मोहम्मद सिराज की सफलता की कहानी | mohammad siraj success story in hindi

मोहम्मद सिराज की सफलता की कहानी - mohammad siraj success story in hindi

मोहम्मद सिराज की सफलता की कहानी | mohammad siraj success story in hindi

दोस्तों आज हम बात करेंगे भारतीय क्रिकेट टीम के युवा तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज के बारे में, वही सिराज जो अपने पिता की मृत्यु होने पर भी सीरीज को खत्म किए बिना भारत नहीं लौटे और अपनी जबर्दस्त गेंदबाजी के दम पर ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को उन्हीं के घर में धूल चटा दी आज भले ही सिराज कामयाबी की बुलंदियों को छू रहे हैं लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने जो मेहनत और संघर्ष किया है वह हर किसी के बस की बात नहीं है।


प्रारंभिक जीवन और परिवार


दोस्तों मोहम्मद सिराज का जन्म 13 मार्च 1994 को हैदराबाद शहर में एक बेहद ही गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ उनके पिता का नाम मोहम्मद घाउस था जो कि हैदराबाद में ही ऑटो रिक्शा चलाने का काम करते थे। जबकि उनकी मां शबाना बेगम मुश्किल परिस्थितियों में सबके घर घर जाकर नौकरानी का काम करती थी परिवार में मोहम्मद सिराज के अलावा उनके बड़े भाई भी हैं जो कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं लेकिन उस समय तक उनके घर की इनकम का सोर्स उनके पिता के रिक्शा चलाने से ही होता था। जिसके चलते उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा कमजोर रहती थी उनका परिवार बहुत लंबे अरसे तक हैदराबाद शहर के बंजारा हिल्स इलाके के एक छोटे से किराए के मकान में रहा और सिराज का भी पूरा बचपन इसी मकान में गुजरा।


क्रिकेट का जुनून


हालांकि उनको क्रिकेट का शौक बचपन से ही था और वह अपने स्कूल की क्लास को बंक करके क्रिकेट खेला करते थे। और इस क्रिकेट के चक्कर में कई बार उनके रिजल्ट भी बहुत खराब आए और इसकी वजह से उनको अपने पिता से डांट भी सुनने को मिलती थी। हालांकि सिराज के बड़े भाई को उनके लाजवाब टैलेंट का पता था इसलिए वह हमेशा उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए सपोर्ट करते थे यह बात सिराज ने खुद एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि उनसे ज्यादा उनके भाई को उन पर विश्वास था ओर यह उनके भाई की ही मेहरबानी है कि वह आज भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेल रहे हैं असल में सिराज ने खुद कभी प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने का ख्वाब नहीं देखा था लेकिन उनके भाई को अपने छोटे भाई का हुनर बहुत कम उम्र में ही नजर आ गया था और उन्होंने यह डिसाइड कर लिया था कि चाहे जो भी हो जाए वह अपने छोटे भाई को एक क्रिकेटर जरूर बनाएंगे।


क्रिकेट में करियर


सिराज ने अपनी पढ़ाई हैदराबाद के स्कूल से ही साफा जूनियर स्कूल से की थी क्योंकि उनका मन क्रिकेट खेलने में ही था इसलिए सिराज ने सिर्फ 12वीं क्लास तक पढ़ाई की बचपन में जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब वह गेंदबाजी नहीं बल्लेबाजी करना ज्यादा पसंद किया करते थे लेकिन जब एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे तब उनके एक करीबी दोस्त ने उनसे कहा कि उन्हें बेटिंग छोड़कर अपनी बोलिंग पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनकी बोलेंगे उनकी बैटिंग से कई गुना बेहतर है। और अपने दोस्त की यह बात सिराज के जेहन में बैठ गई और उन्होंने उसी दिन अपना पूरा फोकस बैटिंग पर छोड़कर बॉलिंग पर लगा लिया सिराज आज भी अपने उस दोस्त की सलाह के लिए उसका शुक्रिया अदा करते हैं।


अपने करियर में सफल होने से पहले सिराज ने बहुत ज्यादा गरीबी में अपना जीवन बिताया और एक समय ऐसा भी आया कि जब उनको प्रैक्टिस करने के लिए अपनी बॉल खरीदने के तक के भी पैसे नहीं थे इसीलिए वह रबर और टेनिस की सस्ती बॉल से ही प्रैक्टिस किया करते थे। आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि सिराज कभी भी क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए नहीं गए और ना ही बचपन में उन्हें कभी किसी कोच से ट्रेनिंग मिल पाई दरअसल कभी उनके पास इतने पैसे हो ही नहीं पाए कि वह कोई क्रिकेट एकेडमी ट्रेनिंग को ज्वाइन कर सके दोस्तों क्रिकेट ऐसा खेल है जिसमें किसी अच्छे कोच से ट्रेनिंग लेना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है खासकर जब आप क्रिकेट खेलना सीख रहे हो तब तो कोचिंग लेने का महत्व और भी बढ़ जाता है लेकिन सिराज ने यह सिद्ध करके दिखाया कि अगर इंसान के अंदर जुनून हो तो वह बिना किसी क्रिकेट एकेडमी या कोच के भी खुद से ही मेहनत करके एक अच्छा क्रिकेटर बन सकता है।


