अंतर्मुखी(Introverted) लोगों की खास बातें ओर मनोवैज्ञानिक तथ्य | psychological facts about introverted people in Hindi

अंतर्मुखी(Introverted) और कम बोलने वाले लोगों की खास बातें ओर मनोवैज्ञानिक तथ्य | psychological facts about introverted people in Hindi


अंतर्मुखी(Introverted) और कम बोलने वाले लोगों की खास बातें ओर मनोवैज्ञानिक तथ्य | psychological facts about introverted people in Hindi

psychological facts about introverted people in Hindi


ज्यादातर सफलता को उन लोगों से रिलेट करा जाता है जो बहुत ही एक्सट्रोवर्ट(बहुर्मुखी) होते हैं और ज्यादातर समय अपने शब्दों से दूसरों को अपनी तरफ खींच रहे होते हैं। लेकिन यह भी सच है कि दुनिया में बहुत से सक्सेसफुल लोग   इंट्रोवर्ट(अन्तर्मुखी) है और वह बहुत कम बोलते हैं चाहे वह बिल गेट्स हो, एलोन मस्क, मार्क जकरबर्ग या फिर सुंदर पिचाई हो। इन लोगों में कुछ ऐसा है जो इनको दूसरे लोगों से अच्छा ऑब्जर्वर (प्रेक्षक) फोकस्ड और इनफ्लुएंशल बनाता है। इसलिए आज हम इन्ही लोगों की इस पावर के बारे में बात करेंगे और जितना बोलना हो उतनी ही बोलने की अहमियत समझेंगे।


1.) Silent लोग अच्छे Observers होते हैं।


अगर एक इंसान साइलेंट है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह कुछ नहीं कर रहा, क्योंकि साइलेंस कभी भी खाली नहीं रहती साइलेंस में अक्सर ऐसी चीजें होती है जो बात करने से नहीं समझी जा सकती और ऐसे लोग जब किसी से बात नहीं कर रहे होते तो वह उस टाइम को खराब नहीं कर रहे होते हैं बल्कि वह अपने आसपास के लोगों को Observe कर रहे होते हैं किसी चीज को ऑब्जर्व करने का मतलब है कि आप वहां से कुछ इंफॉर्मेशन निकाल रहे हो साइलेंट लोग इस इंफॉर्मेशन का यूज़ करते हैं लोगों का बिहेवियर समझने के लिए, अपने आप को बेहतर बनाने के लिए और भविष्य को प्रिडिक्ट करने के लिए।


जब आपकी ऑब्जर्वेशनल स्किल बेहतर होती है तब आप अपनी तरफ आते कठिन चैलेंज और सिचुएशन को प्रिडिक्ट कर सकते हो और उसी को ध्यान में रखते हुए काम कर सकते हो और यही चीज साइलेंट लोगों को ज्यादा बोलने वाले लोगों से अलग बनाती है।


2.) साइलेंट लोग self-aware होते हैं।


क्योंकि ज्यादातर साइलेंट लोग यही सोच रहे होते हैं कि लोग उन्हें कैसे देख रहे या समझ रहे होते है। इंट्रोवर्ट्स चाहते हैं कि लोग उन्हें सीरियसली ले तभी वह अपने बिहेवियर, वर्ड्स और अपनी बॉडी लैंग्वेज को कॉन्शियसली मैनेज करते हैं। इंट्रोवर्ट्स को अच्छे से पता होता है कि उनकी ताकत ओर कमजोरी क्या है। और किस एरिया में उन्हें अपने आप को इंप्रूव करना है। जब एक इंसान को अपनी ताकत और कमजोरी पता होती तो वह उस पर एक्शंस ले सकता है ओर अपने आप को इंप्रूव कर सकता है।


3.) ऐसे लोग ज्यादा क्रिएटिव और ओरिजिनल होते हैं


जहां एक्सट्रोवर्ट में अपने ग्रुप्स की मेंस स्ट्रीम और पॉपुलर वैल्यू को अडॉप्ट करने की इच्छा ज्यादा होती है। वही इंट्रोवर्ट्स में अपनी पसंद को प्रेफर करने की इच्छा ज्यादा होती है भले ही उनका खुद का ओपिनियन पॉपुलर ओपिनियन से अलग ही क्यों ना हो। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंट्रोवर्ट्स अपने साथ ज्यादा टाइम स्पेंड करते हैं वह अपने आइडियाज को अच्छे से समझ पाते हैं और वह किसी भी ग्रुप का हिस्सा बनने के लिए किसी भी चीज को बिना देखे ही फॉलो नहीं करते।


इंट्रोवर्ट्स के फिजिसिस्ट अल्बर्ट आइंस्टाइन ने बोला था एक शांत जिंदगी में मौजूद स्टेबिलिटी और सॉलिट्यूड हमारी क्रिएटिविटी को बढ़ाता है।


