KFC के मालिक कर्नल सैंडर्स के सफलता की कहानी | Colonel Sanders success story in hindi

KFC के मालिक कर्नल सैंडर्स के सफलता की कहानी|Colonel Sanders success story in hindi

KFC के मालिक कर्नल सैंडर्स के सफलता की कहानी|Colonel Sanders success story in hindi

KFC success story in hindi

दोस्तों आज हम कर्नल हरलैंड सैंडर्स के बारे में जानेंगे जिन्होंने पूरी जिंदगी संघर्ष किया असफलता और परेशानियों से जूझते रहे लेकिन फिर भी हार ना मानते हुए उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा और अपने अंतिम दिनों में सफलता की एक ऐसी मिसाल कायम की जिसे सुनकर कोई भी दांतो तले उंगली दबा लेगा दोस्तों हम बात कर रहे हैं KFC के फाउंडर  कर्नल हरलैंड सैंडर्स की।


कर्नल सैंडर्स ने 5 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था घर की परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि सिर्फ 7 साल की छोटी उम्र में उनके ऊपर अपने छोटे भाई और बहन की जिम्मेदारी आ गई। घर का खर्च चलाने ओर नौकरी के लिए वह कई जगह भटके लेकिन वहां भी कोई सफलता नहीं मिली शादी के बाद उनकी पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई, फिर बिजनेस स्टार्ट किया वह भी बंद हो गया 65 साल की उम्र तक उन्होंने अपने जीवन में पेट पालने से ज्यादा और कुछ भी नहीं किया। लेकिन इसके बाद भी वह अपनी सभी गलतियों से सीख लेते हुए एक ऐसी कंपनी बना डाली जिसकी ब्रांचेस दुनिया के 118 देशों से ज्यादा जगह पर है और हर साल उनकी कंपनी खरबों रुपए कमाती हैं।


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कर्नल हरलैंड सैंडर्स का जन्म 9 सितंबर 1890 को इंडियाना के एक शहर हेनरीविल्ले में हुआ था कर्नल हरलैंड सैंडर्स के अलावा उनके छोटे भाई और बहन भी है उनके परिवार में सब कुछ बहुत ही अच्छा चल रहा था। लेकिन अचानक 1895 में गर्मी के दिनों में तेज बुखार की वजह से कर्नल सैंडर्स के पिता की मृत्यु हो गई उस समय वह सिर्फ 5 साल के थे पिता की मौत के बाद घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होती जा रही थी जिसके बाद कर्नल की मां को बाहर फैक्ट्री में जाकर काम करना पड़ा और कर्नल के ऊपर इतनी छोटी सी उम्र में अपने भाई बहनों की देखरेख की जिम्मेदारी आ गई उन्हें कठिन दिनों में सैंडर्स की मां मार्गरेट ने उन्हें खाना बनाना भी सिखा दिया और सिर्फ 7 साल की उम्र में वह खाना बनाने में भी माहिर हो गए।


खाने में उन्हें चिकन बनाना शुरू से ही पसंद था 1902 में सैंडर्स की मां ने से फिर से शादी कर ली  और फिर उनका पूरा परिवार इंडियाना के ग्रीनवुड इलाके में आकर रहने लगा सैंडर्स के सौतेले पिता उनसे बहुत नफरत करते थे। जिसके कारण उनमें अच्छे संबंध नहीं थे और इसी कारण 1903 में सैंडर्स ने अपना घर छोड़ दिया और फिर खेत में आकर रहने लगे साथ ही साथ वह वहां पर काम भी किया करते थे घर छोड़ने के बाद उनकी पढ़ाई भी छूट गई।


13 साल की उम्र में वह इंडियानापोलिस शहर में आ गए जहां पर उन्होंने घोड़े गाड़ियों पर पेंटिंग का काम करना शुरू कर दिया कुछ दिनों बाद उन्होंने वह काम छोड़ दिया फिर 1906 मैं वह अपने अंकल के साथ रहने लगे। उनके अंकल स्ट्रीट कार की एक कंपनी के लिए काम करते थे और उन्हीं की मदद से सैंडर्स को कंडक्टर की जॉब मिल गई इसी बीच उन्होंने रेलवे में फायरमैन की नौकरी भी की इस नौकरी के दौरान ही उनकी मुलाकात जोसफी नाम की एक लड़की से हुई उन्होंने सिर्फ 1909 में 19 साल की उम्र में शादी कर ली रेलवे में नौकरी के दौरान उनका एक सहयोगी से झगड़ा हो गया और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया इसके बाद उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ उन्हें छोड़ कर चली गई इस बात का उनके दिल पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा हुआ वह दिन-ब-दिन टूटते जा रहे थे।


