भगवान महावीर के 35+ अनमोल विचार, वचन – Best Lord Mahavir inspirational quotes in hindi
भगवान महावीर के प्रसिद्ध अनमोल वचन, संदेश, उपदेश – Lord Mahavir quotes in hindi
●•● एक चोर न तो दया और ना ही शर्म महसूस करता है, ना ही उसमे कोई अनुशासन और विश्वास होता है। ऐसी कोई बुराई नहीं है जो वो धन के लिए नहीं कर सकता है।
●•● एक कामुक व्यक्ति, अपने वांछित वस्तुओं को प्राप्त करने में नाकाम रहने पर पागल हो जाता है और किसी भी तरह से आत्महत्या करने के लिए तैयार भी हो जाता है।
●•● जितना अधिक आप पाते हैं, उतना अधिक आप चाहते हैं। लाभ के साथ-साथ लालच बढ़ता जाता है। जो 2 ग्राम सोने से पूर्ण किया जा सकता है वो दस लाख से नहीं किया जा सकता।
●•● जिस प्रकार आग इंधन से नहीं बुझाई जाती, उसी प्रकार कोई जीवित प्राणी तीनो दुनिया की सारी दौलत से संतुष्ट नहीं होता।
●•● कीमती वस्तुओं की बात दूर है, एक तिनके के लिए भी लालच करना पाप को जन्म देता है. एक ऐसा व्यक्ति जो लालचरहित है ,अगर वो मुकुट भी पहने हुए है तो पाप नहीं कर सकता।
●•● यदि आत्मा आंतरिक बंधनों से जकड़ी रहती है तो बाहरी त्याग अर्थहीन है।
●•● भाग्य का दुर्भाग्य द्वारा जन्म का मृत्यु द्वारा ओर नौजवानी का बुढापे द्वारा स्वागत किया जाता है. इस प्रकार इस दुनिया में सब कुछ क्षणिक है।
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●•● भिक्षुक को उस पर नाराज़ नहीं होना चाहिए जो उसके साथ दुर्व्यवहार करता है। अन्यथा वह एक अज्ञानी व्यक्ति की तरह होगा। इसलिए उसे क्रोधित नहीं होना चाहिए।
●•● एक साधक हमेशा ऐसे शब्द बोलता है जो सीमित हों और नपे-तुले हों और सभी जीवित व्यक्तियों और प्राणियों के लिए लाभकारी हों।
भगवान महावीर के प्रेणादायक अनमोल विचार – Lord Mahavir motivational quotes in hindi
●•● वाणी के अनुशासन में असत्य बोलने से बचना और मौन का पालन करना शामिल है।
●•● किसी को चुगली नहीं करनी चाहिए और ना ही छल-कपट में लिप्त होना चाहिए।
●•● किसी को तब तक नहीं बोलना चाहिए जब तक उसे ऐसे करने के लिए कहा न जाय. उसे दूसरों की बातचीत में व्यवधान नहीं डालना चाहिए।
●•● वह व्यक्ति जो नग्न रहता हो या फटे-चिथड़े कपड़े पहनता हो जिस के बाल उलझे हुए या गुच्छेदार हों या उसका सिर मुंडा हुआ हो, तो ये सब व्यर्थ और निष्फल है अगर वह झूठ बोलता है तो।
●•● एक सच्चा इंसान उतना ही विश्वसनीय है जितनी माँ, उतना ही आदरणीय है जितना गुरु और उतना ही परमप्रिय है जितना ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।
●•● केवल सत्य ही इस दुनिया का सार है।
●•● बुद्धिमान व्यक्ति मृत्यु से ऊपर उठ जाता है जो सत्य के प्रकाश से प्रबुद्ध हो..।
●•● जिस प्रकार आप दुःख पसंद नहीं करते उसी तरह और लोग भी इसे पसंद नहीं करते. ये जानकर, आपको उनके साथ वो नहीं करना चाहिए जो आप उन्हें आपके साथ नहीं करने देना चाहते।
●•● किसी जीवित प्राणी को मारे नहीं. उन पर शाशन करने का प्रयास नहीं करें।
●•● जो लोग जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य से अनजान हैं वे व्रत रखने और धार्मिक आचरण के नियम मानने और ब्रह्मचर्य और ताप का पालन करने के बावजूद निर्वाण (मुक्ति) प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे।
●•● जो रातें चली गयी हैं वे फिर कभी नहीं आएँगी. वे अधर्मी लोगों द्वारा बर्बाद कर दी गयी हैं।
●•● अज्ञानी कर्म का प्रभाव ख़त्म करने के लिए लाखों जन्म लेता है जबकि आध्यात्मिक ज्ञान रखने और अनुशासन में रहने वाला व्यक्ति एक क्षण में उसे ख़त्म कर देता है।
●•● वो जो सत्य जानने में मदद कर सके, चंचल मन को नियंत्रित कर सके, और आत्मा को शुद्ध कर सके उसे ज्ञान कहते हैं।
●•● केवल वही विज्ञान महान और सभी विज्ञानों में श्रेष्ठ है, जिसका अध्यन मनुष्य को सभी प्रकार के दुखों से मुक्त कर देता है।
●•● जिस प्रकार धागे से बंधी सुई खो जाने से सुरक्षित है, उसी प्रकार स्व-अध्ययन में लगा व्यक्ति खो नहीं सकता है।
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●•● एक जीवित शरीर केवल अंगों और मांस का एकीकरण नहीं है, बल्कि यह आत्मा का निवास है जो संभावित रूप से परिपूर्ण धारणा, संपूर्ण ज्ञान, परिपूर्ण शक्ति और परिपूर्ण आनंद है ।
●•● वह सभी व्यक्ति जो अज्ञानी हैं पीड़ाएं पैदा करते हैं। ऐसे लोग भ्रमित होने के बाद, वे इस अनन्त दुनिया में दुःखों का उत्पादन और पुनरुत्थान करते हैं।
●•● अपने असल रूप को ना पहचानना किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
●•● शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है ।
●•● प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता।
●•● भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई देवत्त्व प्राप्त कर सकता है. सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के।
●•● प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता।
●•● हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो. घृणा से विनाश होता है।
●•● सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
●•● सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
●•● अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।
●•● एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है. वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है. लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है. वह आदमी मूर्ख है।
●•● हे स्व..! सत्य का अभ्यास करो, और और कुछ भी नहीं बस सत्य का।
●•● शुद्ध चेतना की अवस्था में रहने वाला,जो सुख और दुःख के बीच में समनिहित रहता है वह एक श्रमण है।
●•● मुझे अनुराग और द्वेष, अभिमान और विनय, जिज्ञासा, डर, दु: ख, भोग और घृणा के बंधन का त्याग करने दें (समता को प्राप्त करने के लिए)।
●•● केवल वह व्यक्ति जो भय को पार कर चुका है, समता को अनुभव कर सकता है।
●•● जीतने पर गर्व ना करें. ना ही हारने पर दुःख।
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