“बस यार मन नहीं कर रहा था”


“और यह कौन है तेरे साथ?”


“अरे यह हमारी नौकरानी का बेटा है”


“तो तू अपनी नौकरानी के बेटे के साथ खेलता है?”


“नहीं मैं इसके साथ थोड़ी खेल रहा बस जब कोई नहीं रहता है तो उसके साथ समय निकालने आ जाता हूं”


“ओह अच्छा”


रामू को श्यामू की यह सब बातें सुनकर बहुत बुरा लगता है और कुलदीप के वहां जाने के बाद वह श्यामू से बोलता है


“श्यामू क्या मैं तुम्हारा दोस्त नहीं?”


“नहीं तुम मेरे दोस्त तो हो रामू पर मैं अगर कुलदीप को बता देता तो वह हमारा मजाक बनाता कि मैंने अपने घर की नौकरानी के बेटे से दोस्ती कर रखी है”


रामू को श्यामू की बात का बुरा तो बहुत लगता है लेकिन वह बोलता कुछ नहीं है और चुपचाप अपने घर चला जाता है रामू घर जाकर अकेला अपने घर की खिड़की के पास बैठ जाता है यह देख उसकी मां उसके पास आती है और उससे पूछती है।


“क्या हुआ रामू तुम इतने उदास क्यों हो?”


“कुछ नहीं मां”


“कुछ तो है बताओ मुझे”


रामू अपनी सारी बातें माँ को बताता है कि कैसे श्यामू ने उसको अपना दोस्त कहने से मना कर दिया।


“बेटा कुछ नहीं होता तुम इन सब बातों पर ध्यान मत दो तुम बस अपनी पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो जब तुम एक दिन बड़े आदमी बन जाओगे तो खुद ही सब तुम से दोस्ती करेंगे”


“ठीक है मां”


दूसरे दिन रामू स्कूल जाता है रास्ते में श्यामू कुलदीप और और दूसरे लड़के खड़े होते हैं रामू को स्कूल जाता देख कुलदीप श्यामू से कहता है


“श्यामू यह तो रामू है ना?”


” हां क्यों?”


“देखो तो कैसे स्कूल जा रहा है… ना उसके पास अच्छे कपड़े है ना अच्छा बेग है। तुम इसे कपड़े नहीं देते हो क्या? तेरे पुराने कपड़े ही दे दिया कर बेचारे गरीब को”


“रामू आज तुम मेरे घर आना मेरे पास पुराने कपड़े हैं और पुराने खिलौने भी है तुम ले जाना” – श्यामू कहता है।


रामू को श्यामू की बातें बहुत बुरी लगती है पर वह कुछ नहीं कहता और वहां से चला जाता है अब रामू पूरे दिन घर में ही रहता है उसकी मां के बोलने के बाद भी वह खेलने नहीं जाता श्यामू भी उसे बुलाने आता है लेकिन वह दिन भर बस अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता है इस बात से श्यामू को बहुत बुरा लगता है और वह रामू को सबक सिखाने की सोचता है और कुलदीप के साथ मिलकर वह एक गड्ढा खोदता है। तब कुलदीप उससे पूछता है।


” श्यामू यह गड्ढा तुम किसके लिए खोद रहे हो?”


“रामू के लिए आजकल वह ना खेलने आता है ना बात करता है पता नहीं किस बात का घमंड आ गया है उसको”


श्यामू और कुलदीप गड्ढा खोदकर पेड़ के पीछे छुप जाते हैं थोड़ी देर बाद रामू वहां से गुजर रहा होता है श्यामू उसे आवाज लगाता है।


“रामू सुन इधर आ..!”


“मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है”


इतना बोल कर रहा हूं आगे निकल जाता है श्यामू रामू को रोकने की कोशिश में खुद ही उस गड्ढे में गिर जाता है और यह देखकर कुलदीप और उसके साथी उस पर हंसने लगते हैं तभी रामू को उनके हंसने की आवाज आती है और रामू दौड़कर वहां आता है वह देखता है कि श्यामू के सारे दोस्त उसका मजाक उड़ा रहे थे श्यामू चिल्ला रहा था।


“मुझे कोई बाहर निकालो गड्ढे से”


लेकिन श्यामू की मदद कोई नहीं कर रहा था सभी उसका मजाक उड़ा रहे थे इतने में रामू एक रस्सी ढूंढ कर लाता है और गड्ढे में फेंकते हुए कहता है


“श्यामू रस्सी पकड़ो और जल्दी ऊपर आ जाओ”


श्यामू रस्सी पकड़ कर ऊपर आता है और रामू को गले लगा कर बोलता है।


“रामू मुझे माफ कर दो यह गड्ढा मैंने तुम्हें गिराने के लिए ही बनाया था क्योंकि तुम मुझसे बात नहीं कर रहे थे और ना ही मेरे साथ खेलने जाते थे इस बात का मुझे बहुत बुरा लगा और मैंने तुम्हें इस गड्ढे में गिराने का सोचा मुझे माफ कर दो मेरे दोस्त”


“कोई बात नहीं श्यामू वैसे भी अब हम कब मिलेंगे पता नहीं”


“क्यों रामू?”


“तुम्हें अपने दोस्तों से मुझे मिलवाने में बहुत शर्म आती थी ना तो मैंने बहुत मेहनत करके स्कॉलरशिप हासिल कर ली है अब तुम्हें अपने दोस्तों से मिलवाने में कभी शर्मिंदगी महसूस नहीं होगी”


“मतलब तुम इतने दिन इसी वजह से मुझ से नहीं मिले?”


“हां श्यामू क्योंकि तुम ही मेरे दोस्त हो और मैं तुम्हें कभी खोना नहीं चाहता हूं उस दिन तुमने कुलदीप के सामने जो मुझसे कहा वह मैंने मां को बताया तो मां ने कहा कि जब मैं अच्छे से पढ़ लिखकर जब मैं कुछ बन जाऊंगा तो तुम्हें अपने दोस्तों से मिलवाने में शर्म नहीं आएगी”


रामू की बात सुनकर श्यामू की आंख में आंसू आ जाते हैं और वह कहता है।


“मुझे माफ कर दो रामू… सॉरी”


“कोई बात नहीं मेरे दोस्त मुझे शहर के लिए निकलना है मुझे जाना होगा”


रामू आगे की पढ़ाई के लिए शहर के लिए निकल जाता है और 5 – 6 साल बाद रामू की नौकरी लग जाती है वह कलेक्टर का एग्जाम निकालकर उनके गांव का कलेक्टर बन जाता है और श्यामू से मिलने गांव आता है गांव आकर उसे पता चलता है कि श्यामू को उसके बिजनेस में बहुत नुकसान हो गया है रामू श्यामू के घर जाता हैं रामु को देखते ही श्यामू उसे गले लगा लेता है। ओर कहता है।


“अरे कलेक्टर साहब आप यहां हमारे गरीब खाने में?”


“बेकार की बातें मत करो श्यामू जब हमारी इतनी बातें होती थी तो तुमने अपने बिजनेस में नुकसान की बात मुझे क्यों नहीं बताई?”


“छोड़ो रामू हम इतने समय बाद मिल रहें हैं पहले हम अपनी बातें कर ले”


रामू मन में समझ जाते हैं कि श्यामू उससे मदद नहीं लेगा रामू श्यामू से कहता है;


“मैं समझ गया श्यामू तुम मुझसे मदद नहीं लोगे.. पर मेरा एक प्रोजेक्ट तो लोगे मेरा एक दोस्त है वह तुम्हारे साथ काम करना चाहता है तुम्हारे बिजनेस में इन्वेस्ट करना चाहता है”


“कौन है वह?”


“यही जो तुम्हारे सामने खड़ा है.. मदद नहीं पार्टनरशिप कर रहा हूं”


श्यामू रामू को गले लगाकर कहता है पार्टनरशिप डन रामू और श्यामू बातें कर रहे होते हैं तभी कुलदीप आता है और कहता है


“यह कौन है श्यामू?”


“यह मेरे बचपन का दोस्त रामू है.. यह अब कलेक्टर है और मेरा बिजनेस पाटनर भी”


फिर रामू श्यामू और कुलदीप मिलकर खूब सारी बचपन की बातें करते हैं और खूब हंसते हैं।


कहानी से मिली सीख


दोस्त कभी अमीर गरीब नहीं होता उसका प्रेम कैसा है यह मायने रखता है।