लेकिन उन्होंने अपने आप को संभाला और फिर से नौकरी की तलाश शुरू कर दी उन्होंने अलग-अलग तरह के काम करके अपना पेट पालना शुरू कर दिया उन्होंने इंश्योरेंस और क्रेडिट कार्ड बेचा, टायर का बिजनेस किया और इसी तरह के छोटे-छोटे बहुत सारे काम किए लेकिन हर बार असफल होते रहे।


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1929 में सैंडर्स केंटकी राज्य के छोटे से शहर बोरविन में चले गए यहां पर उन्होंने अमेरिका के रूट 25 पर एक छोटा सा गैस स्टेशन खोला। ग्राहकों के कहने पर उन्होंने स्टेशन के बगल में छोटा सा रेस्टोरेंट भी खोला जहां वह अपने तरीके से विशेष रूप से तली हुई चिकन बनाने लगे। जिसे लोगों द्वारा बहुत पसंद किया जाने लगा लोगों द्वारा पसंद किए जाने की वजह से उन्होंने उस बिजनेस को और बड़ा करने का सोचा और फिर बिजनेस को अच्छे से चलाने के लिए उन्होंने कार्नेल विश्वविद्यालय से 8 सप्ताह का होटल मैनेजमेंट कोर्स किया कर्नल सैंडर्स द्वारा बनाया गया चिकन कंटकी के गवर्नर को इतना ज्यादा पसंद आया कि उन्होंने सैंडर्स को कर्नल की उपाधि तक दे डाली और तभी से हरनेल सैंडर्स के नाम के आगे कर्नल जुड़ गया।


1937 में सैंडर्स ने कैंटकी में अपने रेस्टोरेंट कि कुछ और ब्रांच शुरू करने की कोशिश की लेकिन उनका यह प्रयास भी असफल रहा और अगले कुछ साल में हाईवे बनने के कारण उनका अच्छा खासा चलता रेस्टोरेंट्स भी बंद हो गया और कुछ ही दिनों में जमा पूंजी भी खत्म हो गई अब तक उनकी उम्र भी लगभग 62 साल हो चुकी थी उन्होंने अपना पूरा जीवन पेट पालने से ज्यादा कुछ भी नहीं किया था लेकिन उन्हें अपने चिकन के रिसर्च पर पूरा भरोसा था।


वह मसाले और प्रेशर कुकर लेकर अपने चिकन बनाने के यूनिक मेथड की मार्केटिंग करने निकल पड़े उसके बाद उन्होंने अलग-अलग रेस्टोरेंट से मिलना शुरू किया लेकिन समय ने फिर भी उनका साथ नहीं दिया और सभी रेस्टोरेंट के मालिक ने एक-एक करके उन्हें रिजेक्ट कर दिया उन्होंने करीब एक हजार रेस्टोरेंट की ठोकरें खाई और फिर उसके बाद जाकर उन्हें अपना पहला कस्टमर मिला। इसके बाद से कर्नल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर देखते ही देखते पूरी दुनिया में अपनी यूनिक चिकन रेसिपी की छाप छोड़ दी।


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आज कर्नल सैंडर्स के रेस्टोरेंट KFC, 118 से ज्यादा देशों में फैली है पूरी दुनिया में 18875 से ज्यादा केएफसी के आउटलेट्स है पहला केएफसी आउटलेट्स संयुक्त राज्य अमेरिका में 1952 में खोला गया आखिरकार अपार सफलताओं को पाने के बाद 16 दिसंबर 1980 को अमेरिका के कैंटकी में 90 साल की उम्र में कर्नल सैंडर्स की मृत्यु हो गई।


60 साल की उम्र में जब लोग रिटायर हो जाते हैं, घर में आराम की जिंदगी बिताना चाहते हैं उससे ज्यादा की उम्र में भी कर्नल सैंडर्स ने हार नहीं मानी और अपनी कोशिशों से यह साबित कर दिया कि असंभव कुछ भी नहीं।


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