4.) साइलेंट लोगों में self-control ज्यादा होता है


क्योंकि उन्हें पता होता है कि सिचुएशन उनसे क्या डिमांड कर रही है और वह उसी की तरह एक्ट करते हैं। उनकी इस क्वालिटी की वजह से दूसरे लोग उन पर भरोसा कर पाते हैं और उनको भरोसेमंद मानते हैं फिर भले ही वह अपने plans को सीक्रेट रखना हो या अपने किसी दोस्त की बात को अपने तक ही रखना ही इन लोगों के अंदर इतना self-control होता है कि वह कभी भी कोई ऐसी चीज नहीं करते जिससे उन्हें बाद में शर्मिंदगी हो या दूसरे लोग उन्हें डिसएप्वाइंट करें।


5.) साइलेंट और इंट्रोवर्टेड लोग आत्मनिर्भर होते हैं।


जहां एक्सट्रोवर्ट्स को अपनी एनर्जी दूसरों से मिलती है वही इंट्रोवर्ट्स लोग अकेले रहना ज्यादा पसंद करते हैं और बिना किसी एक्सटर्नल रिचार्ज के ही खुद को रिचार्ज कर पाते हैं।  यही चीज एक इंट्रोवर्ट्स को आत्मनिर्भर बनाती है। वह कभी भी दूसरों पर निर्भर नहीं रहते ऐसे लोगों में खुशी, सपोर्टेड और मोटिवेटेड फील करने के लिए आत्मनिर्भर होना एक बहुत ही अच्छी कला होती है जो सक्सेसफुल लोगों में ज्यादातर देखी जाती है। इंट्रोवर्ट्स जानते हैं कि लोगों पर डिपेंड होना बेवकूफी है क्योंकि जिंदगी बहुत ही अनप्रिडिक्टेबल है और कभी भी कुछ भी हो सकता है इसलिए वह सिर्फ अपने ऊपर ही भरोसा करते हैं।


6.) इंट्रोवर्ट्स अपनी बातों को सही तरीके से और अर्थपूर्ण तरीके से बोलते हैं


कई लोग अपनी बात को सामने रखने के लिए बहुत देर लगाते हैं और फिर भी अपने मैसेज को क्लीयरली नहीं समझा पाते। वहीं जो लोग कम बोलते हैं वह अपनी बात सीधी और एक अर्थ पूर्ण तरीके से दूसरों के समक्ष रखते हैं। वह बातों को घुमाते नहीं है और अपने शब्दों को इस तरह से बोलते हैं कि जैसे ही वह बात करना शुरू करते हैं वैसे ही सब चुप हो जाते हैं और सिर्फ उन पर ही अटेंशन देने लगते हैं क्योंकि जो इंसान कम बोलता है उनके शब्द में ज्यादा भार होता है इसी वजह से साइलेंट लोग अपने आप को भीड़ से अलग कर पाते हैं और दूसरों पर एक अच्छा इंप्रेशन छोड़ पाते हैं।


7.) साइलेंट लोग अच्छे श्रोता होते हैं।


आपने यह कहावत तो सुनी होगी कि हमारे पास दो कान और एक मुंह इसलिए है कि हम सुने ज्यादा और बोले कम। एक अच्छे वक्ता की यह खूबी होती है कि जितने अच्छे से वह बोलता है उतने ही इंटरेस्ट के साथ वह बातें सुनता भी है। साइलेंट लोग नेचुरली अच्छे श्रोता होते हैं क्योंकि वह सारी एनर्जी सिर्फ बोलने में ही नहीं बल्कि कुछ अच्छा सीखने में भी लगाते हैं। इसलिए उनको अच्छे से पता होता है की अगर वह दूसरों को अच्छे से सुनेंगे तो वह उस कन्वर्सेशन में कुछ वैल्यू भी ऐड कर पाएंगे उनकी यही लिसनिंग स्किल्स उन्हें एक अच्छा कम्युनिकेटर बनाती है और उन्हें लोगों से अच्छे रिलेशन बनाने में मदद करती है।


8.) साइलेंट लोग ज्यादा फोकस के साथ अपना काम करते हैं।


क्योंकि इंट्रोवर्ट्स लोग बाहरी दुनिया और लोगों को एक्सट्रोवर्ट जितनी अहमियत नहीं देते हैं इसीलिए उनके पास ज्यादा टाइम और अटेंशन होती है जिससे वह दूसरी चीजों पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं उनमें यह क्षमता होती है कि वह चुपचाप घंटों तक एक ही काम में फोकस रख सकते हैं जो चीजें एक्सट्रोवर्ट को लुभाती है वह चीजें इंट्रोवर्ट्स के दिमाग पर हावी नहीं होती और ऐसे लोग काफी लंबे समय तक राइटिंग, रिसर्च, रीडिंग या मेडिटेट कर पाते है।