दरअसल सिराज अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए दिन रात मेहनत किया करते थे और उन्होंने उनके इंटरव्यू में भी यह बात कही थी कि उनके पिता उनके परिवार को पालने के लिए पिछले 30 साल से ऑटो चला रहे हैं इसलिए वह चाहते हैं कि अब उन्हें जल्द से जल्द कामयाबी मिल जाए ताकि वह उनके पिता को इस उम्र में थोड़ा आराम दे सके दरअसल सिराज को एक मौके की तलाश थी और वह मौका उन्हें 2015 में मिल गया।


सिराज के एक दोस्त ने उन्हें हैदराबाद के चारमीनार क्रिकेट क्लब को ज्वाइन करने का एक न्योता दिया और सिराज ने तुरंत ही उस क्लब को ज्वाइन कर लिया और इस क्लब के खेलते हुए उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस से सभी को बहुत ही ज्यादा इंप्रेस किया और इस परफॉर्मेंस की वजह से उनका नाम स्टेट अंडर 23 के संभावित खिलाड़ियों में भी आने लगा था हालांकि कई बार उन्हें मौके मिले और कई बार नहीं भी लेकिन उन्होंने अपना पूरा समय खुद को बेहतर बनाने में लगाया और फिर आखिरकार उनकी यह मेहनत तब रंग लाई जब 15 नवंबर 2015 को उन्होंने हैदराबाद के लिए अपना पहला रणजी मैच खेला हाँलाकि यह पहला मैच उनके लिए कुछ खास नहीं रहा जिसके चलते वह उस सीजन में रणजी का कोई और मैच नहीं खेल पाए लेकिन रणजी का अगला सीजन उनके लिए उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट रहा।


2016 के रणजी मैच जिसमें उन्होंने कुल 9 मैच खेले और इन मैचों में 41 विकेट लेकर वह हैदराबाद के लीडिंग विकेट टेकर बन गए और इस जबरदस्त परफॉर्मेंस की वजह से ही आईपीएल के सिलेक्टर्स की नजर भी उन पर पड़ी।


फिर साल 2017 की आईपीएल में उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद टीम के द्वारा 2 करोड़ 60 लाख की बड़ी रकम में खरीद लिया गया यहां पर गौर करने वाली बात यह थी सिराज का बेस प्राइस सिर्फ 20 लाख रखा गया था और साथ ही यह उनके करियर का पहला आईपीएल सीजन होने वाला था लेकिन इसके बाद भी उन्हें इस बड़ी रकम में खरीदा जाना उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी इन पैसों से सिराज ने सबसे पहले तो अपने माता-पिता के लिए एक घर लिया जो कि उनके पेरेंट्स ने अपना पूरा जीवन गरीबी और तंगी में बिताया था और सिराज चाहते थे कि अब उनके पेरेंट्स अपनी लाइफ को थोड़ा इंजॉय करें।


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अपने इस पहले आईपीएल सीजन में सिराज ने कुल 6 मैच खेले और इन 6 मैचों में 10 विकेट लेकर उन्होंने अपनी बॉलिंग से सभी को प्रभावित कर दिया इसके बाद उस साल विजय हजारे ट्रॉफी में भी उनकी परफॉर्मेंस बहुत अच्छी रही थी ipl 2018 में सिराज ने कुल 11 विकेट लिए थे। अब इंटरनेशनल क्रिकेट की अगर बात करें तो भारतीय टीम में खेलने का मोहम्मद सिराज का सपना पहली बार नवंबर 2017 में पूरा हुआ उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में भारतीय टीम में जगह दी गई थी इसके अलावा उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय मैच। फिर 15 जनवरी 2019 के दिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था


लेकिन भारतीय टीम के लिए अभी उनका बेस्ट परफॉर्मेंस आना बाकी था और उनकी यह परफॉर्मेंस तब सामने आई जब उन्हें 2020 और 21 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय टेस्ट टीम में जगह दी गई और उनके ऑस्ट्रेलिया जाने के सिर्फ कुछ दिन के बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया था और इस तरह पिता का अचानक देहांत हो जाना उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा दुख था हालांकि वह चाहते तो सीरीज को वापस छोड़कर भारत वापस आ सकते थे लेकिन उन्होंने यह नहीं किया क्योंकि यह उनके पिता का ही सपना था कि उनका बेटा 1 दिन भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेले और अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए वह ऑस्ट्रेलिया में ही रुके रहे और इतना बड़ा दुख झेलने के बाद भी टेस्ट की सीरीज में उन्होंने जिस तरह की बॉलिंग की उसको देखकर सभी हैरान रह गए थे और अपने इस शानदार परफॉर्मेंस से वह भारतीय क्रिकेट फैंस के एक नए हीरो बन गए।


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