9.) साइलेंट लोग ज्यादा गहरी रिलेशनशिप बनाते हैं


यानी यह लोग क्वालिटी को ज्यादा और क्वांटिटी को कम प्रेफरेंस देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनके पास लिमिटेड सोशल एनर्जी ही है तो इसलिए यह लोग सिर्फ उन्ही गिने-चुने लोगों को अपना समय देते हैं जो खुद भी क्रिएटिव और सक्सेस माइंडेड है और जो एक्चुअल में इनकी परवाह करते हैं। ऐसे लोगों का फ्रेंड सर्कल नेचुरली काफी छोटा होता है लेकिन इनके यही डीप रिलेशनशिप इन्हें मोटिवेट भी करते हैं और सक्सेस हासिल करने में ओर अपॉर्चुनिटी ढूंढने में मदद भी करते हैं।


अंतर्मुखी लोगों के बारे में कुछ मनोवैज्ञानिक तथ्य | Some psychological facts about introverted people


●•● अंतर्मुखी बकवास बाते नहीं करते है अगर उनके पास कोई मतलब की बात है तो निश्चित ही आपसे सांझा करेंगे अनयथा ये लोग बाते ध्यान से सुनते है ये महान श्रोता होते है।


●•● शर्मीलापन और विश्वास में कमी दो अलग चीजे है कम विश्वास वाले व्यक्ति को अंतर्मुखी न समझे अगर कोई शर्मीले व्यक्ति को दिलचस्प आदमी मिल जाए तो वह घंटो तक बाते कर सकते है।


●•● सीधी और कम बात करना अंतर्मुखी लोगो के लिए नुक्सान की बात होती है क्योंकि लच्छेदार बाते ना कर पाने की कमी से इनको कभी कभी घमंडी और अशिष्ट व्यवहार का माना जाता है।


●•● उनकी सबसे बड़ी ताकत होती है, आत्मविश्वास!! उन्हें स्वयं पर सबसे अधिक विश्वास होता है। कोई चाहे उन्हें कितना ही कमजोर या घमंडी समझे पर उन्हें अपनी ताकत पता होती है और वह जानते हैं कि उनमें क्या काबिलियत है।


●•● अंतर्मुखी लोगो के बारे में यह ग़लतफ़हमी होती है कि ये लोगो से घृणा करते है जबकि ये लोग इस बात का हमेशा ध्यान रखते है कि कही कोई नाराज़ न हो जाए 🙂


●•● उनकी दूसरी सबसे बड़ी ताकत होती है स्मृति का तेज होना!! कम बोलने के बजाय अंतर्मुखी व्यक्ति सुनते और समझते बहुत ध्यान से हैं जिसके कारण उनकी स्मृति बहुत तेज होती है।


●•● अंतर्मुखी लोग को नए लोगो से मिलना और बातचीत करना अच्छा लगता है मगर इसको लम्बे समय तक निभाना मुश्किल होता है जब ये लोग समुचित बातचीत कर लेते है तो घर पर जाकर अपने लिए समय निकालते है।


●•● उनकी तीसरी ताकत होती है कि उन्हें खुश रहने के लिए किसी दूसरे की जरूरत नहीं होती वह स्वयं के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। उनके बहुत गिने चुने दोस्त ही होते हैं पर वह किसी पर पूरी तरह निर्भर नहीं होते।


●•● अगर ईमानदारी से देखा जाय तो तो बहिर्मुखी(extroverts) कुछ अजीब होते है ये हमेशा ही लोगो का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते है और इनको हमेशा किसी न किसी का साथ चाहिए होता है।


●•● हर किसी की मौज मस्ती करने की अलग अलग परिभाषा होती है अंतर्मुखी लोग भी अपने ही तरीके से मजे करते है और वो उस तरिके से खुश रहते है।


●•● यह स्वयं के आदर्श होते हैं!. इन्हें दूसरों के जीवन से तुलना करना कुछ खास पसंद नहीं होता इसलिए यह स्वयं को ही अपना आदर्श मानते हैं।


अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात, अंतर्मुखी लोगो के बारे में यह ग़लतफ़हमी है कि ये लोग अपने स्वाभाविक व्यवहार को बदल नहीं सकते तो आप अभी तक नहीं समझे है इस पोस्ट को दोबारा पढ़े।


कोई भी अंतर्मुखी अपने स्वाभाव को इसलिए नहीं बदल सकता है क्योंकि समाज में बहिर्मुखी लोगो को ज्यादा महत्व दिया जाता है, हाँ शर्मीले व्यक्ति को पहचान मिलने में मुश्किल होती है मगर फिर भी वो जो भी काम करते है तो उनका काम उनके शब्दों से ज्यादा बोलता है।


अंत मैं अंतर्मुखी व्यक्तित्व को कभी भी कमजोर ना समझे कोई भी जब कम बात करता है तो इसका ये कतई मतलब नहीं है कि वो आपसे कम है या कोई हारा हुआ व्यक्ति है इनके पास विपरीत समय में भी शांत रहने की शक्ति हो सकती है क्योंकि ऐसे समय में मन को शांत रखना एक हिम्मत की बात होती है।


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